भोपाल। मानव अधिकारों की रक्षा करना प्रत्येक पुलिस अधिकारी और कर्मचारी का कर्तव्य है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग अत्यंत संवेदनशील और रिलेवेंट टॉपिक है. इससे पीड़ित व्यक्ति का हर पल शोषण होता है, उन्हें सदैव समझौता करना पड़ता है. इस अनैतिक व्यापार पर नियंत्रण के लिए हमें निरंतर प्रयास करने होंगे. यह बात वुमेन सेल द्वारा आयोजित ‘चेतना’ कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप II ऑन एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग विषय पर आयोजित सेमीनार में मप्र के डीजीपी सुधीर सक्सेना ने कही. मंगलवार को इस सेमीनार का समापन हुआ.
फर्स्ट रिस्पॉन्डर पुलिस: डीजीपी सुधीर सक्सेना ने कहा कि भारत में अन्य देशों से भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाती है और अन्य देशों में भी यहां से मानव तस्करी होती है. पुलिस किसी भी अपराध के घटित होने के पश्चात फर्स्ट रिस्पॉन्डर होता है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने के लिए हमें कैपिसिटी बिल्डिंग की ओर विशेष ध्यान देना होगा. हमें इस अनैतिक दुर्व्यापार के बारे में पूरी जानकारी, कानूनी पेचीदगियों और प्रोटोकॉल का ध्यान रखना होगा. कैपेसिटी बिल्डिंग एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इस समस्या को दूर करने के लिए हमें भी संवेदनशील होने की आवश्यकता है. यदि हमें पीड़ित की मदद करनी है तो बेटर इन्वेस्टिगेशन और बेटर प्रॉसिक्यूशन पर ध्यान देना होगा. इस दौरान एसआईएएफ के सहायक पुलिस महानिरीक्षक डॉ.वीरेंद्र मिश्रा ने भी सेमीनार में अपनी बात कही.
प्यार का झांसा सबसे आसान: सेमीनार में समाजसेवी और पदमश्री डॉ.सुनीता कृष्णन ने दूसरे दिन कहा कि पीड़ितों के बचाव और उनके पुनर्वास में विभिन्न एजेंसियों की भूमिका रहती है. अनैतिक व्यापार को रोकने के दौरान चुनौतियां सामने आती हैं, लेकिन काम ताे करना ही है. उन्होंने बताया कि लड़कियों को शादी करने का झांसा देने के कई मामले सामने आते हैं. ये मामले सिर्फ देश में ही नहीं, अंंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर सामने आते हैं, जिनमें पहले लड़की खुशी-खुशी आरोपियों के साथ जाती हैं और बाद में उनके जाल में फंस जाती हैं. बाद में उन्हें डरा-धमकाकर देह व्यापार के लिए मजबूर किया जाता है. इस अनैतिक दुर्व्यापार में कदम रखने के पश्चात लड़की अपना आत्मविश्वास और पहचान पूरी तरह से खो देती हैं. और शराब, ड्रग्स आदि की लत का शिकार हो जाती हैं. वे किसी भी अन्य पर यहां तक कि पुलिस और उनके हित में कार्य करने वालों पर भी विश्वास नहीं कर पाती हैं. उन्हें मुख्यधारा में लाना अत्यंत दुष्कर कार्य हाेता है. अपने जीवन में एक भी महिला को यदि आप इस अनैतिक व्यापार में जाने से बचा लेते हैं तो आपका जीवन सार्थक हो जाएगा.
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मॉडलिंग, सोशल मीडिया, फिल्म, शादी, प्यार झांसा है: ‘नो मोर मिसिंग’ एनजीओ की संचालक वंदना गुलिया ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर कहा कि सोशल मीडिया आज अपराधियों के लिए एक बड़े हथियार के रूप में कार्य कर रहा है. सोशल मीडिया पर अपराधी फेक आईडी बनाकर, प्यार और शादी का झांसा देकर, मॉडलिंग या फिल्मों में भूमिका का लालच देकर, अधिक पैसा कमाने और अच्छी नौकरी दिलवाने को लेकर गुमराह कर लोगों को लड़कियों को इस दलदल में ढकेलने का काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया, मोबाइल और इंटरनेट के जरिए गैरकानूनी तरीके से देह व्यापार को अंजाम दिया जा रहा है.