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यह खबर जरूर पढ़ें, वरना आप भी हो सकते हैं ऑनलाइन ठगी का शिकार, QR Code से फंसाते हैं जालसाज

जालसाज ऑनलाइन ठगी के नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं. ताजा मामला सामने आया है, जिसमें जालसाजों ने लिंक के जरिए ठगी की वारदात को अंजाम दिया. खबर में पढ़ें कि आखिर कैसे आप खुद को ठगी से बचा सकते हैं.

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Published : Sep 2, 2021, 10:56 PM IST

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भोपाल। ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन के समय यदि आपसे कोई क्यूआर कोड (QR Code) मांगे तो सतर्क हो जाएं. बिना सोचे समझे ऐसा करने पर आप ऑनलाइन ठगी के शिकार हो सकते हैं. जालसाज लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाने के लिए नए-नए तरीके आजमा रहे हैं. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय पिछले दिनों एक आईएएस अधिकारी भी ठगी का शिकार हो चुके हैं. ओटीपी पूछकर ठगी करने के पुराने तरीकों को छोड़ अब जालसाज लिंक भेजकर भी लोगों की कमाई पर डाका डाल रहे हैं. यह खबर आपके लिए जानना जरूरी है, इसलिए जरूर पढ़े.

पिछले कुछ दिनों में यह घटनाएं आई सामने

मामला नंबर.1- आईएएस हुए ठगी के शिकार

आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शराब खरीदने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया. इस दौरान उन्हें एक वाॅट्सऐप नंबर मिला. अधिकारी ने नंबर पर संपर्क किया. कुछ देर बाद उन्हें एक काॅल आया, जिसमें व्यक्ति ने खुद को शराब दुकान का कर्मचारी बताया. फोन पर व्यक्ति ने कहा कि शराब के लिए आईएएस अधिकारी को यूपीआई से एडवांस में 8500 रुपए देने होंगे. जिसके बाद अधिकारी ने पैसे ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जालसाज ने बताया कि पेमेंट नहीं हुआ है. फिर उसने भुगतान के लिए यूपीआई क्यूआर कोड मांगा और अधिकारी के बैंक खाते से चालाकी से 17 हजार रुपए निकाल लिए.

मामला नंबर.2- व्यापारी के साथ ऑनलाइन ठगी

भोपाल के हबीबगंज इलाके में रहने वाले व्यापारी ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए ऑनलाइन कंपनी की जानकारी ली. इसके बाद व्यापारी ने कंपनी से फोन पर बात की, तो विपिन शर्मा नाम युवक ने मुंबई की सुरभि इंटरप्राइजेस कंंपनी का कर्मचारी बनकर 18 लाख का बिल भेज दिया. जीएसटी नंबर होने की वजह से व्यापारी ने इस पर भरोसा कर दिया. पेमेंट के बाद आरोपी ने मोबाइल बंद कर लिया.

मामला नंबर.3- जानसाज ने लिंक भेजकर की ठगी

भोपाल के गोविंदपुरा इलाके में रहने वाले सुमित सिंह टीवी प्रोग्राम केबीसी (KBC) में एंट्री के लिए कोशिश कर रहे थे. इस दौरान उनके पास केबीसी के नाम एक लिंक मिली. लिंक पर जैसे ही सुमित ने डिटेल भरकर भेजी, तो इसके बाद उनके मोबाइल से 7800 रुपए निकल गए.

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एटीएम पासवर्ड हुआ पुराना, अब नए तरीके से ठगी

आमतौर पर जालसाज एटीएम कार्ड की समय सीमा खत्म होने से पहले काॅल कर ओटीपी पूछकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. लेकिन लोगों के जागरूक होने के बाद अब जालसाजों ने ठगी के नए तरीके अपनाना शुरू कर दिए हैं. सायबर एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी बताते हैं कि सायबर ठग लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं. अब जालसाजों ने लिंक के जरिए ठगी का नया मामला इजात किया है. इसमें बिना जानकारी के ही लोगों के अकाउंट से पैसा निकल लिया जाता है. इस तरह का मामला पिछले दिनों भोपाल से सामने आया. इसके तहत जालसाज पहले अनजान नंबर से वाॅट्सअप या एसएमएस पर लिंक भेजते हैं, फिर मिस काॅल करते हैं. इससे यह लिंक एक्टिव हो जाती हैं. लिंक पर डेटा अपलोड होने से मोबाइल हैक होने का खतरा बढ़ जाता है.

कैसे बचें ऑनलाइन ठगी से

- किसी अनजान नंबर से लिंक यदि आए या कोई ऑफर के तहत लिंक भेजी जाए, तो उनपर जानकारी अपलोड न करें.

- लुभावने ऑफर के लालच में न आएं और इसके लिए किसी को बैंक, एटीएम की डिटेल न भेजें.

- फोन पे, पेटीएम आदि वाॅलेट पैसे रिसीव करने के लिए लिंक या क्यूआर कोड आए तो लिंक को न खोलें. क्यूआर कोर्ड को स्कैन न करें.

- ऑनलाइन खरीदी करते वक्त संबंधित एजेंसी या शाॅप की अच्छे से पड़ताल करने के बाद ही लेन-देन करें.

- यदि ऑनलाइन ठगी के शिकार हो जाएं, तो तत्काल संबंधित बैंक और सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराएंय

भोपाल। ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन के समय यदि आपसे कोई क्यूआर कोड (QR Code) मांगे तो सतर्क हो जाएं. बिना सोचे समझे ऐसा करने पर आप ऑनलाइन ठगी के शिकार हो सकते हैं. जालसाज लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाने के लिए नए-नए तरीके आजमा रहे हैं. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय पिछले दिनों एक आईएएस अधिकारी भी ठगी का शिकार हो चुके हैं. ओटीपी पूछकर ठगी करने के पुराने तरीकों को छोड़ अब जालसाज लिंक भेजकर भी लोगों की कमाई पर डाका डाल रहे हैं. यह खबर आपके लिए जानना जरूरी है, इसलिए जरूर पढ़े.

पिछले कुछ दिनों में यह घटनाएं आई सामने

मामला नंबर.1- आईएएस हुए ठगी के शिकार

आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शराब खरीदने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया. इस दौरान उन्हें एक वाॅट्सऐप नंबर मिला. अधिकारी ने नंबर पर संपर्क किया. कुछ देर बाद उन्हें एक काॅल आया, जिसमें व्यक्ति ने खुद को शराब दुकान का कर्मचारी बताया. फोन पर व्यक्ति ने कहा कि शराब के लिए आईएएस अधिकारी को यूपीआई से एडवांस में 8500 रुपए देने होंगे. जिसके बाद अधिकारी ने पैसे ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जालसाज ने बताया कि पेमेंट नहीं हुआ है. फिर उसने भुगतान के लिए यूपीआई क्यूआर कोड मांगा और अधिकारी के बैंक खाते से चालाकी से 17 हजार रुपए निकाल लिए.

मामला नंबर.2- व्यापारी के साथ ऑनलाइन ठगी

भोपाल के हबीबगंज इलाके में रहने वाले व्यापारी ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए ऑनलाइन कंपनी की जानकारी ली. इसके बाद व्यापारी ने कंपनी से फोन पर बात की, तो विपिन शर्मा नाम युवक ने मुंबई की सुरभि इंटरप्राइजेस कंंपनी का कर्मचारी बनकर 18 लाख का बिल भेज दिया. जीएसटी नंबर होने की वजह से व्यापारी ने इस पर भरोसा कर दिया. पेमेंट के बाद आरोपी ने मोबाइल बंद कर लिया.

मामला नंबर.3- जानसाज ने लिंक भेजकर की ठगी

भोपाल के गोविंदपुरा इलाके में रहने वाले सुमित सिंह टीवी प्रोग्राम केबीसी (KBC) में एंट्री के लिए कोशिश कर रहे थे. इस दौरान उनके पास केबीसी के नाम एक लिंक मिली. लिंक पर जैसे ही सुमित ने डिटेल भरकर भेजी, तो इसके बाद उनके मोबाइल से 7800 रुपए निकल गए.

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एटीएम पासवर्ड हुआ पुराना, अब नए तरीके से ठगी

आमतौर पर जालसाज एटीएम कार्ड की समय सीमा खत्म होने से पहले काॅल कर ओटीपी पूछकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. लेकिन लोगों के जागरूक होने के बाद अब जालसाजों ने ठगी के नए तरीके अपनाना शुरू कर दिए हैं. सायबर एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी बताते हैं कि सायबर ठग लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं. अब जालसाजों ने लिंक के जरिए ठगी का नया मामला इजात किया है. इसमें बिना जानकारी के ही लोगों के अकाउंट से पैसा निकल लिया जाता है. इस तरह का मामला पिछले दिनों भोपाल से सामने आया. इसके तहत जालसाज पहले अनजान नंबर से वाॅट्सअप या एसएमएस पर लिंक भेजते हैं, फिर मिस काॅल करते हैं. इससे यह लिंक एक्टिव हो जाती हैं. लिंक पर डेटा अपलोड होने से मोबाइल हैक होने का खतरा बढ़ जाता है.

कैसे बचें ऑनलाइन ठगी से

- किसी अनजान नंबर से लिंक यदि आए या कोई ऑफर के तहत लिंक भेजी जाए, तो उनपर जानकारी अपलोड न करें.

- लुभावने ऑफर के लालच में न आएं और इसके लिए किसी को बैंक, एटीएम की डिटेल न भेजें.

- फोन पे, पेटीएम आदि वाॅलेट पैसे रिसीव करने के लिए लिंक या क्यूआर कोड आए तो लिंक को न खोलें. क्यूआर कोर्ड को स्कैन न करें.

- ऑनलाइन खरीदी करते वक्त संबंधित एजेंसी या शाॅप की अच्छे से पड़ताल करने के बाद ही लेन-देन करें.

- यदि ऑनलाइन ठगी के शिकार हो जाएं, तो तत्काल संबंधित बैंक और सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराएंय

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