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उफ्फ, ये मोहब्बत शहर वाली...हर गली में एक शायर वो भी भोपाली

भोपाल को सिर्फ झीलों की नगरी नहीं कहा जाता, इसे शायरों और खास तहजीब का शहर भी कहा जाता है. बासिद भोपाली से लेकर मंजर भोपाल तक ऐसे कई शायर हैं जिन्होंने अपनी शायरी से भोपाल को एक अलग पहचान दी है. यही वजह है कि साहित्य से मोहब्बत करने वाले लोगों को भी भोपाल काफी पसंद आता है. इन शायरों की निगाहों से देखिए भोपाल शहर की खूबसूरती.

shayro wala shahar bhopal
शायरों वाला शहर भोपाल
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Published : Jun 1, 2023, 7:53 AM IST

Updated : Jun 1, 2023, 9:31 AM IST

शायरों का शहर कहलाता है भोपाल

भोपाल। एक शहर जिसमें तंग गलिया ही नहीं...गलियों में रहने वाले शायर भी उसकी शिनाख्त हैं. एक ऐसा शहर जिसे शेरों में बांधा है इसी शहर के बाशिंदों ने. एक शहर जिसमें रहने वाले शायरों की फेहरिस्त बेगमों के दौर से शुरु होती है और सिलसिला अब तक जारी है. एक शहर जिसके शायर अपने नाम के साथ लिए चलते हैं अपने शहर का नाम....तखल्लुस भोपाली लगाते हैं. तो भोपाल गौरव दिवस पर जानिए कि खुद को पहले भोपाली की पहचान देने वाले कौन से थे ये शायर.....भोपाल को लेकर इन शायरों ने लिखे कौन से अशआर...और देश दुनिया की नामचीन हस्तियों ने क्या कहा था भोपाल के लिए.

Famous poet of Bhopal
भोपाल के मशहूर शायर

बासिद भोपाली से मंजर भोपाली....ये शायर भोपाली: वैसे शेरो-शायरी का शौक नवाबी दौर से ही शुरु हो गया था. लेकिन खास वो शायर जिन्होंने अपने नाम के साथ भोपाली तखल्लुस लगाया उन शायरों की भी लंबी फेहरिस्त है. इनमें बासिद भोपाली, वकील भोपाली, शाहिद भोपाली, साहिर भोपाली, सिराज मीर खां सेहर भोपाली, असद भोपाली, शैरी भोपाली, युसूफ कैसर भोपाली, मंजर भोपाली जैसे शायर जिन्होंने अपने शहर की मोहब्बत को अपने तखल्लुस के साथ हमेशा से जोड़कर रखा. इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी कहते हैं कि ''भोपाल में शायरी का शौक या कहें की दौर तो बेगमों के जमाने से ही शुरु हो गया था. लेकिन फिर ये आलम हुआ कि हर गली में एक शायर. खास बात ये है कि यहां शायर ज्यादा तादात में होने के बावजूद उनकी शायरी बहुत आला दर्जे की रही. केवल शायर नहीं जो सुनने वाले भी हैं, उनका भी स्तर ऐसा रहा कि लोग भोपालियों के सामने शायरी पढ़ने में खौफ खाते थे कि कोई कमजोर शेर ना निकल जाए.

Also Read: भोपाल से जुड़ी अन्य खबरें

Poet poetry written in Urdu
शायर की उर्दू में लिखी शायरी

कैसे-कैसे शेरों में बंधा भोपाल...सुनिए

सैयद खालिद गनी साहब के पास उन तमाम शायरों की शायरी का कलेक्शन मौजूद है, जिसमें इन शायरों ने भोपाल को अपनी शायरी में दर्ज किया है.

एक गुमनाम शायर का ये शेर सुनिए जिसमें भोपाल को बांधा गया है.
भोपाल की ताकत को दुनिया को दिखा देंगे,
हिटलर तेरी तोपों में हम बांस चला देंगे

बासिद भोपाली कहते हैं...
ये आईना ए फिरदौर जिसे कहते हैं
ए दोस्त हकीकत में वो भोपाल है.

अहसान अली खान अहसन की शेर में दर्ज हुए भोपाल को सुनिए
वो तो कहिए कि है वतन अहसन
वरना भोपाल क्या है क्या कहिए.

शिफा ग्वालियरी नाम के एक शायर ने भोपाल को यूं अपने शेर में पिरोया
तामीर ओ तरक्की के नए जलवों से
दुल्हन सा नजर आएगा सारा भोपाल.

हफीज अश्क भोपाली भोपाल के लिए कहते हैं
हो ना लफ्जों में बयां इतना हंसी भोपाल है
जो भी देखे ये कहे कितना हंसी भोपाल है.

मरहूम शायर अख्तर सईद खा साहब भोपाल के लिए लिखते हैं
बंद रखोगे दरीचे दिल के यारों कब तलक
दे रहा भोपाल दस्तक उठ के देखो तो सही.

इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी साहब अपने शेर में कहते हैं
लौ प्यार की इस शहर में मध्दम तो नहीं है
भोपाल भी कश्मीर से कुछ कम तो नहीं है.

शायरों का शहर कहलाता है भोपाल

भोपाल। एक शहर जिसमें तंग गलिया ही नहीं...गलियों में रहने वाले शायर भी उसकी शिनाख्त हैं. एक ऐसा शहर जिसे शेरों में बांधा है इसी शहर के बाशिंदों ने. एक शहर जिसमें रहने वाले शायरों की फेहरिस्त बेगमों के दौर से शुरु होती है और सिलसिला अब तक जारी है. एक शहर जिसके शायर अपने नाम के साथ लिए चलते हैं अपने शहर का नाम....तखल्लुस भोपाली लगाते हैं. तो भोपाल गौरव दिवस पर जानिए कि खुद को पहले भोपाली की पहचान देने वाले कौन से थे ये शायर.....भोपाल को लेकर इन शायरों ने लिखे कौन से अशआर...और देश दुनिया की नामचीन हस्तियों ने क्या कहा था भोपाल के लिए.

Famous poet of Bhopal
भोपाल के मशहूर शायर

बासिद भोपाली से मंजर भोपाली....ये शायर भोपाली: वैसे शेरो-शायरी का शौक नवाबी दौर से ही शुरु हो गया था. लेकिन खास वो शायर जिन्होंने अपने नाम के साथ भोपाली तखल्लुस लगाया उन शायरों की भी लंबी फेहरिस्त है. इनमें बासिद भोपाली, वकील भोपाली, शाहिद भोपाली, साहिर भोपाली, सिराज मीर खां सेहर भोपाली, असद भोपाली, शैरी भोपाली, युसूफ कैसर भोपाली, मंजर भोपाली जैसे शायर जिन्होंने अपने शहर की मोहब्बत को अपने तखल्लुस के साथ हमेशा से जोड़कर रखा. इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी कहते हैं कि ''भोपाल में शायरी का शौक या कहें की दौर तो बेगमों के जमाने से ही शुरु हो गया था. लेकिन फिर ये आलम हुआ कि हर गली में एक शायर. खास बात ये है कि यहां शायर ज्यादा तादात में होने के बावजूद उनकी शायरी बहुत आला दर्जे की रही. केवल शायर नहीं जो सुनने वाले भी हैं, उनका भी स्तर ऐसा रहा कि लोग भोपालियों के सामने शायरी पढ़ने में खौफ खाते थे कि कोई कमजोर शेर ना निकल जाए.

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Poet poetry written in Urdu
शायर की उर्दू में लिखी शायरी

कैसे-कैसे शेरों में बंधा भोपाल...सुनिए

सैयद खालिद गनी साहब के पास उन तमाम शायरों की शायरी का कलेक्शन मौजूद है, जिसमें इन शायरों ने भोपाल को अपनी शायरी में दर्ज किया है.

एक गुमनाम शायर का ये शेर सुनिए जिसमें भोपाल को बांधा गया है.
भोपाल की ताकत को दुनिया को दिखा देंगे,
हिटलर तेरी तोपों में हम बांस चला देंगे

बासिद भोपाली कहते हैं...
ये आईना ए फिरदौर जिसे कहते हैं
ए दोस्त हकीकत में वो भोपाल है.

अहसान अली खान अहसन की शेर में दर्ज हुए भोपाल को सुनिए
वो तो कहिए कि है वतन अहसन
वरना भोपाल क्या है क्या कहिए.

शिफा ग्वालियरी नाम के एक शायर ने भोपाल को यूं अपने शेर में पिरोया
तामीर ओ तरक्की के नए जलवों से
दुल्हन सा नजर आएगा सारा भोपाल.

हफीज अश्क भोपाली भोपाल के लिए कहते हैं
हो ना लफ्जों में बयां इतना हंसी भोपाल है
जो भी देखे ये कहे कितना हंसी भोपाल है.

मरहूम शायर अख्तर सईद खा साहब भोपाल के लिए लिखते हैं
बंद रखोगे दरीचे दिल के यारों कब तलक
दे रहा भोपाल दस्तक उठ के देखो तो सही.

इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी साहब अपने शेर में कहते हैं
लौ प्यार की इस शहर में मध्दम तो नहीं है
भोपाल भी कश्मीर से कुछ कम तो नहीं है.

Last Updated : Jun 1, 2023, 9:31 AM IST
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