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Bhopal Farmer Story: गोबर ने किसान को बनाया लखपति, सरकार से मिला सम्मान

भोपाल का एक किसान ऐसा है, जो खेती के साथ साथ इसमें उपयोग होने वाली खाद को भी बना रहा है. इससे उसकी साल भर की 15 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. जानिए किसान के खाद बनाने के तरीके को...

bhopal farmer profit by cow dung
भोपाल के किसान को गाय के गोबर से फायदा
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Published : Jan 16, 2023, 9:12 PM IST

भोपाल किसान खाद से कमाता है 15 लाख सालाना

भोपाल। खेती में फायदा कमाने के लिए किसान कई तरह के प्रयोग करते हैं, लेकिन राजधानी का एक किसान ऐसा भी है, जो फसलों से ही नहीं बल्कि गोबर से भी हर साल करीबन 15 लाख रुपए से ज्यादा कमाई कर लेता है. यह किसान हर साल बड़े पैमाने पर गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर इसे राजधानी और आसपास के जिलों में सप्लाई करता है. भोपाल से करीबन 20 किलोमीटर दूर स्थित परवलिया गांव के किसान मनोहर पाटीदार को जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि कर्मण सहित कई अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.

1 माह में तैयार होती है 3 क्विटंल खाद: किसान मनोहर पाटीदार ने बताया कि, "उन्हें हमेशा से खेती में प्रयोग करना पसंद है. साल 2 हजार में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद की शुरूआत हुई तो मैंने इसे अपनाया. कृषि विभाग से ट्रेनिंग ली और फिर इसे करना शुरू कर दिया." वे कहते हैं, "आज उनके 30 एकड़ खेत पर सिर्फ वर्मी कंपोस्ट का ही उपयोग होता है. जैविक खेती के अलावा जैविक दवाओं का ही उपयोग किया जाता है. यह खाद भी वे खुद ही तैयार करते हैं. वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए आसपास के गांवों से हर माह करीबन 10 से 12 ट्रॉली गोबर खरीदते हैं, जिससे हर माह 3 सौ क्विंटल तक वर्मी कंपोस्ट तैयार होता है."

40/60 की एरिया में तैयार होती है खाद: किसान मनोहर पाटीदार कहते हैं, "पहले बड़े स्तर पर वर्मी कंपोस्ट तैयार करते थे, लेकिन अब सिर्फ 40 बाय 60 एरिया में ही जैविक खाद तैयार किया जाता है. इस एरिया में हर माह करीबन 300 क्विंटल खाद तैयार होती है, जिसे वे 800 रुपए क्विंटल बेचते हैं. इस तरह साल भर में वे करीबन 15 लाख रुपए की वर्मी कंपोस्ट बेच देते हैं. यह खाद आसपास के जिलों के अलावा हर्टिकल्चर का काम करने वाली कंपनियां सीधे खरीद लेती हैं."

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30 दिन में तैयार हो जाता है वर्मी कंपोस्ट: वर्मी कंपोस्ट आमतौर पर 45 दिन में तैयार होता है, लेकिन यह काफी हद तक केंचुओं पर निर्भर करता है. वे आर्सिना फोर्टिडा किस्म का केंचुआ ही उपयोग में लाते हैं, जिसकी उत्पादकता अच्छी होती है. यह खाद भी काफी तेजी से बनाता है. इससे 45 दिन की वर्मी कंपोस्ट 30 दिन में ही बनकर तैयार हो जाती है. उधर, कृषि विशेषज्ञ आरपी श्रीवास्तव कहते हैं कि, "खेती को अगर ठीक से किया जाए तो यह फायदे का सौदा साबित हो सकती है, लेकिन इसके लिए किसान को सिर्फ फसल पर ही निर्भर न रहकर इसके साथ दूसरे प्रयोग भी खेती में करने होंगे".

भोपाल किसान खाद से कमाता है 15 लाख सालाना

भोपाल। खेती में फायदा कमाने के लिए किसान कई तरह के प्रयोग करते हैं, लेकिन राजधानी का एक किसान ऐसा भी है, जो फसलों से ही नहीं बल्कि गोबर से भी हर साल करीबन 15 लाख रुपए से ज्यादा कमाई कर लेता है. यह किसान हर साल बड़े पैमाने पर गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर इसे राजधानी और आसपास के जिलों में सप्लाई करता है. भोपाल से करीबन 20 किलोमीटर दूर स्थित परवलिया गांव के किसान मनोहर पाटीदार को जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि कर्मण सहित कई अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.

1 माह में तैयार होती है 3 क्विटंल खाद: किसान मनोहर पाटीदार ने बताया कि, "उन्हें हमेशा से खेती में प्रयोग करना पसंद है. साल 2 हजार में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद की शुरूआत हुई तो मैंने इसे अपनाया. कृषि विभाग से ट्रेनिंग ली और फिर इसे करना शुरू कर दिया." वे कहते हैं, "आज उनके 30 एकड़ खेत पर सिर्फ वर्मी कंपोस्ट का ही उपयोग होता है. जैविक खेती के अलावा जैविक दवाओं का ही उपयोग किया जाता है. यह खाद भी वे खुद ही तैयार करते हैं. वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए आसपास के गांवों से हर माह करीबन 10 से 12 ट्रॉली गोबर खरीदते हैं, जिससे हर माह 3 सौ क्विंटल तक वर्मी कंपोस्ट तैयार होता है."

40/60 की एरिया में तैयार होती है खाद: किसान मनोहर पाटीदार कहते हैं, "पहले बड़े स्तर पर वर्मी कंपोस्ट तैयार करते थे, लेकिन अब सिर्फ 40 बाय 60 एरिया में ही जैविक खाद तैयार किया जाता है. इस एरिया में हर माह करीबन 300 क्विंटल खाद तैयार होती है, जिसे वे 800 रुपए क्विंटल बेचते हैं. इस तरह साल भर में वे करीबन 15 लाख रुपए की वर्मी कंपोस्ट बेच देते हैं. यह खाद आसपास के जिलों के अलावा हर्टिकल्चर का काम करने वाली कंपनियां सीधे खरीद लेती हैं."

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30 दिन में तैयार हो जाता है वर्मी कंपोस्ट: वर्मी कंपोस्ट आमतौर पर 45 दिन में तैयार होता है, लेकिन यह काफी हद तक केंचुओं पर निर्भर करता है. वे आर्सिना फोर्टिडा किस्म का केंचुआ ही उपयोग में लाते हैं, जिसकी उत्पादकता अच्छी होती है. यह खाद भी काफी तेजी से बनाता है. इससे 45 दिन की वर्मी कंपोस्ट 30 दिन में ही बनकर तैयार हो जाती है. उधर, कृषि विशेषज्ञ आरपी श्रीवास्तव कहते हैं कि, "खेती को अगर ठीक से किया जाए तो यह फायदे का सौदा साबित हो सकती है, लेकिन इसके लिए किसान को सिर्फ फसल पर ही निर्भर न रहकर इसके साथ दूसरे प्रयोग भी खेती में करने होंगे".

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