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MP cheetahs: आखिर चीते कूनो से बार-बार क्यों जा रहे हैं बाहर, एक्सपर्ट ने बताई बड़ी वजह

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने कूनो नेशनल पार्क से चीतों के बार-बार बाहर आने की वजह बताई है. एक्सपर्ट के मुताबिक चीते का रिहायशी इलाके के आसपास जाना सामान्य बात है. वन्य जीवों को मवेशियों का लालच ही रिहायशी इलाकों के आसपास लेकर जाता है. चीतों की रफ्तार आम जानवरों से ज्यादा होती है, इसलिए कई बार 20 किलोमीटर दूर तक पहुंच जाते हैं.

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चीते कूनो से क्यों जा रहे हैं बाहर
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Published : Apr 7, 2023, 6:00 PM IST

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क से फरार हुए चीते ओवान को वन्य विशेषज्ञों की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो में छोड़ दिया है. चीतों के बार-बार कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलने और रिहायशी इलाकों के पास पहुंचने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने इसकी एक बड़ी वजह बताई है. विशेषज्ञों के मुताबिक ''देश में आमतौर पर वन्यजीव 65 फीसदी शिकार मवेशियों का ही करते हैं और यही वजह है कि शिकार के लालच में कई बार वे गांवों के आसपास पहुंच जाते हैं. चीते का रिहायशी इलाके के आसपास जाना भी सामान्य है.''

9 लोगों की टीम करती है निगरानी: रिहायशी इलाकों के पास पहुंचने के चलते चीता ओवान को ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो लाए जाने के बाद वन अमले ने राहत की सांस ली है. कूनो नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा इसे रूटीन प्रैक्टिस बताते हैं. उनके मुताबिक ''जंगल में छोड़े जाने के बाद अब चीते फ्री हैं, वे कहीं भी जा सकते हैं. हम उन पर कोई बंदिश नहीं लगा सकते. उन्हें सिर्फ इसलिए ट्रेंकुलाइन किया गया है, क्योंकि वे कूनों से सटे रिहायशी इलाकों के आसपास बार-बार पहुंच रहे थे. इस वजह से उन्हें या किसी और कोई कोई नुकसान न हो, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया. सभी चीतों के गले में कॉलर आईडी है, इसलिए उनकी लाइव लोकेशन लगातार मिलती रहती है. एक चीते के पीछे 3-3 की शिफ्ट में वन अमला काम करता है. यह अमला हमेशा गाड़ी से इनकी निगरानी करता है. चीतों की रफ्तार आम जानवरों से ज्यादा होती है, इसलिए कई बार यह एक रात में ही 20 किलोमीटर दूर पहुंच जाते हैं.''

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मवेशी के शिकार का लालच: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. सुदेश बाघमारे कहते हैं कि ''आमतौर पर वन्य प्राणियों को मवेशियों का लालच ही रिहायशी इलाकों के आसपास लेकर जाता है. हमारे यहां वन्य प्राणी 65 फीसदी मवेशियों का ही शिकार करते हैं, जबकि 35 फीसदी जंगली जानवरों का शिकार होता है. इसलिए चीतों का बार-बार गांवों के आसपास जाना सामान्य है. इसकी चर्चा इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसकी निगरानी ज्यादा हो रही है. इसको लेकर वन अमला ज्यादा अलर्ट है ताकि कोई इसे नुकसान न पहुंचा सके और दूसरों को भी उससे कोई नुकसान न पहुंचे."

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क से फरार हुए चीते ओवान को वन्य विशेषज्ञों की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो में छोड़ दिया है. चीतों के बार-बार कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलने और रिहायशी इलाकों के पास पहुंचने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने इसकी एक बड़ी वजह बताई है. विशेषज्ञों के मुताबिक ''देश में आमतौर पर वन्यजीव 65 फीसदी शिकार मवेशियों का ही करते हैं और यही वजह है कि शिकार के लालच में कई बार वे गांवों के आसपास पहुंच जाते हैं. चीते का रिहायशी इलाके के आसपास जाना भी सामान्य है.''

9 लोगों की टीम करती है निगरानी: रिहायशी इलाकों के पास पहुंचने के चलते चीता ओवान को ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो लाए जाने के बाद वन अमले ने राहत की सांस ली है. कूनो नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा इसे रूटीन प्रैक्टिस बताते हैं. उनके मुताबिक ''जंगल में छोड़े जाने के बाद अब चीते फ्री हैं, वे कहीं भी जा सकते हैं. हम उन पर कोई बंदिश नहीं लगा सकते. उन्हें सिर्फ इसलिए ट्रेंकुलाइन किया गया है, क्योंकि वे कूनों से सटे रिहायशी इलाकों के आसपास बार-बार पहुंच रहे थे. इस वजह से उन्हें या किसी और कोई कोई नुकसान न हो, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया. सभी चीतों के गले में कॉलर आईडी है, इसलिए उनकी लाइव लोकेशन लगातार मिलती रहती है. एक चीते के पीछे 3-3 की शिफ्ट में वन अमला काम करता है. यह अमला हमेशा गाड़ी से इनकी निगरानी करता है. चीतों की रफ्तार आम जानवरों से ज्यादा होती है, इसलिए कई बार यह एक रात में ही 20 किलोमीटर दूर पहुंच जाते हैं.''

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मवेशी के शिकार का लालच: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. सुदेश बाघमारे कहते हैं कि ''आमतौर पर वन्य प्राणियों को मवेशियों का लालच ही रिहायशी इलाकों के आसपास लेकर जाता है. हमारे यहां वन्य प्राणी 65 फीसदी मवेशियों का ही शिकार करते हैं, जबकि 35 फीसदी जंगली जानवरों का शिकार होता है. इसलिए चीतों का बार-बार गांवों के आसपास जाना सामान्य है. इसकी चर्चा इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसकी निगरानी ज्यादा हो रही है. इसको लेकर वन अमला ज्यादा अलर्ट है ताकि कोई इसे नुकसान न पहुंचा सके और दूसरों को भी उससे कोई नुकसान न पहुंचे."

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