भोपाल। क्या वजह है कि एमपी के विधानसभा चुनाव में गैस पीड़ित अब चुनावी मुद्दा नहीं रहे. क्या वजह है कि सियासी दलों के चुनावी एजेंडे में गायब हैं दुनिया की सबसे भीषण त्रासदी के शिकार. भोपाल में अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में रह रहे पांच लाख से ज्यादा लोग अब भी इस त्रासदी के शिकार हैं. लेकिन इस त्रासदी की सबसे बड़ी गवाह और शिकार जेपी नगर बस्ती में तो हर दूसरे घर में गैस त्रासदी के निशां हैं. ईटीवी भारत ने चुनावी माहौल के बीच इस बस्ती का जायजा लिया. गैस पीड़ित बस्ती से ईटीवी भारत की ग्राउण्ड रिपोर्ट.
चुनावी शोर नहीं....सन्नाटे में डूबी बस्ती: जिस बस्ती में 38 साल पहले लाशों के ढेर थे...अब वहां चुनिंदा लोग देहरी दरवाजे पर बैठे दिखाई देते हैं. लेकिन झड़ते बाल उम्र से पहले आई झुर्रियां और हांफती आवाज उनके बोलने से पहले बता देती है कि वे गैस पीड़ित हैं. जमीला बी भी उन्ही में से एक हैं जो हमारे कुछ पूछने से पहले कह देती हैं..., बहुत भाषण दे चुके अब हिम्मत नहीं है. फाईलों के ढेर पहुंच गए अमरीका, पर हुआ कुछ नहीं. नेता आए थे वोट मांगने, इस सवाल पर कहती हैं आए थे हमेशा आते हैं, करता कोई कुछ नहीं. वोट देंगी इस सवाल पर खुलकर कहती हैं ''उसे वोट दूंगी जो हमारी सुनेगा.'' जमीला बताती हैं कि ''तीन दिसम्बर को तो यहां मेला लगता है. इतनी भीड़ होती है पर होता कुछ नहीं.''
कौन नेता हमें जहरीले पानी से मुक्ति दिलाएगा: गैस कांड को सादिक खान ने अपनी आंखों से नहीं देखा. लेकिन अपने साथ आने वाली पीढियों को इस त्रासदी को भोगते देखा है. सादिक कहते हैं ''गैस राहत विभाग बना, लेकिन उसके बावजूद गैस पीड़ितों की इंसाफ की लड़ाई अब भी जारी है. 25 हजार का मुआवजा देकर ये समझ लिया गया कि हो गई भरपाई. और तो छोड़िए इलाज के बंदोबस्त नहीं है. वोट लेने आने वाली पार्टियां भी केवल वादे करती हैं. सरकार बनने के बाद गैस पीड़ितों को सबसे पहले भुला दिया जाता है.'' सादिक खान कहते हैं कि ''हम अब भी जहरीला पानी पी रहे हैं. सवाल ये है कि कौन सा राजनीतिक दल कौन सा नेता हमें जहरीले पानी से मुक्ति दिलाएगा.'' सादिक वोट के बहिष्कार की बात नहीं करते बल्कि कहते हैं ''वोट देंगे दबाव तो पड़ेगा ना कि हमने उम्मीद रखी है.''
गैस पीड़ितों की संख्या पांच लाख से ऊपर: जेपी नगर जैसी बस्तियों के इतर भी भोपाल शहर के अलग अलग हिस्सों में गैस पीड़ित मौजूद हैं. जो जहरीला रिसाव हुआ उसकी वजह से भोपाल के अलग अलग हिस्सो में लोगों को लंबे समय की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गईं. कई दिव्यांग हुए और कईयों को लंबी स्वास्थ्य समस्याएं हो गईं. यूनियन कार्बाइड के आस पास की करीब 42 ऐसी बस्तियां हैं जहां का पानी जहरीला हो चुका है.