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क्या कमलनाथ के तारणहार बने बागेश्वर सरकार, मोदी की आंधी भी नहीं ढहा पाई कांग्रेस का दुर्ग छिंदवाड़ा

Bageshwar Katha Connection With Chhindwara:एमपी चुनाव में जहां सभी दिग्गजों को पटखनी मिली, वहीं कमलनाथ अपने गढ़ को बचाए रखने में कामयाब रहे. बीजेपी कमलनाथ के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाई. क्या बागेश्वर सरकार की कथा का दिखा असर...

Bageshwar Katha connection with Chhindwara
बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 5, 2023, 8:55 PM IST

Updated : Dec 5, 2023, 9:09 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों ने जनता से लेकर नेताओं तक को चौंकाया है. मोदी मैजिक और शिवराज की लाड़ली बहना योजना की ऐसी लहर दौड़ी कि प्रदेश में बीजेपी को बहुमत की सरकार मिली. ऐसी प्रचंड जीत के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था. कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को इस चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. तो वहीं बीजेपी के भी कई दिग्गज नेताओं को करारी हार मिली. बहरहाल सबसे बड़ा सवाल यह है कि जहां प्रदेश में कांग्रेस को इतनी बुरी हार मिली, ऐसी मोदी-शिवराज लहर में भी बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को नहीं भेद पाई. कहीं इसकी वजह बागेश्वर सरकार तो नहीं?

एमपी चुनाव में चर्चाओं में बागेश्वर सरकार की कथा: दरअसल, बागेश्वर सरकार के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जिक्र इसलिए हो रहा है, क्योंकि एमपी के चुनाव में धीरेंद्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा सबसे ज्यादा चर्चाओं में थे. बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने एक के बाद एक इन दोनों कथावाचकों की कथा अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में कराई थी. इन कथाओं के जरिए नेता जनता को साधने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि जनता के बीच पहुंचने का यह सबसे आसान तरीका था. बीजेपी के नेताओं की तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी छिंदवाड़ा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री की 3 दिवसीय और प्रदीप मिश्रा की 5 दिवसीय कथा कराई थी.

Bageshwar Katha connection with Chhindwara
छिंदवाड़ा में बागेश्वर सरकार की कथा की तस्वीर

कथा कराने पर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं ने घेरा: यह कथा काफी चर्चाओं और विवादों में रही थी. बागेश्वर सरकार की कथा कराने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर चुनावी भक्त होने का आरोप लगाया था. कमलनाथ के हिंदू होने पर सवाल खड़े होने लगे थे. इसके अलावा कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े करते हुए निशाना साधा था. कृष्णन ने कहा था कि मुसलमानों के ऊपर “बुलडोज़र” चढ़ाने और RSS का एजेंडा हिंदू राष्ट्र की खुल्लमखुल्ला वकालत कर के “संविधान” की धज्जियां उड़ाने वाले “भाजपा” के स्टार प्रचारक की आरती उतारना कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शोभा नहीं देता. आज गांधी की आत्मा रो रही होगी और तड़प रहे होंगे पंडित नेहरू और भगत सिंह, लेकिन सैक्यूलरिज्म के ध्वज वाहक सब खामोश हैं.

बीजेपी के कई दिग्गजों ने कराई थी कथा: वहीं कमलनाथ ने सभी को जवाब देते हुए कहा था कि मुझे हमें अपने धर्म पर गर्व होना चाहिए, मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूं. कमलनाथ यहीं नहीं रुके, उन्होंने बागेश्वर सरकार की कथा कराने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा भी कराई थी. जिसका विरोध उन्हें अपनी पार्टी के कई नेताओं का झेलना पड़ा था. कमलनाथ के अलावा बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने दोनों कथावाचकों की कथा का आयोजन किया था. जिसमें विश्वास सारंग, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत भी शामिल थे.

Bageshwar Katha connection with Chhindwara
पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ कमलनाथ और नकुलनाथ

यहां पढ़ें...

मोदी की आंधी में कमलनाथ ने बचाए रखा अपना गढ़: अब जबकि चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. ऐसे में जहां कांग्रेस को विंध्य, महाकौशल, बुंदलेखंड से लेकर मालवा निमाड़ में खासा नुकसान झेलना पड़ा. इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज तो खुद अपना चुनाव नहीं जीत सके. ऐसे में कमलनाथ खुद तो करीब 37 हजार वोटों से जीते ही, साथ ही उन्होंने अपना गढ़ भी बचाए रखा. बता दें छिंदवाड़ा जिले की 7 सीटों पर बीजेपी कमल नहीं खिला सकी. जबकि छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में बीजेपी ने मोनिका शाह बट्टी को टिकट दिया था, लेकिन कांग्रेस के कमलेश शाह ने करीब 25 हजार वोटों से मोनिका हरा दिया. वहीं सौसर और जुन्नारदेव में भी बीजेपी को तगड़ी हार मिली है. तो क्या यह कहा जा सकता है कि बागेश्वर सरकार की कृपा कमलनाथ पर बरस गई और कथा कराने का उन्हें फायदा मिला.

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों ने जनता से लेकर नेताओं तक को चौंकाया है. मोदी मैजिक और शिवराज की लाड़ली बहना योजना की ऐसी लहर दौड़ी कि प्रदेश में बीजेपी को बहुमत की सरकार मिली. ऐसी प्रचंड जीत के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था. कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को इस चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. तो वहीं बीजेपी के भी कई दिग्गज नेताओं को करारी हार मिली. बहरहाल सबसे बड़ा सवाल यह है कि जहां प्रदेश में कांग्रेस को इतनी बुरी हार मिली, ऐसी मोदी-शिवराज लहर में भी बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को नहीं भेद पाई. कहीं इसकी वजह बागेश्वर सरकार तो नहीं?

एमपी चुनाव में चर्चाओं में बागेश्वर सरकार की कथा: दरअसल, बागेश्वर सरकार के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जिक्र इसलिए हो रहा है, क्योंकि एमपी के चुनाव में धीरेंद्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा सबसे ज्यादा चर्चाओं में थे. बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने एक के बाद एक इन दोनों कथावाचकों की कथा अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में कराई थी. इन कथाओं के जरिए नेता जनता को साधने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि जनता के बीच पहुंचने का यह सबसे आसान तरीका था. बीजेपी के नेताओं की तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी छिंदवाड़ा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री की 3 दिवसीय और प्रदीप मिश्रा की 5 दिवसीय कथा कराई थी.

Bageshwar Katha connection with Chhindwara
छिंदवाड़ा में बागेश्वर सरकार की कथा की तस्वीर

कथा कराने पर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं ने घेरा: यह कथा काफी चर्चाओं और विवादों में रही थी. बागेश्वर सरकार की कथा कराने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर चुनावी भक्त होने का आरोप लगाया था. कमलनाथ के हिंदू होने पर सवाल खड़े होने लगे थे. इसके अलावा कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े करते हुए निशाना साधा था. कृष्णन ने कहा था कि मुसलमानों के ऊपर “बुलडोज़र” चढ़ाने और RSS का एजेंडा हिंदू राष्ट्र की खुल्लमखुल्ला वकालत कर के “संविधान” की धज्जियां उड़ाने वाले “भाजपा” के स्टार प्रचारक की आरती उतारना कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शोभा नहीं देता. आज गांधी की आत्मा रो रही होगी और तड़प रहे होंगे पंडित नेहरू और भगत सिंह, लेकिन सैक्यूलरिज्म के ध्वज वाहक सब खामोश हैं.

बीजेपी के कई दिग्गजों ने कराई थी कथा: वहीं कमलनाथ ने सभी को जवाब देते हुए कहा था कि मुझे हमें अपने धर्म पर गर्व होना चाहिए, मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूं. कमलनाथ यहीं नहीं रुके, उन्होंने बागेश्वर सरकार की कथा कराने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा भी कराई थी. जिसका विरोध उन्हें अपनी पार्टी के कई नेताओं का झेलना पड़ा था. कमलनाथ के अलावा बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने दोनों कथावाचकों की कथा का आयोजन किया था. जिसमें विश्वास सारंग, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत भी शामिल थे.

Bageshwar Katha connection with Chhindwara
पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ कमलनाथ और नकुलनाथ

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मोदी की आंधी में कमलनाथ ने बचाए रखा अपना गढ़: अब जबकि चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. ऐसे में जहां कांग्रेस को विंध्य, महाकौशल, बुंदलेखंड से लेकर मालवा निमाड़ में खासा नुकसान झेलना पड़ा. इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज तो खुद अपना चुनाव नहीं जीत सके. ऐसे में कमलनाथ खुद तो करीब 37 हजार वोटों से जीते ही, साथ ही उन्होंने अपना गढ़ भी बचाए रखा. बता दें छिंदवाड़ा जिले की 7 सीटों पर बीजेपी कमल नहीं खिला सकी. जबकि छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में बीजेपी ने मोनिका शाह बट्टी को टिकट दिया था, लेकिन कांग्रेस के कमलेश शाह ने करीब 25 हजार वोटों से मोनिका हरा दिया. वहीं सौसर और जुन्नारदेव में भी बीजेपी को तगड़ी हार मिली है. तो क्या यह कहा जा सकता है कि बागेश्वर सरकार की कृपा कमलनाथ पर बरस गई और कथा कराने का उन्हें फायदा मिला.

Last Updated : Dec 5, 2023, 9:09 PM IST
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