भोपाल। भोपाल के रहने वाले 26 साल के हर्षित गोधा बताते हैं कि वे यूके बीबीए करने गए थे. पढ़ाई के दौरान उनका ध्यान इजराइल में बड़े स्तर पर होने वाली एवोकाडो की खेती पर गया. इजराइल का मौसम गर्म होता है. इसके बाद भी वहां इसकी सफल खेती किए जाने के बाद उन्होंने सोचा कि इसकी खेती तो मध्यप्रदेश में भी की जा सकती है. इसके बाद उन्होंने इजराइल जाकर इसकी खेती को बारीकी से सीखा.
डिमांड बढ़ने पर नर्सरी डेवलप की : हर्षित गोधा ने भोपाल के फंदा इलाके स्थित अपने फार्म हाउस के लिए 3 हजार पौधे मंगाए थे. लेकिन जब सोशल मीडिया पर इसकी खेती के बारे में किसानों से चर्चा शुरू की तो इसके पौधे की डिमांड आनी शुरू हो गई. हर्षित बताते हैं कि पहले उन्होंने अपने लिए ही एवोकाडो के पौधे मंगाए थे, लेकिन जब डिमांड बढ़ने लगी तो उन्होंने इसकी नर्सरी डेवलव की. बाद में इजराइल से 4 हजार एबोकाडो के पौधे मंगाए. इसके एक पौधे की कीमत 4 हजार रुपए रखी गई है. मंगाए गए सभी पौधे बिक चुके हैं, जिसकी जल्द ही डिलेवरी की जाएगी. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के अलावा अरुणाचल प्रदेश, सिक्कम, आसाम, गुजरात, महाराष्ट्र, कुन्नूर, पंजाब के किसानों ने पौधे मंगाए हैं. अभी कई और जगह से डिमांड आई है, लेकिन इसके पौधे मंगाए जा रहे हैं.
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आम जैसा लगाया जाता है बाग : युवा किसान हर्षित बताते हैं कि एवोकाडो का आम जैसा बाग लगाया जाता है. फिलहाल अभी जो भी किसान इसे खरीद रहे हैं, वे सिर्फ छोटे स्तर तक प्रयोग कर रहे हैं, ताकि इसकी फ्रूटिंग, टेस्ट आदि को देखा जा सके. एवोकाडो का पेड़ 30 फीट तक ऊंचा होता है, लेकिन 10 से 15 फीट तक बढ़ने पर इसे ऊपर से काट दिया जाता है. इसकी फ्रूटिंग 3 साल बाद आनी शुरू हो जाती है. एवोकाडो का फल रिटेल में 1400 रुपए किलो बिकता है. वे बताते हैं कि साउथ में कुछ जगह एवोकाडो की खेती हुई है, लेकिन उसे किसानों से फल के बीज से ही तैयार किया. इस वजह से उसमें फ्रूटिंग और टेस्ट वैसा नहीं आया, लेकिन कमर्शियली वे पहली बार इस पर काम कर रहे हैं.