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मध्यप्रदेश उपचुनाव: 15 साल V/s 15 महीने का महामुकाबला, आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

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Published : Oct 1, 2020, 6:24 PM IST

उपचुनाव की तारीख का एलान होते ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां एक्टिव मोड में आ गई हैं. एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर शुरू हो गया है.

war between congress and bjp
15 साल Vs 15 महीने का महाकुाबला

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीख का एलान कर दिया है. ये उपचुनाव मध्यप्रदेश में सत्ता किसकी होगी, यह तय करेगा. जिन परिस्थितियों में उपचुनाव हो रहे हैं. उनमें कमलनाथ सरकार को हटाकर सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि, 15 महीने में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया और जनता के साथ वादाखिलाफी की. वहीं कांग्रेस भी लगातार बीजेपी के आरोपों का जवाब दे रही है.

15 साल Vs 15 महीने का महाकुाबला

उपचुनाव में अपनी जीत दर्ज कराने के लिए दोनों ही पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. जिसे लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है. दोनों ही पार्टियां लगातार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रही हैं. बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि, कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 15 महीनों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया, जिसका जवाब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के 15 सालों के कामकाज पर सवाल खड़े करके दिया है. कांग्रेस बीजेपी और शिवराज सिंह को चुनौती दे रही है कि, 15 साल की भाजपा की सरकार और 15 महीने की कांग्रेस सरकार पर खुले मंच पर बहस करा दी जाए.

उपचुनाव में विकास का मुद्दा गुम

प्रदेश की राजनीति में मुद्दों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि, इस चुनाव में विकास का मुद्दा गुम हो गया है. सिर्फ एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है, फिर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी सब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.

कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल पर सवाल

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार, सिंधिया समर्थकों की बगावत के कारण गिर गई थी. कांग्रेस से बगावत को लेकर सिंधिया और उनके समर्थकों का आरोप रहा है कि, कमलनाथ सरकार ने वचन पत्र में जो वादे किए थे, वो निभाए नहीं हैं, इसलिए उन्हें जनता के हक में खड़ा होना पड़ा और कांग्रेस से बगावत करनी पड़ी. वहीं उपचुनाव के हालात बनते ही भाजपा लगातार कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल पर सवाल खड़े कर रही है और अपने 15 साल के कार्यकाल को मध्यप्रदेश का स्वर्णिम अध्याय बता रही है.

बीजेपी ने लगाए कई आरोप

बीजेपी का कहना है कि, चाहे कर्जमाफी हो, बेरोजगारों को रोजगार देने का मामला हो या फिर कन्यादान योजना हो, कांग्रेस ने वचन पत्र में जो भी वादे किए थे, उन सब बातों को लेकर वादाखिलाफी की है. 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. बीजेपी के इन आरोपों पर कांग्रेस जहां अपनी उपलब्धियां बताकर जवाब दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिवराज सरकार के 15 साल के कार्यकाल की नाकामियों का काल बता रही है. कांग्रेस का कहना है कि, 15 साल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बदहाल कर सत्ता से बेदखल हुई शिवराज सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया है, चाहे व्यापमं घोटाल हो या ई- टेंडर घोटाला. बीते छह महीने में कोरोना काल में भी उन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का ये हैं मानना

दूसरी तरफ मौजूदा राजनीति को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, कोरोना के चलते जमीन पर चुनावी माहौल नदारद है. लोगों में ना के बराबर उत्साह है. खास बात ये है कि, इस चुनाव से विकास का मुद्दा गायब है और दोनों दल एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं, इन आरोपों से दोनों ही पार्टियां बची नहीं हैं और जनता सब जानती है.

कांग्रेस के कार्यकाल को बताया मक्कारी

मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया का कहना है कि, 'कांग्रेस की सरकार जिस वचन पत्र और वादों पर बनी थी, उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया है. चुनाव के समय कुछ और वादे थे और सरकार बनने के बाद धरातल पर कुछ और हुआ. किसान कर्ज माफी, महिला स्व- सहायता समूह की कर्जमाफी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ते जैसे काम नहीं हुए हैं. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत जिन बेटियों की शादी के लिए 51 हजार की घोषणा की गई थी, वो पूरी नहीं हुई है. संबल योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना बंद कर दी गई है, इसको हमारे यहां की भाषा में मक्कारी कहते हैं'.

बीजेपी ने अपने कार्यकाल को बताया वफादारी काल

बीजेपी का आरोप है कि, 'कमलनाथ ने अपने 15 महीने की कांग्रेस सरकार ने सिर्फ मक्कारी करने का काम किया है. इन मक्कार नेताओं ने कमलनाथ के मंत्रिमंडल के लोगों ने मक्कारी के सिवा कुछ नहीं किया. एक तरफ 15 महीने की मक्कारी है, तो वहीं दूसरी तरफ 15 साल की शिवराज सिंह की संवेदनशील सरकार, जिसने मध्य प्रदेश की जनता के साथ वफादारी की है. हम उस 15 साल की वफादारी को लेकर वोट मांगने जाएंगे. यह उपचुनाव कांग्रेस की 15 माह की सरकार की मक्कारी और बीजेपी की शिवराज सरकार की 15 साल की वफादारी के बीच होने वाला है'.

'बीजेपी का 15 साल बर्बादी वाला कार्यकाल'

मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि, '15 साल का जो बीजेपी का कार्यकाल था, वह बर्बादी वाला कार्यकाल था. इसलिए जनता ने शिवराज सिंह को घर बिठाया और नकार दिया. दूसरी तरफ 15 महीने में ऐसे काम हुए, जो 15 साल में एक भी किए हो तो बताएं ? 15 साल में शिवराज सरकार ने एक भी सरकारी गौशाला नहीं बनाई. कमलनाथ ने 15 महीने में एक हजार गौशालाएं बना दीं. वहीं 15 साल तक केंद्र और सारे राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाई, लेकिन 15 साल तक मध्य प्रदेश की सरकार ने नहीं बढ़ाई'.

'बीजेपी का 15 साल झूठ का साल'

कांग्रेस का कहना है कि, 'कमलनाथ सरकार ने आते ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन दोगुनी कर दी. 27% आरक्षण का झोल भाजपा 15 साल से दे रही थीं, लेकिन फैसला कमलनाथ ने किया. यह तो झूठ की राजनीति करने वाले लोग हैं. ये 15 साल झूठ का साल है'. उन्होंने कहा कि, 'आप कल्पना कीजिए कि एक मुख्यमंत्री को एक व्यक्ति की पदस्थापना इसलिए करनी पड़ी कि, वो पता लगाए की कांग्रेस ने क्या-क्या घोषणाएं की हैं. यह परिस्थिति जिस सरकार की है, वह सरकार कितनी छल से भरी होगी, यह उसका प्रमाण है'.

इस चुनाव विकास कोई मुद्दा नहीं

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक जगदीप सिंह बैस कहते हैं कि, मध्यप्रदेश में उपचुनाव होने जा रहे हैं. निश्चित तौर पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाएगी, यह कोई नई बात नहीं है. इस चुनाव में देखने में आ रहा है कि, विकास कोई मुद्दा ही नहीं है. दोनों पार्टियां एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम कर रही हैं. गांव और शहरों में देखे तो वहां का माहौल कोरोना के कारण चुनाव में रुचि नहीं दिखा रहा है.

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीख का एलान कर दिया है. ये उपचुनाव मध्यप्रदेश में सत्ता किसकी होगी, यह तय करेगा. जिन परिस्थितियों में उपचुनाव हो रहे हैं. उनमें कमलनाथ सरकार को हटाकर सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि, 15 महीने में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया और जनता के साथ वादाखिलाफी की. वहीं कांग्रेस भी लगातार बीजेपी के आरोपों का जवाब दे रही है.

15 साल Vs 15 महीने का महाकुाबला

उपचुनाव में अपनी जीत दर्ज कराने के लिए दोनों ही पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. जिसे लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है. दोनों ही पार्टियां लगातार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रही हैं. बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि, कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 15 महीनों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया, जिसका जवाब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के 15 सालों के कामकाज पर सवाल खड़े करके दिया है. कांग्रेस बीजेपी और शिवराज सिंह को चुनौती दे रही है कि, 15 साल की भाजपा की सरकार और 15 महीने की कांग्रेस सरकार पर खुले मंच पर बहस करा दी जाए.

उपचुनाव में विकास का मुद्दा गुम

प्रदेश की राजनीति में मुद्दों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि, इस चुनाव में विकास का मुद्दा गुम हो गया है. सिर्फ एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है, फिर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी सब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.

कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल पर सवाल

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार, सिंधिया समर्थकों की बगावत के कारण गिर गई थी. कांग्रेस से बगावत को लेकर सिंधिया और उनके समर्थकों का आरोप रहा है कि, कमलनाथ सरकार ने वचन पत्र में जो वादे किए थे, वो निभाए नहीं हैं, इसलिए उन्हें जनता के हक में खड़ा होना पड़ा और कांग्रेस से बगावत करनी पड़ी. वहीं उपचुनाव के हालात बनते ही भाजपा लगातार कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल पर सवाल खड़े कर रही है और अपने 15 साल के कार्यकाल को मध्यप्रदेश का स्वर्णिम अध्याय बता रही है.

बीजेपी ने लगाए कई आरोप

बीजेपी का कहना है कि, चाहे कर्जमाफी हो, बेरोजगारों को रोजगार देने का मामला हो या फिर कन्यादान योजना हो, कांग्रेस ने वचन पत्र में जो भी वादे किए थे, उन सब बातों को लेकर वादाखिलाफी की है. 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. बीजेपी के इन आरोपों पर कांग्रेस जहां अपनी उपलब्धियां बताकर जवाब दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिवराज सरकार के 15 साल के कार्यकाल की नाकामियों का काल बता रही है. कांग्रेस का कहना है कि, 15 साल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बदहाल कर सत्ता से बेदखल हुई शिवराज सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया है, चाहे व्यापमं घोटाल हो या ई- टेंडर घोटाला. बीते छह महीने में कोरोना काल में भी उन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का ये हैं मानना

दूसरी तरफ मौजूदा राजनीति को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, कोरोना के चलते जमीन पर चुनावी माहौल नदारद है. लोगों में ना के बराबर उत्साह है. खास बात ये है कि, इस चुनाव से विकास का मुद्दा गायब है और दोनों दल एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं, इन आरोपों से दोनों ही पार्टियां बची नहीं हैं और जनता सब जानती है.

कांग्रेस के कार्यकाल को बताया मक्कारी

मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया का कहना है कि, 'कांग्रेस की सरकार जिस वचन पत्र और वादों पर बनी थी, उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया है. चुनाव के समय कुछ और वादे थे और सरकार बनने के बाद धरातल पर कुछ और हुआ. किसान कर्ज माफी, महिला स्व- सहायता समूह की कर्जमाफी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ते जैसे काम नहीं हुए हैं. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत जिन बेटियों की शादी के लिए 51 हजार की घोषणा की गई थी, वो पूरी नहीं हुई है. संबल योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना बंद कर दी गई है, इसको हमारे यहां की भाषा में मक्कारी कहते हैं'.

बीजेपी ने अपने कार्यकाल को बताया वफादारी काल

बीजेपी का आरोप है कि, 'कमलनाथ ने अपने 15 महीने की कांग्रेस सरकार ने सिर्फ मक्कारी करने का काम किया है. इन मक्कार नेताओं ने कमलनाथ के मंत्रिमंडल के लोगों ने मक्कारी के सिवा कुछ नहीं किया. एक तरफ 15 महीने की मक्कारी है, तो वहीं दूसरी तरफ 15 साल की शिवराज सिंह की संवेदनशील सरकार, जिसने मध्य प्रदेश की जनता के साथ वफादारी की है. हम उस 15 साल की वफादारी को लेकर वोट मांगने जाएंगे. यह उपचुनाव कांग्रेस की 15 माह की सरकार की मक्कारी और बीजेपी की शिवराज सरकार की 15 साल की वफादारी के बीच होने वाला है'.

'बीजेपी का 15 साल बर्बादी वाला कार्यकाल'

मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि, '15 साल का जो बीजेपी का कार्यकाल था, वह बर्बादी वाला कार्यकाल था. इसलिए जनता ने शिवराज सिंह को घर बिठाया और नकार दिया. दूसरी तरफ 15 महीने में ऐसे काम हुए, जो 15 साल में एक भी किए हो तो बताएं ? 15 साल में शिवराज सरकार ने एक भी सरकारी गौशाला नहीं बनाई. कमलनाथ ने 15 महीने में एक हजार गौशालाएं बना दीं. वहीं 15 साल तक केंद्र और सारे राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाई, लेकिन 15 साल तक मध्य प्रदेश की सरकार ने नहीं बढ़ाई'.

'बीजेपी का 15 साल झूठ का साल'

कांग्रेस का कहना है कि, 'कमलनाथ सरकार ने आते ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन दोगुनी कर दी. 27% आरक्षण का झोल भाजपा 15 साल से दे रही थीं, लेकिन फैसला कमलनाथ ने किया. यह तो झूठ की राजनीति करने वाले लोग हैं. ये 15 साल झूठ का साल है'. उन्होंने कहा कि, 'आप कल्पना कीजिए कि एक मुख्यमंत्री को एक व्यक्ति की पदस्थापना इसलिए करनी पड़ी कि, वो पता लगाए की कांग्रेस ने क्या-क्या घोषणाएं की हैं. यह परिस्थिति जिस सरकार की है, वह सरकार कितनी छल से भरी होगी, यह उसका प्रमाण है'.

इस चुनाव विकास कोई मुद्दा नहीं

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक जगदीप सिंह बैस कहते हैं कि, मध्यप्रदेश में उपचुनाव होने जा रहे हैं. निश्चित तौर पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाएगी, यह कोई नई बात नहीं है. इस चुनाव में देखने में आ रहा है कि, विकास कोई मुद्दा ही नहीं है. दोनों पार्टियां एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम कर रही हैं. गांव और शहरों में देखे तो वहां का माहौल कोरोना के कारण चुनाव में रुचि नहीं दिखा रहा है.

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