भोपाल। अपनी मां को दुर्घटना में खोने के बाद उसके अंगदान का फैसला करने वाले 10 साल के मयंक ने अपनी मां का अंतिम संस्कार भी एक नए संदेश के साथ किया. मयंक ने अपनी मां की याद में उनकी चिंता की राख से कदम, शीशम, नीम, पीपल, अशोक और तुलसी के पौधों का पौधारोपण किया और समाज को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का संदेश दिया.
पिता को पहले ही खोने के बाद मां को खोने वाले मयंक के अंगदान के साहसिक फैसले को देखते हुए सिंधु भवन ट्रस्ट ने अब उसकी पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप की घोषणा की. ट्रस्ट के अध्यक्ष जयपाल सचदेवा ने मयंक की बहादुरी को देखते हुए यह तय किया कि उसकी आगे की पढ़ाई के लिए ट्रस्ट मदद करेगा.
23 जनवरी को मयंक की मां दिशा छवानी एक दुर्घटना का शिकार हो गयी थी, जिसके 2 दिन बाद डॉक्टर्स ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. अपनी मां को खोने के बाद मयंक ने यह तय किया कि वह मां के अंगदान कर दूसरों को ज़िंदगी देगा. बता दें कि मयंक के पिता भी अब इस दुनिया में नहीं है. मयंक की परवरिश का जिम्मा अब उसके बड़े पिता जगदीश छवानी के ऊपर है, जिन्होंने ही मयंक को अंगदान का फैसला लेने के लिए प्रेरित किया था.