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पंजाब के बाद MP में बढ़े खेतों में आग लगाने के मामले, प्रदूषण के मामले में दिल्ली जैसे न हो जाएं हालात - कृषि विभाग के अधिकारी भी चिंतित

पंजाब-हरियाणा में खेतों में आग लगाने से दिल्ली में हर साल प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचता है. मध्यप्रदेश में भी प्रदूषण की ऐसी स्थिति हो सकती है. फसल की कटाई के बाद बचे अवशेष यानी नरवाई को जलाने के मामले में मध्यप्रदेश देश में दूसरे स्थान (Cases of fire in fields increased MP) पर पहुंच गया है. पिछले दो माह में मध्यप्रदेश में 12 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. पंजाब के बाद देश में यह सबसे ज्यादा ज्यादा नरवाई जलाने जाने का आंकड़ा है.

After Punjab cases of fire in fields increased in MP
पंजाब के बाद MP में बढ़े खेतों में आग लगाने के मामले
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Published : Jan 5, 2023, 3:24 PM IST

पंजाब के बाद MP में बढ़े खेतों में आग लगाने के मामले

भोपाल। मध्यप्रदेश में नरवाई जलाने के बढ़ने मामलों को देखते हुए कृषि अधिकारी भी चिंतित हैं और लगातार किसानों को समझाइश दी जा रही है. इसके बाद भी हालात चिंतनीय हैं. मध्यप्रदेश में खेतों में आग लगाने के सबसे ज्यादा मामले जबलपुर जिले से सामने आ रहे हैं. साल 2022 में 1 अक्टूबर से लेकर 24 दिसंबर के बीच जबलपुर जिले में सबसे ज्यादा 2150 नरवाई जलाने के मामले सामने आए हैं. इसके अलावा श्योपुर जिले में 1800 मामले रिकॉर्ड किए गए.

मध्यप्रदेश में 12 हजार से ज्यादा मामले : मध्यप्रदेश में नरवाई चलाने से आग लगने के मामले में ग्वालियर भी पीछे नहीं है. ग्वालियर में 1592, सिवनी में 1130, होशंगाबाद में 1106, दतिया में 884, सतना में 568, रायसेन में 568, नर्मदापुरम में 382 और शिवपुरी में 294 नरवाई जलाने के मामले सामने आ चुके हैं. इस तरह इन दो माह में मध्यप्रदेश में 12 हजार 244 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आ चुके हैं. इस मामले में पंजाब में सबसे ज्यादा 33 हजार 922 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आए, जबकि उत्तर प्रदेश में 3297, हरियाणा में 1968 और महाराष्ट्र में सिर्फ 741 मामले सामने आए.

कृषि विभाग गंभीर : प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं को लेकर कृषि विभाग गंभीर है. मुख्यमंत्री भी कई बार मंच से किसानों से नरवाई न जलाने की अपील कर चुके हैं. कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय के डायरेक्टर राजीव चौधरी कहते हैं कि भारत सरकार की संस्था आईसीएआर की मदद से सैटेलाइट की मॉनिटरिंग कराई जाती है और खेत में आग लगाने का डाटा हर रोज मिल रहा है. जहां से भी ऐसी जानकारी मिलती है संबंधित कलेक्टर को सूचना दी जाती है. इसके बाद किसानों को समझाइश दी जा रही है.

आग का तांडव: खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलकर खाक, किसानों को लाखों का हुआ नुकसान

खेत की उर्वरक क्षमता को नुकसान : कृषि विभाग के अनुसार ऐसी घटनाओं को रोकने और नरवाई के बेहतर प्रबंधन के लिए एस्ट्रा रीपर, रीपर कम्बाइंडर जैसे कई यंत्र को प्रमोट कर रहे हैं और इस पर 40 से 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है. कृषि विशेषज्ञ प्रमोद दुबे के मुताबिक किसान पहली फसल कटते ही जल्दी दूसरी फसल लगाने के लिए जल्दबाजी में फसल के अवषेश में आग लगा देते हैं, जिससे खेत साफ हो जाए, लेकिन इससे खेत की उर्वरक क्षमता को काफी नुकसान पहुंचता है. साथ ही इसे जलाने से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है. इससे बेहतर है कि किसान रीपर जैसे यंत्रों से भूसा बनाएं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा.

पंजाब के बाद MP में बढ़े खेतों में आग लगाने के मामले

भोपाल। मध्यप्रदेश में नरवाई जलाने के बढ़ने मामलों को देखते हुए कृषि अधिकारी भी चिंतित हैं और लगातार किसानों को समझाइश दी जा रही है. इसके बाद भी हालात चिंतनीय हैं. मध्यप्रदेश में खेतों में आग लगाने के सबसे ज्यादा मामले जबलपुर जिले से सामने आ रहे हैं. साल 2022 में 1 अक्टूबर से लेकर 24 दिसंबर के बीच जबलपुर जिले में सबसे ज्यादा 2150 नरवाई जलाने के मामले सामने आए हैं. इसके अलावा श्योपुर जिले में 1800 मामले रिकॉर्ड किए गए.

मध्यप्रदेश में 12 हजार से ज्यादा मामले : मध्यप्रदेश में नरवाई चलाने से आग लगने के मामले में ग्वालियर भी पीछे नहीं है. ग्वालियर में 1592, सिवनी में 1130, होशंगाबाद में 1106, दतिया में 884, सतना में 568, रायसेन में 568, नर्मदापुरम में 382 और शिवपुरी में 294 नरवाई जलाने के मामले सामने आ चुके हैं. इस तरह इन दो माह में मध्यप्रदेश में 12 हजार 244 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आ चुके हैं. इस मामले में पंजाब में सबसे ज्यादा 33 हजार 922 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आए, जबकि उत्तर प्रदेश में 3297, हरियाणा में 1968 और महाराष्ट्र में सिर्फ 741 मामले सामने आए.

कृषि विभाग गंभीर : प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं को लेकर कृषि विभाग गंभीर है. मुख्यमंत्री भी कई बार मंच से किसानों से नरवाई न जलाने की अपील कर चुके हैं. कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय के डायरेक्टर राजीव चौधरी कहते हैं कि भारत सरकार की संस्था आईसीएआर की मदद से सैटेलाइट की मॉनिटरिंग कराई जाती है और खेत में आग लगाने का डाटा हर रोज मिल रहा है. जहां से भी ऐसी जानकारी मिलती है संबंधित कलेक्टर को सूचना दी जाती है. इसके बाद किसानों को समझाइश दी जा रही है.

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खेत की उर्वरक क्षमता को नुकसान : कृषि विभाग के अनुसार ऐसी घटनाओं को रोकने और नरवाई के बेहतर प्रबंधन के लिए एस्ट्रा रीपर, रीपर कम्बाइंडर जैसे कई यंत्र को प्रमोट कर रहे हैं और इस पर 40 से 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है. कृषि विशेषज्ञ प्रमोद दुबे के मुताबिक किसान पहली फसल कटते ही जल्दी दूसरी फसल लगाने के लिए जल्दबाजी में फसल के अवषेश में आग लगा देते हैं, जिससे खेत साफ हो जाए, लेकिन इससे खेत की उर्वरक क्षमता को काफी नुकसान पहुंचता है. साथ ही इसे जलाने से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है. इससे बेहतर है कि किसान रीपर जैसे यंत्रों से भूसा बनाएं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा.

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