भोपाल। प्रदेश में हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों में घायलों को चिकित्सीय मदद पहुंचाने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक्सीडेंट रिस्पांस सिस्टम योजना को फिर शुरू किया जाएगा. इसके तहत प्रदेश के हाईवे पर होने वाली हर दुर्घटनाओं के कारणों का अध्ययन किया जाएगा. यदि इसकी वजह रोड इंजीनियरिंग में गड़बड़ी निकली तो उन्हें दुरूस्त किया जाएगा. इसकी शुरुआत प्रदेश में फिलहाल 20 हजार किलोमीटर सड़क से की गई है. आगे इसका दायरा प्रदेश की एक लाख किलोमीटर सड़क तक बढ़ाया जाएगा. इसके तहत हाईवे के तहत एम्बुलेंस की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. (accident on mp high ways)
ब्लाॅक स्पाॅट्स को किया जाएगा दूरः एआरएस योजना के तहत प्रदेश के हाईवे पर सबसे पहले ऐसे स्थानों पर फोकस किया जा रहा है, जहां तकनीकी खामियों की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं. ऐसे तमाम ब्लाॅक स्पाॅट्स की सूची तैयार कर एमपी आरडीसी की वेबसाइट पर अपलोड की गई हैं. इन स्थानों को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. साथ ही इन स्थानों की इंजीनियरिंग सुधारी जाएगी. राज्य शासन ने इस परियोजना की जिम्मेदारी नीदरलैंड की कंपनी एआरएस ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्ट लिमिटेड को सौंपा है. (accident response system plan in mp)
एक्सीडेंट के कारणों का होगा अध्ययनः एक्सीडेंट रिस्पाॅस सिस्टम योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज भारद्वाज के मुताबिक इस परियोजना के माध्यम से प्रदेश की 20 हजार किलोमीटर सड़कों को फिलहाल कवर किया जा रहा है, जिसका दायरा आगे और बढ़ाया जाएगा. इसके माध्यम से हाईवे पर होने वाले हर एक्सीडेंट का अध्ययन किया जाएगा. पता लगाया जाएगा कि दुर्घटना की वजह क्या थी. इसके आधार पर संबंधित स्थानों पर सांकेतिक बोर्ड लगाए जाएंगे, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके. दुर्घटना होने की स्थिति में टोल फ्री नंबर 1099 पर काॅल करते ही संबंधित को एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. मरीज को नजदीकी हाॅस्पिटल पहुंचाया जाएगा. फिलहाल एमपीआरडीसी के पास 65 एम्बुलेंस हैं. यह सभी टोल नाकों पर उपलब्ध हैं, इनकी संख्या बढ़ाकर 100 की जाएगी. रिस्पांस टाइम बढ़ाने के लिए डायल 100 और 108 एम्बुलेंस को भी इससे जोड़ा गया है. (accident study in mp)
इंदौर में तीन दिन पहले सड़क हादसे में घायल छात्र की इलाज के दौरान मौत
हाईवे पर हर साल करीब 500 दुर्घटनाएंः दरअसल प्रदेश के हाईवे पर हर साल करीबन 500 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इनमें कमी लाने के लिए लंबे समय से कोशिशें चल रही हैं. पिछले साल 2021 में हाईवे पर 413 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं. जबकि साल 2020 में 514, 2019 में 617 सड़क हादसे हुए थे. इस साल अभी तक करीबन डेढ़ सौ सड़क हादसे हो चुके हैं.