भोपाल। एक तरफ शिवराज सरकार (Shivraj govt) आदिवासी (Adivasi samaj) प्रेम जताने में पीछे नहीं है, लेकिन उनके लिए चिंतित सरकार की बेरुखी का नतीजा है कि पौने चार लाख आदिवासी छात्रों (Students) के 75 करोड़ की छात्रवृत्ति (Scholarship) अटक गई है.
आदिवासी छात्रों को भूली सरकार
दरअसल, सरकार भले ही दावा करे कि आदिवासियों के लिए तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन हकीकत ये है कि जनजातीय कार्य विभाग (Tribal Affairs Department) के अफसरों की लापरवाही के चलते प्रदेश में 9वीं (9th) और 10वीं (10th) के 3 लाख 47 हजार विद्यार्थियों के 75 करोड़ की छात्रवृत्ति केंद्र में एक साल अटकी है, दरअसल इस राशि के लिए विभाग ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी नहीं भेजा. इससे छात्रों को पढ़ाई में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्र से अभी तक नहीं मिले रुपए
आदिवासी आश्रम छात्रावास और हाई स्कूल विद्यालयों में कक्षा नौवीं और दसवीं के करीब 1.78 छात्र और 1.79 छात्रओं की सीट आरक्षित हैं. इन छात्रों को प्रति छात्र के लिहाज से छात्र को 400 और छात्राओं को 600 रुपए की छात्रवृत्ति दी जाती है, लेकिन इस साल करीब 75 करोड़ रुपए केंद्र से अभी तक नहीं मिले.
छात्रवृत्ति नहीं मिलने से बढ़ी परेशानी
छात्रवृत्ति नहीं मिलने से छात्रों आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पढ़ाई के लिए दूसरों से उधार पैसे लेने पड़ते हैं. फीस जमा नहीं कर पाते. हालांकि राज्य सरकार ने अपने हिस्से के 25 करोड़ दे दिए हैं, विभाग की मंत्री मीना सिंह से पूछा गया तो उनका कहना है मप्र के हिस्से की राशि दे दी गयी है. मीना सिंह आगे कहती है कि केंन्द्र से इस बारे में अधिकारियों ने बातचीत की है, कोरोना के चलते राशि अटकी हुई है, अब जल्द ही राशि मिल जाएगी.
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मंत्री ने नहीं दिया सही जवाब
वहीं, पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम कहते हैं कि वह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से आते हैं. लगातार बच्चों के मां-बाप अधिकारियों के पास जाकर शिकायत करते हैं. उनका कहना है कि उनके पास भी आकर बच्चे शिकायत करते हैं. पूर्व मंत्री ने संबंधित विभाग के मंत्री से बात की लेकिन मंत्री की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. इसके अलावा 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाले 1,65,602 विद्यार्थी हैं. इनके लिए केंद्र से 260 करोड़ रुपए मिलने थे, इसके एवज में 197.24 करोड़ रुपए की राशि ही मिली है.