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चुनावी घोषणा बनकर रह गई किसान कल्याण योजना, 65 लाख किसानों को अभी भी इंतजार

मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने चुनावी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. जिसमें 77 लाख किसानों को योजना का लाभ मिलना था. लेकिन 65 लाख किसानों को अभी भी इंतजार है. जिनका वेरिफिकेशन तक नहीं हो सका है.

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Published : Dec 20, 2020, 12:49 AM IST

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चुनावी घोषणा बनकर रह गई किसान कल्याण योजना

भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले महीने हुए 28 विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कर्ज माफी के मुकाबले बीजेपी ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. मुख्यमंत्री कल्याण योजना में किसानों को दो बार में 4 हजार रुपए दिए जाने थे. लेकिन इस योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का हितग्राही माना गया. जिसमें 75 लाख हितग्राही किसानों में सिर्फ 12 लाख हितग्राहियों को इस योजना का लाभ मिल पाया है. जबकि 65 लाख किसानों का अभी वेरिफिकेशन भी नहीं हो सका है.

घोषणा बनकर रह गई किसान कल्याण योजना

क्या है मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 25 सितंबर को दीनदयाल जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. इस योजना को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर बनाया गया था. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में एक किसान को साल भर में तीन किश्तों में 6 हजार रूपये हासिल होते हैं. मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को दो किस्तों में 4 हजार रूपए मिलने थे. शिवराज सरकार का दावा है कि प्रदेश के 77 लाख किसानों को 1649 करोड़ रूपए सिंगल क्लिक में किसानों के खाते में डाले गए. जिसमें मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 12 लाख 50 हजार किसानों के खाते में पहली किश्त 2 हजार रूपए डाली गई.

किसान संगठनों का कहना है कि इनकी घोषणाएं चुनावी होती है, वहीं कांग्रेस की मांग है कि जिस तरह कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी के एक-एक हितग्राही की सूची जारी की थी. उसी तरह मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की सूची जारी करना चाहिए

चुनाव के समय ही याद आते हैं आती किसान

भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के प्रदेश संगठन मंत्री ओम प्रकाश गुर्जर का कहना है कि सरकार जिस तरह से किसान सम्मान निधि, बीमा या फिर मुआवजा बांटती है, वह तरीका सही नहीं है. कुछ जगह बांट देती है, कुछ जगह हितग्राहियों को लाभ नहीं मिलता. जहां-जहां चुनाव क्षेत्र होते हैं, वहां पर योजना का लाभ मिलता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि लाभ किसको मिलेगा, किसको नहीं. चुनाव के बाद से ही सरकार को किसानों की याद आती है. चुनाव आ गए हैं इसलिए सब घोषणा करते हैं. फिर वह हवा में रह जाती हैं.

किसान सम्मान निधि की सूची जारी करें सरकार

मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि लगातार चुनाव के बीच भाजपा ने जो हथकंडे अपनाए और झूठ बोला है, उनमें से एक बड़ा झूठ यह भी है, जब 65 लाख किसानों का सर्वे ही नहीं हुआ, तो फिर इस तरह का दुष्प्रचार क्यों किया गया कि डायरेक्ट और सिंगल क्लिक में किसानों के खाते में पैसे डाले गए हैं. ऐसी कौन सी क्लिक की गई, अभी तो आपको नाम ही नहीं मालूम, फिर किसको क्लिक कर दिया.

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि जिस तरह कमलनाथ ने ईमानदारी से किसान कर्ज माफी की सूची जारी की थी. मुख्यमंत्री साहस करें और किस-किस किसान के खाते में यह पैसे डाले गए हैं, इनकी सूचियां जारी करें. मध्य प्रदेश का किसान जानना चाहता है कि उनके साथ धोखा क्यों किया जा रहा है. नारा लगाया जा रहा है, पैसे दिए नहीं जा रहे हैं. हकीकत सामने आना चाहिए.

कृषि मंत्री के पास नहीं कोई जबाव

कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं कि जितनी भी योजनाएं हैं, उसके लिए मैंने अभियान चलाया है और यह अभियान एक महीने तक चलेगा. जिसमें शिक्षा, पंचायत और राजस्व विभाग के पटवारी गांव और शहर में एक-एक घर जाएंगे. उसके घर का वीडियो बनाएंगे. मकान कच्चा है, पक्का है, झुग्गी झोपड़ी या किराए का है. यदि पक्का मकान है और गरीबी रेखा में नाम है, तो गरीबी रेखा से नाम काट दिया जाएगा. उसके बाद जाति प्रमाण पत्र का काम वहीं पर करेंगे. वहीं आवेदन लेकर औपचारिकता पूरी कर आधार से जोड़ा जाएगा.

कमल पटेलने कहा कि कई लोगों को ऑनलाइन आवेदन करना नहीं आता है. इसलिए यह विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि उनसे आवेदन कराकर घर जाकर औपचारिकता पूरी करें. फिर हम जनप्रतिनिधि के माध्यम से शिविर लगाकर उन्हें वितरित करेंगे. जिससे शत-प्रतिशत लोगों को न्याय मिलेगा. जाति प्रमाण पत्र, विधवा, निराश्रित, दिव्यांग, वृद्धावस्था, गरीबी रेखा, नामांतरण और बंटवारा, फौती नामांतरण, आदिवासियों के पट्टे प्रधानमंत्री आवास और जितनी भी योजनाएं हैं. साथ में किसान सम्मान निधि एक-एक सही करके दिया जाएगा. ताकि आपकी सरकार आपके द्वार नहीं आपके घर पहुंचे.

भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले महीने हुए 28 विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कर्ज माफी के मुकाबले बीजेपी ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. मुख्यमंत्री कल्याण योजना में किसानों को दो बार में 4 हजार रुपए दिए जाने थे. लेकिन इस योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का हितग्राही माना गया. जिसमें 75 लाख हितग्राही किसानों में सिर्फ 12 लाख हितग्राहियों को इस योजना का लाभ मिल पाया है. जबकि 65 लाख किसानों का अभी वेरिफिकेशन भी नहीं हो सका है.

घोषणा बनकर रह गई किसान कल्याण योजना

क्या है मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 25 सितंबर को दीनदयाल जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. इस योजना को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर बनाया गया था. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में एक किसान को साल भर में तीन किश्तों में 6 हजार रूपये हासिल होते हैं. मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को दो किस्तों में 4 हजार रूपए मिलने थे. शिवराज सरकार का दावा है कि प्रदेश के 77 लाख किसानों को 1649 करोड़ रूपए सिंगल क्लिक में किसानों के खाते में डाले गए. जिसमें मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 12 लाख 50 हजार किसानों के खाते में पहली किश्त 2 हजार रूपए डाली गई.

किसान संगठनों का कहना है कि इनकी घोषणाएं चुनावी होती है, वहीं कांग्रेस की मांग है कि जिस तरह कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी के एक-एक हितग्राही की सूची जारी की थी. उसी तरह मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की सूची जारी करना चाहिए

चुनाव के समय ही याद आते हैं आती किसान

भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के प्रदेश संगठन मंत्री ओम प्रकाश गुर्जर का कहना है कि सरकार जिस तरह से किसान सम्मान निधि, बीमा या फिर मुआवजा बांटती है, वह तरीका सही नहीं है. कुछ जगह बांट देती है, कुछ जगह हितग्राहियों को लाभ नहीं मिलता. जहां-जहां चुनाव क्षेत्र होते हैं, वहां पर योजना का लाभ मिलता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि लाभ किसको मिलेगा, किसको नहीं. चुनाव के बाद से ही सरकार को किसानों की याद आती है. चुनाव आ गए हैं इसलिए सब घोषणा करते हैं. फिर वह हवा में रह जाती हैं.

किसान सम्मान निधि की सूची जारी करें सरकार

मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि लगातार चुनाव के बीच भाजपा ने जो हथकंडे अपनाए और झूठ बोला है, उनमें से एक बड़ा झूठ यह भी है, जब 65 लाख किसानों का सर्वे ही नहीं हुआ, तो फिर इस तरह का दुष्प्रचार क्यों किया गया कि डायरेक्ट और सिंगल क्लिक में किसानों के खाते में पैसे डाले गए हैं. ऐसी कौन सी क्लिक की गई, अभी तो आपको नाम ही नहीं मालूम, फिर किसको क्लिक कर दिया.

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि जिस तरह कमलनाथ ने ईमानदारी से किसान कर्ज माफी की सूची जारी की थी. मुख्यमंत्री साहस करें और किस-किस किसान के खाते में यह पैसे डाले गए हैं, इनकी सूचियां जारी करें. मध्य प्रदेश का किसान जानना चाहता है कि उनके साथ धोखा क्यों किया जा रहा है. नारा लगाया जा रहा है, पैसे दिए नहीं जा रहे हैं. हकीकत सामने आना चाहिए.

कृषि मंत्री के पास नहीं कोई जबाव

कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं कि जितनी भी योजनाएं हैं, उसके लिए मैंने अभियान चलाया है और यह अभियान एक महीने तक चलेगा. जिसमें शिक्षा, पंचायत और राजस्व विभाग के पटवारी गांव और शहर में एक-एक घर जाएंगे. उसके घर का वीडियो बनाएंगे. मकान कच्चा है, पक्का है, झुग्गी झोपड़ी या किराए का है. यदि पक्का मकान है और गरीबी रेखा में नाम है, तो गरीबी रेखा से नाम काट दिया जाएगा. उसके बाद जाति प्रमाण पत्र का काम वहीं पर करेंगे. वहीं आवेदन लेकर औपचारिकता पूरी कर आधार से जोड़ा जाएगा.

कमल पटेलने कहा कि कई लोगों को ऑनलाइन आवेदन करना नहीं आता है. इसलिए यह विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि उनसे आवेदन कराकर घर जाकर औपचारिकता पूरी करें. फिर हम जनप्रतिनिधि के माध्यम से शिविर लगाकर उन्हें वितरित करेंगे. जिससे शत-प्रतिशत लोगों को न्याय मिलेगा. जाति प्रमाण पत्र, विधवा, निराश्रित, दिव्यांग, वृद्धावस्था, गरीबी रेखा, नामांतरण और बंटवारा, फौती नामांतरण, आदिवासियों के पट्टे प्रधानमंत्री आवास और जितनी भी योजनाएं हैं. साथ में किसान सम्मान निधि एक-एक सही करके दिया जाएगा. ताकि आपकी सरकार आपके द्वार नहीं आपके घर पहुंचे.

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