भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को धुंए से होने वाली समस्याओं को निजात के लिए उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण का शुभारंभ उत्तर प्रदेश से कर दिया है. लेकिन मध्य प्रदेश में पहले चरण के दौरान 5 साल में 71 लाख 44 हजार परिवारों को गैस सिलेंडर दिए गए थे. इसके लिए अलग-अलग गैस एजेंसी के माध्यम से लोगों को कनेक्शन उपलब्ध कराए गए.
लेकिन इन 71 लाख 44 हजार परिवारों में से केवल 40% ही गैस सिलेंडर भरवाने के लिए गैस एजेंसी तक पहुंचे. आंकड़ों के मुताबिक सामान्य कनेक्शन धारक हर साल 10 सिलेंडर लेते हैं, वहीं उज्ज्वला योजना से जुड़े हुए ग्राहक केवल 3 से 4 गैस सिलेंडर भरवा पा रहे हैं. इसमें भी गैस एजेंसी लगातार कनेक्शन धारकों को गैस भरवाने के लिए प्रेरित कर रही है. इसका प्रमुख कारण गैस के लगातार दाम बढ़ना है.
सिर्फ 60% उज्ज्वला उपभोक्ता ही भरवा रहे सिलेंडर
राजधानी भोपाल की बात की जाए तो यहां हिंदुस्तान पेट्रोलियम के 18 हजार 197 कनेक्शन है, जिसमें जुलाई माह में ही केवल 11 हजार 500 उपभोक्ताओं ने गैस सिलेंडर रिफिल कराया है. जून माह में 8,209 उपभोक्ताओं ने सिलेंडर रिफिल करावाया. मई माह में 5,807 उपभोक्ता सिलेंडर भरवाए. यानी औसतन 60 प्रतिशत उपभोक्ता ही गैस सिलेंडर भरवाने के लिए एजेंसी तक पहुंचे हैं. जबकि 40% उपभोक्ता खरीदने में ही रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
CEEW की रिपोर्ट, 16 प्रतिशत घरों में जल रही लकड़ियां
काउंसलिंग ऑफ एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) द्वारा मार्च 2021 को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में किए गए सर्वे के अनुसार 16% घरों में आज भी पारंपरिक ईंधन (लकड़ी और कंडे) जलाए जा रहे हैं. जिसके लिए मध्य प्रदेश के 83 शहरों में सर्वे किया गया, जिसमें यह आंकड़े सामने आए. कुछ सालों में गरीब बस्तियों में एलपीजी गैस सिलेंडरों के कनेक्शन बड़े हैं, लेकिन इस्तेमाल 45 फ़ीसदी लोग ही कर रहे हैं. गैस के दाम बढ़ने से लोग प्रदूषणकारी ईंधन का निरंतर उपयोग कर रहे हैं.
45% परिवार ही कर रहे योजना का उपयोग
CEWW की रिपोर्ट के अनुसार केवल 45% ही परिवार योजना का उपयोग कर रहे हैं. गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने वाली गैस एजेंसी भी मानती है कि साल में केवल तीन से चार सिलेंडर ही उपभोक्ता भरवा रहे है. जबकि सामान्य उपभोक्ता औसतन 10 सिलेंडर भरवाते हैं, ऐसे में अभी भी गरीब तबके के लोग प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने को मजबूर हैं.
सिलेंडर भरवाने से कतरा रहे उपभोक्ता
गरीब बस्ती में रहने वाले उज्ज्वला योजना के लाभार्थी मोहम्मद बताते हैं कि गैस सिलेंडर हजार रुपए से ऊपर तक पहुंच गया है. अब मजबूरी में सिलेंडर खरीदना होता है. साथ ही जो सब्सिडी दी जा रही थी, वह भी अब बंद कर दी गई है. वहीं अन्य लाभार्थी मोहम्मद जाकिर ने बताया कि योजना के तहत पहला सिलेंडर तो फ्री में मिल गया, लेकिन आप इसका रेट बढ़ता जा रहा है. ऐसे में सिलेंडर हर महीने नहीं खरीद पाते. जिसके लिए अन्य वैकल्पिक योजना का उपयोग करना पड़ता है.
सब्जी का व्यापार करने वाले बबलू खान का कहना है कि पहले गैस सिलेंडर केवल 600 रुपए में मिल जाता था और सब्सिडी भी मिलती थी. लेकिन आज एक हजार रुपए में सिलेंडर खरीदना पड़ रहा है, ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ कम से कम गैस सिलेंडर का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन मजबूरी में घर गैस सिलेंडर खरीदना पड़ रहा है.
चोरी की बिजली से चल रहा घर का खानपान
गरीब बस्तियों में उज्ज्वला योजना के बाद भी लोग बिजली चोरी से घर का हीटर जलाकर खाना बना रहे हैं. विद्युत मंडल के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी राजकुमार गुप्ता ने बताया कि गरीब बस्तियों में अधिकांश क्षेत्र चोरी की बिजली से हीटर जलाकर खाना बनाया जाता है. जिसको लेकर लगातार बिजली विभाग सर्चिंग करता है, लेकिन इस पर काबू नहीं पाया जा रहा है. ऐसे में गैस सिलेंडर महंगे होने पर अधिकांश परिवार इसी तरह अपना घर का पालन पोषण कर रहे हैं.