भोपाल/कोटा। राजस्थान के कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल के अधीक्षक सुरेश दुलारा ने 100 से ज्यादा बच्चों की मौत पर कहा कि अस्पताल में जितने बच्चों की मौत हुई है, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत बच्चे पड़ोसी राज्यों और राजस्थान के अन्य जिलों के थे और उनकी हालत गंभीर थी. उन्होंने कहा कि "मध्य प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से आए कई बीमार बच्चों की हालत गंभीर थी और इसके बावजूद उन्होंने इतना लंबा सफर किया. दिसंबर में सर्दी बहुत ज्यादा थी, जिसमें बच्चों को आसानी से ठंड लग जाती है और अगर जल्दी सतर्क न हुआ जाए, तो स्थिति बहुत तेजी से बिगड़ती है. इसी कारण यहां मृत्यु दर बढ़ी हुई है."
दो दिवसीय दौरे पर कोटा पहुंची केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की टीम स्थानीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है, जिससे ऐसे परिवारों को अपने बीमार बच्चों के साथ सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित जिलों से यहां तक का सफर न करना पड़े।
दिसंबर से अब तक 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों की केंद्रीय टीम ने कोटा स्थित अस्पताल में शिशुओं की मौत के मामले की जांच शुरू कर दी है।
केंद्रीय दल में जोधपुर एम्स में पीडियाट्रिक्स एंड डीन एकेडमिक्स के प्रमुख कुलदीप सिंह, राजस्थान के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) दीपक सक्सेना, जोधपुर एम्स में नेनोटैक्नोलॉजी के प्रोफेसर अरुण सिंह, एनएचएसआरसी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सलाहकार हिमांशु भूषण शामिल हैं। टीम ने अस्पताल तथा मृत शिशुओं की विस्तृत जानकारी मांगी है।
इससे पहले कोटा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बी.एस. तंवर ने कहा कि अस्पताल प्रशासन से बात करने के बाद टीम शिशुओं की मौत के मामले की जांच करेगी और उन निजी अस्पतालों तथा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की भी जांच करेगी, जहां से इन शिशुओं को रेफर किया गया था।
उन्होंने कहा, "टीम अपनी रिपोर्ट केंद्र तथा राजस्थान सरकार को सौंपेगी."