भोपाल। गरीब कल्याण योजना के तहत देशभर में 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त राशन का वितरण किया जा रहा है. लेकिन गरीबों को राशन वितरित करने का आंकड़ा जो सामने आया, उसने मध्य प्रदेश पर लगे विकसित राज्य होने के तमगे की असलियत सामने रख दी. मध्य प्रदेश में 48 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है. गरीब कल्याण योजना के तहत प्रदेश की 48% जनता हितग्राही है.
18 सालों में तेजी से बढ़ी गरीबी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मध्य प्रदेश सरकार की तारीफ करते हुए प्रदेश के विकास के बात कहते है, लेकिन सरकार के दावों और हकीकत में खासा अंतर नजर आता है. 2003 में दिग्विजय की सरकार के जाने के बाद प्रदेश में 8 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे थी, लेकिन 18 सालों के बाद आज प्रदेश की 48.8% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है.
सरकार ने विधानसभा में पेश किया था आंकड़ा
यह आंकड़ा मध्य प्रदेश के विधानसभा में मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा एक प्रश्न के जवाब के दौरान रखा गया था, इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 52% और शहरी क्षेत्रों में 40.30 फीसदी आबादी शामिल है. आंकड़ों में बताया गया था कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में गरीबी ज्यादा तेजी से बढ़ी हुई है. विधानसभा के आंकड़ों के अनुसार शहरी इलाकों में 7 फीसदी गरीबी बढ़ी है, वहीं ग्रामीण इलाकों में केवल एक फीसदी गरीबी बढ़ी है.
आंकड़ों में गिर रहा प्रदेश का विकास, बढ़ रहे हैं गरीब
मध्य प्रदेश 2006-07 में 44 लाख 32 हजार 250 परिवार BPL राशनकार्ड धारक थे, 2012-13 में ये आंकड़ा बढ़कर 55 लाख 82000 पर पहुंच गया. 2016-17 में गरीबों के आंकड़े में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई और इस दौरान 1 करोड़ 15 लाख परिवारों को BPL कार्ड दिए गए. इस हिसाब से अब प्रदेश में 48.8 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है.
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मध्य प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण 2012-13 में गरीबी रेखा के ऊपर एपीएल राशन कार्डधराक परिवारों की संख्या 82 लाख 90 हजार बताई गई. वहीं 2020-21 में यहीं आंकड़ा एक करोड़ 15 लाख परिवार तक पहुंच गया है, जिनके 4 करोड़ 80 लाख सदस्य इसके अंतर्गत आते हैं
शिवराज के शासनकाल में बढ़ी गरीबी: पीसी शर्मा
कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश की करीब आधी जनसंख्या गरीबी रेखा में जीवन यापन कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि अन्न उत्सव के दौरान मध्य प्रदेश के 25% लोगों को भी अनाज नहीं मिला है. रिजर्व बैंक ने भी महंगाई की दर को 5.1 से बढ़ाकर 5.8 होने का अनुमान जताया है. पीसी शर्मा ने कहा कि यदि विकास होता तो मध्य प्रदेश की गरीबी कम होती, न की बढ़ती.
आर्थिक योजनाओं के लाभ के लिए लोग नहीं हटवाते नाम
मध्य प्रदेश में गरीबी का आंकड़ा पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा बढ़ा है. आर्थिक जानकार सुरभि अग्रवाल का कहना है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार गरीबों के लिए कई तरह की योजना चलाते है, इसलिए कई लोग इन योजनाओं का लाभ लगातार लेने के लिए अपना नाम गरीबी रेखा से नहीं हटवाना चाहते हैं. आर्थिक जानकारों काकहना है कि सरकार को योजनाओं के साथ मुफ्त लाभ देने की योजना को हटाना चाहिए इससे लोग गरीबी रेखा के कार्ड से अपना नाम हटा लेंगे.