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'आइटम' के 48 घंटे तय करेंगे एमपी की सियासी दिशा, जिद के बाद नोटिस-माफी पर अटकी बात

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को इमरती देवी मामले में चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर शुक्रवार शाम तक जवाब मांगा है. वहीं इस मामले कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल ने भी स्पष्ट किया है कि यदि कमलनाथ ने गलती की है तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए.

Political direction of MP
एमपी की सियासी दिशा
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Published : Oct 22, 2020, 10:52 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 11:57 PM IST

भोपाल। इमरती देवी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है. चुनाव आयोग ने उनसे उनकी टिप्पणी को लेकर दो दिन के भीतर जवाब मांगा है. चुनाव आयोग के नोटिस के बाद इस मामले में सियासत और तेज हो गई है. राहुल गांधी द्वारा कमलनाथ के शब्दों को आपत्तिजनक कहे जाने के बाद कमलनाथ द्वारा माफी मांगने से इनकार करने पर बीजेपी उनकी हठधर्मिता बता रही है और कह रही है कि अब चुनाव आयोग के नोटिस के बाद हो सकता है कि उन्हें समझ आए, तो वहीं दूसरी तरफ से कांग्रेस चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग का रवैया भेदभाव पूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण है. एक तरफ कमलनाथ के शब्द, जिसका कई मायनों में उपयोग होता है, उस पर नोटिस दे रही है और दूसरी तरफ शिवराज सरकार के मंत्री बिसाहूलाल सिंह द्वारा एक महिला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने और भगवान राम और उनकी माताओं को अपशब्द कहने पर संज्ञान तक नहीं ले रही है. वहीं जानकारों का मानना है कि चुनाव में इस तरह के नोटिस दिए जाना एक सामान्य प्रक्रिया है.

एमपी की सियासी दिशा

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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दीपक तिवारी कहते हैं ''चुनाव के दौरान इस तरह की टिप्पणी और इस तरह के मुद्दे आना स्वाभाविक है. इसके पहले भी यह होता रहा है. 2017 में जब मुगावली का उप चुनाव चल रहा था. उस समय भी मुख्यमंत्री होते हुए शिवराज सिंह चौहान को इस तरह का नोटिस चुनाव आयोग ने दिया था, यह एक सामान्य प्रक्रिया है.''

kamal nath
कमलनाथ

भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, ''ना केवल भारत निर्वाचन आयोग, ना केवल राष्ट्रीय महिला आयोग और ना सिर्फ अनुसूचित जाति आयोग में और स्वयं कांग्रेस पार्टी के नेता जो कमलनाथ के भी नेता होने चाहिए या उन्होंने भी स्वीकार किया है कि कमलनाथ ने भाजपा की नेता इमरती देवी के लिए जो शब्द प्रयोग किए हैं, वह शब्द अमर्यादित हैं. किसी भी शब्द समाज में किसी भी बहन बेटियों से यह नहीं कहे जा सकते हैं. कमलनाथ को उत्तर देना है, क्योंकि कमलनाथ ने जिस तरह की हठधर्मिता अपनाई है उससे पूरे देश में कांग्रेस की बेइज्जती हो रही है. मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद शायद कमलनाथ को होश आए कि उन्होंने गलत कहा है.''

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आज की तारीख में भारत की पढ़ी-लिखी संवैधानिक संस्थाएं शब्दों के ऊपर स्पष्टीकरण मांग रही हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा ''जिस शब्द का प्रयोग पूरे देश में और हजारों लोगों में किया जाता है, तो हम उनको जवाब देंगे और निश्चित रूप से जवाब देंगे, क्योंकि उन्होंने पूछा है. लेकिन मैं समझता हूं कि कुछ लोगों को खुश करने के लिए संवैधानिक संस्थाओं को यह तरीके नहीं अपनाना चाहिए. उन्हें अपनी संवैधानिक व्यवस्था का ध्यान रखना चाहिए. आप बताइए कि क्या चुनाव आयोग ने इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है. अभी तक क्या उस व्यक्ति को नोटिस जारी हुआ है.''

इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल ने कहा ''राहुल गांधी के दिशा निर्देश पर ही सारे कांग्रेसी एकमत होकर पार्टी के हित में काम करते हैं.'' माणक अग्रवाल के मुताबिक सारा विपक्ष राहुल गांधी पर हमलावर बना रहता है. लेकिन राहुल गांधी सत्य से कभी डीगते नहीं, वे हमेशा सच बोलते हैं. उन्होंने इस मामले में भी सत्य का पक्ष लिया और कहा कि कमलनाथ जी से गलती हुई है तो उन्हें लगती मांग लेनी चाहिए.''

भोपाल। इमरती देवी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है. चुनाव आयोग ने उनसे उनकी टिप्पणी को लेकर दो दिन के भीतर जवाब मांगा है. चुनाव आयोग के नोटिस के बाद इस मामले में सियासत और तेज हो गई है. राहुल गांधी द्वारा कमलनाथ के शब्दों को आपत्तिजनक कहे जाने के बाद कमलनाथ द्वारा माफी मांगने से इनकार करने पर बीजेपी उनकी हठधर्मिता बता रही है और कह रही है कि अब चुनाव आयोग के नोटिस के बाद हो सकता है कि उन्हें समझ आए, तो वहीं दूसरी तरफ से कांग्रेस चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग का रवैया भेदभाव पूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण है. एक तरफ कमलनाथ के शब्द, जिसका कई मायनों में उपयोग होता है, उस पर नोटिस दे रही है और दूसरी तरफ शिवराज सरकार के मंत्री बिसाहूलाल सिंह द्वारा एक महिला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने और भगवान राम और उनकी माताओं को अपशब्द कहने पर संज्ञान तक नहीं ले रही है. वहीं जानकारों का मानना है कि चुनाव में इस तरह के नोटिस दिए जाना एक सामान्य प्रक्रिया है.

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kamal nath
कमलनाथ

भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, ''ना केवल भारत निर्वाचन आयोग, ना केवल राष्ट्रीय महिला आयोग और ना सिर्फ अनुसूचित जाति आयोग में और स्वयं कांग्रेस पार्टी के नेता जो कमलनाथ के भी नेता होने चाहिए या उन्होंने भी स्वीकार किया है कि कमलनाथ ने भाजपा की नेता इमरती देवी के लिए जो शब्द प्रयोग किए हैं, वह शब्द अमर्यादित हैं. किसी भी शब्द समाज में किसी भी बहन बेटियों से यह नहीं कहे जा सकते हैं. कमलनाथ को उत्तर देना है, क्योंकि कमलनाथ ने जिस तरह की हठधर्मिता अपनाई है उससे पूरे देश में कांग्रेस की बेइज्जती हो रही है. मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद शायद कमलनाथ को होश आए कि उन्होंने गलत कहा है.''

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आज की तारीख में भारत की पढ़ी-लिखी संवैधानिक संस्थाएं शब्दों के ऊपर स्पष्टीकरण मांग रही हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा ''जिस शब्द का प्रयोग पूरे देश में और हजारों लोगों में किया जाता है, तो हम उनको जवाब देंगे और निश्चित रूप से जवाब देंगे, क्योंकि उन्होंने पूछा है. लेकिन मैं समझता हूं कि कुछ लोगों को खुश करने के लिए संवैधानिक संस्थाओं को यह तरीके नहीं अपनाना चाहिए. उन्हें अपनी संवैधानिक व्यवस्था का ध्यान रखना चाहिए. आप बताइए कि क्या चुनाव आयोग ने इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है. अभी तक क्या उस व्यक्ति को नोटिस जारी हुआ है.''

इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल ने कहा ''राहुल गांधी के दिशा निर्देश पर ही सारे कांग्रेसी एकमत होकर पार्टी के हित में काम करते हैं.'' माणक अग्रवाल के मुताबिक सारा विपक्ष राहुल गांधी पर हमलावर बना रहता है. लेकिन राहुल गांधी सत्य से कभी डीगते नहीं, वे हमेशा सच बोलते हैं. उन्होंने इस मामले में भी सत्य का पक्ष लिया और कहा कि कमलनाथ जी से गलती हुई है तो उन्हें लगती मांग लेनी चाहिए.''

Last Updated : Oct 22, 2020, 11:57 PM IST
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