भोपाल। राजधानी के भेल (BHEL) कारखाने में कैंटीन (Canteen) बंद होने से यहां काम करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भेल की तीनों कैंटीन बंद होने से नियमित कर्मचारी के साथ भेल के ठेका श्रमिक भी परेशान है. सभी कर्मचारी यूनियन भेल प्रबंधन से कैंटीन खोलने की मांग कर चुके है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.
खर्च बचाने के लिए कैंटीन शुरू नहीं करने का आरोप
कोरोना काल में देश की बड़ी सरकारी कंपनियां अपने खर्चों में कटौती करती आ रही है. ऐसे में भेल कारखाने में संचालित तीनों कैंटीन(Canteen) को शुरू नहीं किया जा रहा है. भेल की तीनों यूनियन राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस, ऑल इंडिया भेल एम्प्लाई यूनियन और भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी लगातार भेल प्रबंधन से तीनों कैंटीनों को शुरू करने की मांग कर रह है. हालांकि भेल में कामकाज पूरे समय नहीं लिया जा रहा है, ऐसे में कैंटीन भी शुरू नहीं हो पा रही है.
ट्रेड यूनियन ने की कैंटीन शुरू करने की मांग
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक गुप्ता का कहना है कि तीनों कैंटीनों को जल्द शुरू किया जाना चाहिए. कैंटीन बंद होने से कई कर्मचारियों को खाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है. दीपक गुप्ता का आरोप है कि प्रबंधन लाखों रुपये बचाने के कारण तीनों कैंटीनों को शुरू नहीं कर रहा है. कोरोना का बहाना बनाकर कैंटीन शुरू नहीं की जा रही है. जिसके चलते भेल के पांच हजार कर्मचारी, अधिकारी और सात हजार ठेका श्रमिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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4 हजार कर्मचारियों के लिए बनता था खाना
कोरोना काल से पहले भेल (BHEL) की तीनों कैंटीन (Canteen) में सभी कर्मचारियों के लिए नाश्ता और चार हजार कर्मचारियों के हिसाब से रोजाना खाना बनता था. कई कर्मचारी और ठेका श्रमिक खाना भेल की कैंटीन में ही खाते थे. भेल की कैंटीन बंद होने के संबंध में भेल के प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ला का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते तीनों कैंटीन को बंद किया गया है. अब कोरोना कम हुआ है तो जल्द ही कोरोना गाइडलाइन का पालन करके कैंटीनों को शुरू करने पर विचार किया जा रहा है.