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World Malaria Day: सावधान! कोरोना काल के बाद क्या बदल रहे हैं मलेरिया के लक्षण

25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश इस घातक बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है. यह तो सभी जानते हैं कि मलेरिया मच्छरों के काटने से फैलता है. साथ ही इस बीमारी में लोगों को बुखार आता है, लेकिन हाल ही में कुछ ऐसे केस भी आए हैं, जिसमें मलेरिया के लक्षण बदले पाए गए हैं. कोरोना काल के बाद ये बदलाव देखे गए हैं. इसी की पड़ताल करती पढ़ें ये रिपोर्ट...

World Malaria Day
सावधान! कोरोना काल के बाद क्या बदल रहे हैं मलेरिया के लक्षण
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Published : Apr 25, 2023, 7:57 AM IST

भिंड। आमतौर पर माना जाता है कि जब तेज ठंड के साथ रह रहकर बुख़ार आ रहा हो तो ये मलेरिया के लक्षण हैं. डॉक्टर भी सबसे ऐसे मरीजों को तुरंत मलेरिया का टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो साफ़ पानी में उत्पन्न हुए प्लाज़्मोडियम परजीवी मच्छर के काटने से होती है. अगर सही इलाज ना मिले तो मरीज़ की जान भी जा सकती है. हर साल विश्व में लाखों लोग इस बीमारी के आगे दम तोड़ देते हैं. मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से विश्व के 11 देश प्रभावित हैं और भारत भी इस सूची में शामिल हैं.

मलेरिया और इसके लक्षण : भिंड ज़िला स्वास्थ्य विभाग में मलेरिया नियंत्रण विभाग के प्रभारी डॉ.डीके शर्मा ने बताया कि आमतौर पर लोगों को पता है कि मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, लेकिन असल में यह बीमारी किसी सामान्य मच्छर से नहीं बल्कि ऐनोफिल्ज़ नाम के मादा मच्छर के काटने से होती हैं. अक्सर लोग अपने घर में जमा पानी में पैदा हो रहे इन प्रजातियों के लार्वा को पानी के कीड़े समझ लेते हैं और उन्हें ऐसे ही छोड़ देते हैं जबकि वह लार्वा कुछ दिनों में मच्छर बनता है और फिर लोगों में मलेरिया का प्रसार करता है.

कितने प्रकार का होता है मलेरिया : डॉ.डीके शर्मा ने बताया कि मेडिकल साइंस में अब तक यह पाया गया है कि मलेरिया बीमारी 5 तरह के पैरासाइट्स (परजीवी) प्रजातियों के कारण हो सकती है. यानी मलेरिया 5 तरह का होता है. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम- यह मलेरिया पैरासाइट अफ्रीका में पाया जाता है. प्लास्मोडियम विवैक्स- यह परजीवी दिन में काटता है. इसका असर 48 घंटे बाद दिखना शुरू होता है. प्लास्मोडियम ओवेल- यह असामान्य परजीवी है जो वर्षों तक मरीज़ के लीवर में बिना लक्षण रह सकता है. प्लास्मोडियम मलेरिया- यह मलेरिया प्रोटोजोआ का एक प्रकार है. इसमे मरीज को हर चौथे दिन बुखार आने लगता है. प्लास्मोडियम नॉलेसि यह परजीवी आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है. और यह एक प्राइमेट मलेरिया पैरासाइट है. हालांकि मलेरिया विभाग के प्रमुख डॉ. डीके शर्मा का कहना है कि भारत में इन पांचों से सिर्फ दो पैरासाइट प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लास्मोडियम विवैक्स ही पाए जाते हैं.

बदल रहे हैं मलेरिया के लक्षण : जब भारत में किसी को मलेरिया होता तो इसके लक्षण साफ़ दिखाई देने लगते हैं. मलेरिया होने पर ठंड के साथ बुख़ार आता है, सिरदर्द, उल्टी, थकान रहना और मास्पेशियों में दर्द सामान्य लक्षण हैं. जो संक्रमण के 10 दिन में दिखाई देने लगते हैं. लेकिन अब मलेरिया के लक्षण बदल रहे हैं. कोरोना काल के बाद ऐसे भी केस सामने आए जिनमें मलेरिया के लक्षणों में बदलाव देखने को मिला है. देश में पहला केस कोलकाता में वर्ष 2021 में देखने को मिला था,क्योंकि रोगी की जांच में मलेरिया तो पाया गया लेकिन उसे बुखार या ठंड नहीं थी.

रिसर्च होनी चाहिए : क़रीब 5 महीनों पहले भिंड ज़िले के दो गांवों में फ़ैसले चिकनगुनिया के दौरान भी कुछ मरीज ऐसे मिले, जिन्हें मलेरिया था. लेकिन जब उनकी जांच कराई गई तो वे भी मलेरिया पॉजिटिव पाए गए. इन केस से डॉक्टर भी आश्चर्यचकित थे. मलेरिया विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना होने के बाद लोगों की बॉडी बीमारियों में अलग-अलग तरह से रियेक्ट करती देखी गई है. लेकिन जब तक इस पर रिसर्च ना हो, तब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता है. ये नये तरह का मलेरिया है या मलेरिया परिजीवी म्यूटेट हो रहा, यह रिसर्च का विषय है.

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मलेरिया से बचाव के लिए क्या करें : घर में डीडीटी जैसे कीटनाशकों का छिडकाव करें, ताकि मच्छर नहीं पनपें. घर और आसपास गड्ढों, नालियों, डिब्बों, पानी की टंकियों, गमलों आदि में पानी इकट्ठा नहीं होने दें. सप्‍ताह में एक बार पानी से भरी टंकी, मटके, कूलर आदि को खाली कर सफाई अवश्य करें. दरवाजों, खिड़कियों आदि में जालियां लगवा लें, ताकि मच्छर घर में नहीं आ पाएं. सोने के दौरान मच्‍छरदानी का इस्‍तेमाल करें. पहनने में ऐसे कपड़ों का इस्तेमाल करें, जो पूरे शरीर को ढंक सकें.

भिंड। आमतौर पर माना जाता है कि जब तेज ठंड के साथ रह रहकर बुख़ार आ रहा हो तो ये मलेरिया के लक्षण हैं. डॉक्टर भी सबसे ऐसे मरीजों को तुरंत मलेरिया का टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो साफ़ पानी में उत्पन्न हुए प्लाज़्मोडियम परजीवी मच्छर के काटने से होती है. अगर सही इलाज ना मिले तो मरीज़ की जान भी जा सकती है. हर साल विश्व में लाखों लोग इस बीमारी के आगे दम तोड़ देते हैं. मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से विश्व के 11 देश प्रभावित हैं और भारत भी इस सूची में शामिल हैं.

मलेरिया और इसके लक्षण : भिंड ज़िला स्वास्थ्य विभाग में मलेरिया नियंत्रण विभाग के प्रभारी डॉ.डीके शर्मा ने बताया कि आमतौर पर लोगों को पता है कि मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, लेकिन असल में यह बीमारी किसी सामान्य मच्छर से नहीं बल्कि ऐनोफिल्ज़ नाम के मादा मच्छर के काटने से होती हैं. अक्सर लोग अपने घर में जमा पानी में पैदा हो रहे इन प्रजातियों के लार्वा को पानी के कीड़े समझ लेते हैं और उन्हें ऐसे ही छोड़ देते हैं जबकि वह लार्वा कुछ दिनों में मच्छर बनता है और फिर लोगों में मलेरिया का प्रसार करता है.

कितने प्रकार का होता है मलेरिया : डॉ.डीके शर्मा ने बताया कि मेडिकल साइंस में अब तक यह पाया गया है कि मलेरिया बीमारी 5 तरह के पैरासाइट्स (परजीवी) प्रजातियों के कारण हो सकती है. यानी मलेरिया 5 तरह का होता है. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम- यह मलेरिया पैरासाइट अफ्रीका में पाया जाता है. प्लास्मोडियम विवैक्स- यह परजीवी दिन में काटता है. इसका असर 48 घंटे बाद दिखना शुरू होता है. प्लास्मोडियम ओवेल- यह असामान्य परजीवी है जो वर्षों तक मरीज़ के लीवर में बिना लक्षण रह सकता है. प्लास्मोडियम मलेरिया- यह मलेरिया प्रोटोजोआ का एक प्रकार है. इसमे मरीज को हर चौथे दिन बुखार आने लगता है. प्लास्मोडियम नॉलेसि यह परजीवी आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है. और यह एक प्राइमेट मलेरिया पैरासाइट है. हालांकि मलेरिया विभाग के प्रमुख डॉ. डीके शर्मा का कहना है कि भारत में इन पांचों से सिर्फ दो पैरासाइट प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लास्मोडियम विवैक्स ही पाए जाते हैं.

बदल रहे हैं मलेरिया के लक्षण : जब भारत में किसी को मलेरिया होता तो इसके लक्षण साफ़ दिखाई देने लगते हैं. मलेरिया होने पर ठंड के साथ बुख़ार आता है, सिरदर्द, उल्टी, थकान रहना और मास्पेशियों में दर्द सामान्य लक्षण हैं. जो संक्रमण के 10 दिन में दिखाई देने लगते हैं. लेकिन अब मलेरिया के लक्षण बदल रहे हैं. कोरोना काल के बाद ऐसे भी केस सामने आए जिनमें मलेरिया के लक्षणों में बदलाव देखने को मिला है. देश में पहला केस कोलकाता में वर्ष 2021 में देखने को मिला था,क्योंकि रोगी की जांच में मलेरिया तो पाया गया लेकिन उसे बुखार या ठंड नहीं थी.

रिसर्च होनी चाहिए : क़रीब 5 महीनों पहले भिंड ज़िले के दो गांवों में फ़ैसले चिकनगुनिया के दौरान भी कुछ मरीज ऐसे मिले, जिन्हें मलेरिया था. लेकिन जब उनकी जांच कराई गई तो वे भी मलेरिया पॉजिटिव पाए गए. इन केस से डॉक्टर भी आश्चर्यचकित थे. मलेरिया विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना होने के बाद लोगों की बॉडी बीमारियों में अलग-अलग तरह से रियेक्ट करती देखी गई है. लेकिन जब तक इस पर रिसर्च ना हो, तब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता है. ये नये तरह का मलेरिया है या मलेरिया परिजीवी म्यूटेट हो रहा, यह रिसर्च का विषय है.

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मलेरिया से बचाव के लिए क्या करें : घर में डीडीटी जैसे कीटनाशकों का छिडकाव करें, ताकि मच्छर नहीं पनपें. घर और आसपास गड्ढों, नालियों, डिब्बों, पानी की टंकियों, गमलों आदि में पानी इकट्ठा नहीं होने दें. सप्‍ताह में एक बार पानी से भरी टंकी, मटके, कूलर आदि को खाली कर सफाई अवश्य करें. दरवाजों, खिड़कियों आदि में जालियां लगवा लें, ताकि मच्छर घर में नहीं आ पाएं. सोने के दौरान मच्‍छरदानी का इस्‍तेमाल करें. पहनने में ऐसे कपड़ों का इस्तेमाल करें, जो पूरे शरीर को ढंक सकें.

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