ETV Bharat / state

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकारें चला रहीं योजना, महिलाओं को नहीं मिल रहा लाभ

आर्थिक रुप से कमजोर गर्भवती महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना और संबल योजना चला रही है, लेकिन भिंड जिले में इन योजनाओं का लाभ महिलाओं को मिल नहीं रहा है. ऐस लग रहा है कि, जिले में सभी योजनाएं केवल नाम की ही रह गई हैं.

Design photo
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Aug 31, 2020, 4:12 PM IST

भिंड। मध्यप्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ- शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी विभिन्न योजनाएं चला रही है. जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना और संबल योजना के जरिए गर्भवती महिलाओं के प्रसव से लेकर प्रसव के बाद तक लाभ पहुंचाने का दावा किया जाता है, लेकिन भिंड जिले में तमाम योजनाएं केवल कागजों तक सिमट कर रह गई हैं. जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस के जरिए गर्भवति महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और प्रसव होने के बाद उनके घर तक निःशुल्क छोड़ने की योजना है, लेकिन जिले के दूर दराज गांवों में आने के लिए पैसों की मांग करते हैं. वहीं मातृ वंदना योजना और संबल योजना के तहत महिलाओं को गर्भवस्था और प्रसव के बाद दी जाने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है.

सरकार की योजनाओं की हकीकत

गोहद के जगन्नाथपुरा गांव में बृजेश माहोर ने बताया कि, 26 अगस्त को उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्होंने जननी एक्सप्रेस को फोन किया, लेकिन जननी एक्सप्रेस चालक द्वारा फोन पर ये कहकर मना कर दिया गया कि, गांव का रास्ता खराब है हम नहीं आ सकते. मेहगांव में एंबुलेंस के लिए संपर्क कर लें. कई बार फोन करने पर जब सुबह 6:00 बजे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो बृजेश खुद गोहद गए और वहां से 1500 रुपए में एक प्राइवेट एंबुलेंस लेकर गांव आए और अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में ही उनकी पत्नी की डिलीवरी हो गई. डिलीवरी के बाद प्रसूता की हालात बिगड़ने लगी, तो जल्दी- जल्दी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जब अस्पताल से बृजेश की पत्नी को डिस्चार्ज कर घर ले जाना था, तभी जननी एक्सप्रेस को फोन किया गया. बृजेश का आरोप है कि, एंबुलेंस कर्मी ने बदसलूकी कर फोन काट दिया.

जननी सुरक्षा योजना का नहीं मिला लाभ

मातृ वंदना और संबल योजना के तहत श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना की हालत भी कुछ खास ठीक नहीं है. जिला मुख्यालय को अगर छोड़ दिया जाए तो, कई ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का लाभ हितग्राही माताओं को नहीं मिल पाता है. बृजेश माहोर ने भी बताया कि, उनके पहले बच्चे के दौरान मिलने वाले जननी सुरक्षा योजना की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. मजदूरी कार्ड होने के बावजूद उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाया. उन्होंने सभी जरूरी कागज जमा कराए थे. भिंड जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक तो शत-प्रतिशत हितग्राहियों को जननी सुरक्षा योजना और मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना का लाभ स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिलता है, लेकिन प्रसव के बाद जिला अस्पताल में भर्ती एक महिला के पति से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि, उनकी पत्नी को दूसरा बच्चा हुआ है. पहले बच्चे के दौरान उन्हें गर्भावस्था के दौरान करीब 4 से 5 हजार रुपए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से खाने-पीने और जांच के लिए मिले थे, लेकिन उसके बाद उन्हें किसी तरह की राशि नहीं मिली, जबकि नियमानुसार मजदूरी कार्ड वालों को 16 हजार मिलने का प्रावधान है.

महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार खान का कहना है कि, मातृ वंदना योजना का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है. जिसमें 5 हजार की राशि महिला बाल विकास विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाती है, हालांकि इस योजना का लाभ सिर्फ पहले बच्चे के दौरान ही दिया जाता है. गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भी जच्चा- बच्चा स्वस्थ रहें. इसके लिए भी विभाग द्वारा पोषण आहार मिशन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनमें आंगनबाड़ियों द्वारा अपनी भूमिका अदा की जा रही है.

वहीं जननी एक्सप्रेस और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को लेकर भिंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि, जननी सुरक्षा योजना और पीएसवाई की जानकारी देते हुए बताया कि जिले में जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 1 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए माताओं को दिए जाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी डिलीवरी के लिए पीएसवाई के तहत 16 की प्रोत्साहन राशि की पात्रता भी रहती है. हालांकि जब सीएमएचओ से पूछा गया कि, कई केस ऐसे हैं. जहां हितग्राहियों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो उस पर उनका कहना था कि, केस तो मिलते रहते हैं, लेकिन जब तक हितग्राही द्वारा संस्था को डिस्चार्ज टिकट और खाता नंबर उपलब्ध नहीं कराता, तब तक पेमेंट होने में परेशानी रहती है.

जननी सुरक्षा योजना

यह योजना माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाई जा रही है. जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत संस्थागत प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. जिससे शिशु का जन्म संस्थागत प्रसव के द्वारा प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा कराया जा सके. इस योजना के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में 1400 और शहरी क्षेत्र में 1 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

आर्थिक रूप से कमजोर गर्भवती महिला के आराम और पोषण को सुनिश्चित करने के लिए दी जाती है. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के जरिए भारत सरकार की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना का लाभ लाभार्थी को तीन किस्तों में मिलता है, जो सीधा गर्भवती महिला के बैंक खाते में पहुंचती है. पहली किस्त 1 हजार के रूप में गर्भावस्था के पंजीकरण के समय मिलती है. वहीं दूसरी किस्त में 2 हजार मिलती हैं. यह राशि सातवें महीने से प्रसव पूर्व तक गर्भावस्था के दौरान दी जाती है. वहीं तीसरी किस्त 2 हजार जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और उसके पहले टीके पर चक्र शुरू होता है. उस वक्त बैंक खाते में जमा की जाती है, यह योजना महिला बाल विकास विभाग के द्वारा क्रियान्वित की जाती है.

संबल योजना या मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना

मध्य प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में पंजीकृत असंगठित मजदूर महिलाओं के लिए यह योजना 1 अप्रैल 2018 से शुरू की गई थी. इसमें पंजीकृत असंगठित मजदूर महिलाओं को गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के दौरान कार्य से अनुपस्थित रहने के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाती है. इस योजना में हितग्राही को 16 हजार की राशि दो किस्तों में दी जाती है. पहली किस्त 4000 की गर्भावस्था के दौरान निर्धारित अवधि में अंतिम तिमाही तक डॉक्टर एएनएम द्वारा प्रसव पूर्व चार जांच कराने पर मिलती है. वहीं दूसरी किस्त के रूप में 12000 सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव के बाद बच्चे के जन्म पंजीयन होने पर पहला टीकाकरण कराने के बाद दी जाती है.

इस योजना के तहत प्रदेश में संचालित केंद्र सरकार की जननी सुरक्षा योजना के पात्र हितग्राहियों को भी इसका लाभ मिलता है. पहली गर्भावस्था के दौरान हितग्राही को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में पहली और दूसरी किस्त के रूप में 3 हजार का भुगतान किया जाता है और बाकी एक हजार की राशि हितग्राही को मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना से दी जाती है. हालांकि दूसरे गर्भधारण पर हितग्राही को पहली किस्त 4 हजार की राशि का भुगतान मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना से ही किया जाता है.

भिंड जिला अस्पताल के आंकड़े

पिछले 5 महीने में जिला अस्पताल में 30 अप्रैल से लेकर 27 अगस्त तक कुल 3134 महिलाओं की डिलीवरी हुई. जिनमें से जननी सुरक्षा योजना के तहत 2856 माताओं को लाभ दिया गया. जिनमें से करीब शहरी क्षेत्र में 577 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2279 हितग्राहियों को भुगतान किया गया है. इसी दौरान 310 माताओं को संबल योजना यानी मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना के दौरान भुगतान किए गए जिला अस्पताल में अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 8610 डिलीवरी हुई, जिनमें से जननी सुरक्षा योजना के तहत 7681 माताओं को भुगतान किया गया. वही संबल योजना के तहत भी करीब 1969 माताओं को योजना का लाभ दिया गया.

भिंड। मध्यप्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ- शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी विभिन्न योजनाएं चला रही है. जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना और संबल योजना के जरिए गर्भवती महिलाओं के प्रसव से लेकर प्रसव के बाद तक लाभ पहुंचाने का दावा किया जाता है, लेकिन भिंड जिले में तमाम योजनाएं केवल कागजों तक सिमट कर रह गई हैं. जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस के जरिए गर्भवति महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और प्रसव होने के बाद उनके घर तक निःशुल्क छोड़ने की योजना है, लेकिन जिले के दूर दराज गांवों में आने के लिए पैसों की मांग करते हैं. वहीं मातृ वंदना योजना और संबल योजना के तहत महिलाओं को गर्भवस्था और प्रसव के बाद दी जाने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है.

सरकार की योजनाओं की हकीकत

गोहद के जगन्नाथपुरा गांव में बृजेश माहोर ने बताया कि, 26 अगस्त को उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्होंने जननी एक्सप्रेस को फोन किया, लेकिन जननी एक्सप्रेस चालक द्वारा फोन पर ये कहकर मना कर दिया गया कि, गांव का रास्ता खराब है हम नहीं आ सकते. मेहगांव में एंबुलेंस के लिए संपर्क कर लें. कई बार फोन करने पर जब सुबह 6:00 बजे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो बृजेश खुद गोहद गए और वहां से 1500 रुपए में एक प्राइवेट एंबुलेंस लेकर गांव आए और अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में ही उनकी पत्नी की डिलीवरी हो गई. डिलीवरी के बाद प्रसूता की हालात बिगड़ने लगी, तो जल्दी- जल्दी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जब अस्पताल से बृजेश की पत्नी को डिस्चार्ज कर घर ले जाना था, तभी जननी एक्सप्रेस को फोन किया गया. बृजेश का आरोप है कि, एंबुलेंस कर्मी ने बदसलूकी कर फोन काट दिया.

जननी सुरक्षा योजना का नहीं मिला लाभ

मातृ वंदना और संबल योजना के तहत श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना की हालत भी कुछ खास ठीक नहीं है. जिला मुख्यालय को अगर छोड़ दिया जाए तो, कई ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का लाभ हितग्राही माताओं को नहीं मिल पाता है. बृजेश माहोर ने भी बताया कि, उनके पहले बच्चे के दौरान मिलने वाले जननी सुरक्षा योजना की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. मजदूरी कार्ड होने के बावजूद उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाया. उन्होंने सभी जरूरी कागज जमा कराए थे. भिंड जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक तो शत-प्रतिशत हितग्राहियों को जननी सुरक्षा योजना और मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना का लाभ स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिलता है, लेकिन प्रसव के बाद जिला अस्पताल में भर्ती एक महिला के पति से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि, उनकी पत्नी को दूसरा बच्चा हुआ है. पहले बच्चे के दौरान उन्हें गर्भावस्था के दौरान करीब 4 से 5 हजार रुपए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से खाने-पीने और जांच के लिए मिले थे, लेकिन उसके बाद उन्हें किसी तरह की राशि नहीं मिली, जबकि नियमानुसार मजदूरी कार्ड वालों को 16 हजार मिलने का प्रावधान है.

महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार खान का कहना है कि, मातृ वंदना योजना का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है. जिसमें 5 हजार की राशि महिला बाल विकास विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाती है, हालांकि इस योजना का लाभ सिर्फ पहले बच्चे के दौरान ही दिया जाता है. गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भी जच्चा- बच्चा स्वस्थ रहें. इसके लिए भी विभाग द्वारा पोषण आहार मिशन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनमें आंगनबाड़ियों द्वारा अपनी भूमिका अदा की जा रही है.

वहीं जननी एक्सप्रेस और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को लेकर भिंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि, जननी सुरक्षा योजना और पीएसवाई की जानकारी देते हुए बताया कि जिले में जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 1 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए माताओं को दिए जाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी डिलीवरी के लिए पीएसवाई के तहत 16 की प्रोत्साहन राशि की पात्रता भी रहती है. हालांकि जब सीएमएचओ से पूछा गया कि, कई केस ऐसे हैं. जहां हितग्राहियों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो उस पर उनका कहना था कि, केस तो मिलते रहते हैं, लेकिन जब तक हितग्राही द्वारा संस्था को डिस्चार्ज टिकट और खाता नंबर उपलब्ध नहीं कराता, तब तक पेमेंट होने में परेशानी रहती है.

जननी सुरक्षा योजना

यह योजना माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाई जा रही है. जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत संस्थागत प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. जिससे शिशु का जन्म संस्थागत प्रसव के द्वारा प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा कराया जा सके. इस योजना के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में 1400 और शहरी क्षेत्र में 1 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

आर्थिक रूप से कमजोर गर्भवती महिला के आराम और पोषण को सुनिश्चित करने के लिए दी जाती है. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के जरिए भारत सरकार की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना का लाभ लाभार्थी को तीन किस्तों में मिलता है, जो सीधा गर्भवती महिला के बैंक खाते में पहुंचती है. पहली किस्त 1 हजार के रूप में गर्भावस्था के पंजीकरण के समय मिलती है. वहीं दूसरी किस्त में 2 हजार मिलती हैं. यह राशि सातवें महीने से प्रसव पूर्व तक गर्भावस्था के दौरान दी जाती है. वहीं तीसरी किस्त 2 हजार जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और उसके पहले टीके पर चक्र शुरू होता है. उस वक्त बैंक खाते में जमा की जाती है, यह योजना महिला बाल विकास विभाग के द्वारा क्रियान्वित की जाती है.

संबल योजना या मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना

मध्य प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में पंजीकृत असंगठित मजदूर महिलाओं के लिए यह योजना 1 अप्रैल 2018 से शुरू की गई थी. इसमें पंजीकृत असंगठित मजदूर महिलाओं को गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के दौरान कार्य से अनुपस्थित रहने के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाती है. इस योजना में हितग्राही को 16 हजार की राशि दो किस्तों में दी जाती है. पहली किस्त 4000 की गर्भावस्था के दौरान निर्धारित अवधि में अंतिम तिमाही तक डॉक्टर एएनएम द्वारा प्रसव पूर्व चार जांच कराने पर मिलती है. वहीं दूसरी किस्त के रूप में 12000 सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव के बाद बच्चे के जन्म पंजीयन होने पर पहला टीकाकरण कराने के बाद दी जाती है.

इस योजना के तहत प्रदेश में संचालित केंद्र सरकार की जननी सुरक्षा योजना के पात्र हितग्राहियों को भी इसका लाभ मिलता है. पहली गर्भावस्था के दौरान हितग्राही को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में पहली और दूसरी किस्त के रूप में 3 हजार का भुगतान किया जाता है और बाकी एक हजार की राशि हितग्राही को मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना से दी जाती है. हालांकि दूसरे गर्भधारण पर हितग्राही को पहली किस्त 4 हजार की राशि का भुगतान मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना से ही किया जाता है.

भिंड जिला अस्पताल के आंकड़े

पिछले 5 महीने में जिला अस्पताल में 30 अप्रैल से लेकर 27 अगस्त तक कुल 3134 महिलाओं की डिलीवरी हुई. जिनमें से जननी सुरक्षा योजना के तहत 2856 माताओं को लाभ दिया गया. जिनमें से करीब शहरी क्षेत्र में 577 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2279 हितग्राहियों को भुगतान किया गया है. इसी दौरान 310 माताओं को संबल योजना यानी मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना के दौरान भुगतान किए गए जिला अस्पताल में अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 8610 डिलीवरी हुई, जिनमें से जननी सुरक्षा योजना के तहत 7681 माताओं को भुगतान किया गया. वही संबल योजना के तहत भी करीब 1969 माताओं को योजना का लाभ दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.