भिंड। मध्यप्रदेश में चल रहे सहकारी समिति के आंदोलन के तहत भिंड में भी 4 फरवरी से सहकारी समिति कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि जब तक प्रदेश सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती तब तक धरना जारी रहेगा. सहकारी समिति के कर्मचारी लगातार सरकार से शासकीय कर्मचारी घोषित किये जाने की मांग कर रहे है, लेकिन सरकार द्वारा अनदेखी और इस मांग पर कोई फैसला न लेने पर सहकारी कर्मचारी पिछले 11 दिन से कलमबंद हड़ताल पर हैं.
शासकीय कर्मचारी घोषित किये जाने की मांग
आंदोलनकारी कर्मचारियों की मांग है कि सरकार ने अब तक उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित नहीं किया है. कर्मचारी तो पिछले 20 से 25 सालों से सहकारी विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन फिर भी उन्हें न तो सरकारी कर्मचारी कहलाने का हक दिया गया न ही शासकीय कर्मचारियों की तर्ज पर सुविधाएं दी गई हैं.
6 हजार की तनख्वाह में कैसे हो गुजारा
इसके साथ ही तनख्वाह के नाम पर सालों से 6 हजार रुपये प्रतिमाह का वेतनमान दिया जाता है. इसमें भी कोई बढ़ोतरी नहीं है. महंगाई सिर चढ़ चुकी है, लेकिन उनकी आय आज भी उतनी ही है. आज मजदूर को भी बाजार में 400 रुपये प्रतिदिन मिलता है, लेकिन अपनी 6 हजार की नौकरी में कोई कैसे अपने परिवार का खर्च चलाये.
पीडीएस की दुकानें बंद, गरीब जनता परेशान
इस धरने के चलते सबसे ज्यादा नुकसान उन गरीब परिवारों को उठाना पड़ रहा है, जो सरकारी राशन दुकान से मिलने वाले खाद्यान पर निर्भर हैं. सहकारी कर्मचारियों की कलमबंद हड़ताल से पीडीएस की दुकान लगभग 2 हफ्ते से ही बंद हैं, जिसकी वजह से राशन नहीं बट पा रहा है. हालांकि हड़ताल पर बैठे सहकारी कर्मचारियों का कहना हैं कि उन्हें इस बात का भी दुख है, लेकिन हमारे लिए भी पानी सिर के ऊपर चला गया है. इस लिए इस तरह प्रदर्शन के लिए मजबूर हैं. सहकारी कर्मचारियों द्वारा लोगों को आश्वासन दिया जा रहा है कि हड़ताल समाप्त होने पर पूरा राशन लोगों को दिया जाएगा.
झांकने भी नहीं आये जिला पंचायत सीईओ
जिला पंचायत परिसर में ही धरने पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 11 दिन से उनका धरना जारी है, लेकिन अब तक कोई अधिकारी उनसे मिलने तक नहीं आया है. असंवेदनशीलता की हद तो यह है कि जिला पंचायत परिसर में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएस ठाकुर के केबिन से महज 30 मीटर की दूरी पर धरना चल रहा है, लेकिन उन्होंने आज तक मुलाकात करना तो दूर झांकना तक जरूरी नहीं समझा.
सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो वे 18 फरवरी को भोपाल पहुंचकर सामूहिक इस्तीफा देंगे. कर्मचारियों का कहना है कि जिस जगह उनकी सुनवाई नहीं ऐसी जगह नौकरी करने से भी क्या फायदा है.