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यहां दूध बेचा तो भाग जाएगी भैंस, बस एक ही शर्त पर बेच सकते हैं घी - Kamai Ka Pura Village

भिंड जिले का 'कमई का पुरा' गांव अपनी अजीबोगरीब मान्यता के चलते चर्चा में है. गांव की अनोखी परंपरा के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. जानिए आखिर क्या है ये परंपरा..

कमई का पुरा गांव की अनोखी परंपरा
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Published : Nov 18, 2019, 12:30 PM IST

Updated : Nov 18, 2019, 2:58 PM IST

भिंड। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटूर दूर बसे 'कमई का पुरा' गांव की अपनी अलग पहचान है. यहां हर घर में दो से अधिक दुधारू मवेशी होते हैं, लेकिन एक बूंद भी दूध बेचने की इजाजत नहीं है. किसी ने दूध बेचने की हिमाकत की, तो उसके पूरे परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है या यूं कहें कि उसकी भैंस या तो भाग जाती है या फिर दूध देना बंद कर देती है.

कमई का पुरा गांव की अनोखी परंपरा

गांव में मौजूद हरसुख बाबा के प्रति लोगों में गहरी आस्था है और दूध नहीं बचने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस मान्यता को लेकर गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अगर किसी को दूध की जरूरत होती है, तो वह बिना पैसे दिए दूध ले जा सकता है. गांव के देवता जोहर सुखदेव बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने कहा था कि गांव का दूध किसी को बेचना मत. हां, घी बेच सकते हैं, लेकिन वो भी बिल्कुल शुद्ध.


इस गांव में घी बिल्कुल शुद्ध मिलता है, क्योंकि अगर घी में किसी भी तरह की मिलावट करने की कोशिश की गई, तो ग्रामीणों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. यही वजह है कि गांव में मिलने वाले घी की कीमत 700 रुपए प्रति किलो तक रहती है.


दूध में मिलावट नहीं होने का असर यहां के लोगों में दिखता है, जो बुढ़ापे तक तरोताजा दिखते हैं. वहीं दूसरे जिलों में मिलावटखोरी लोगों की जान की दुश्मन बनी हुई है. ऐसे में 'कमई का पुरा' के लोगों की अपने देवता के प्रति श्रद्धा ही उन्हें आम से खास बनाती है, साथ ही यहां के लोग शुद्धता की मिसाल भी पेश कर रहे हैं. यही वजह है कि गांव की ये परंपरा यहां के लोगों को हमेशा स्वस्थ रखती है.

भिंड। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटूर दूर बसे 'कमई का पुरा' गांव की अपनी अलग पहचान है. यहां हर घर में दो से अधिक दुधारू मवेशी होते हैं, लेकिन एक बूंद भी दूध बेचने की इजाजत नहीं है. किसी ने दूध बेचने की हिमाकत की, तो उसके पूरे परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है या यूं कहें कि उसकी भैंस या तो भाग जाती है या फिर दूध देना बंद कर देती है.

कमई का पुरा गांव की अनोखी परंपरा

गांव में मौजूद हरसुख बाबा के प्रति लोगों में गहरी आस्था है और दूध नहीं बचने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस मान्यता को लेकर गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अगर किसी को दूध की जरूरत होती है, तो वह बिना पैसे दिए दूध ले जा सकता है. गांव के देवता जोहर सुखदेव बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने कहा था कि गांव का दूध किसी को बेचना मत. हां, घी बेच सकते हैं, लेकिन वो भी बिल्कुल शुद्ध.


इस गांव में घी बिल्कुल शुद्ध मिलता है, क्योंकि अगर घी में किसी भी तरह की मिलावट करने की कोशिश की गई, तो ग्रामीणों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. यही वजह है कि गांव में मिलने वाले घी की कीमत 700 रुपए प्रति किलो तक रहती है.


दूध में मिलावट नहीं होने का असर यहां के लोगों में दिखता है, जो बुढ़ापे तक तरोताजा दिखते हैं. वहीं दूसरे जिलों में मिलावटखोरी लोगों की जान की दुश्मन बनी हुई है. ऐसे में 'कमई का पुरा' के लोगों की अपने देवता के प्रति श्रद्धा ही उन्हें आम से खास बनाती है, साथ ही यहां के लोग शुद्धता की मिसाल भी पेश कर रहे हैं. यही वजह है कि गांव की ये परंपरा यहां के लोगों को हमेशा स्वस्थ रखती है.

Intro:ओपनिंग पीटीसी- आज के दौर में जब लोग मिलावट खोरी का शिकार हैं लोगों का शुद्धता से विश्वास उठता जा रहा है खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स यानी दूध से बनी चीजों से ऐसे में भिंड जिले का एक छोटा सा गांव अपनी अनोखी परंपरा और मान्यता के लिए जाना जाता है जो मिलावट के गोरखधंधे पर तमाचा जड़ रही हैं।


Body:इन दिनों प्रदेश का चंबल संभाग नकली और मिलावटी दूध के लिए बदनाम है दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी भिंड मुरैना से नकली दूध मावा सप्लाई किया जाता है वही भिंड जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर एक गांव अपनी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है इस गांव का नाम है कमई का पुरा गांव के हर घर में कम से कम 2 मवेशी हैं लेकिन यहां ग्रामीण अपने मवेशियों से मिलने वाले दूध की बिक्री नहीं करते

पुरानी है मान्यता
गांव की इस मान्यता को लेकर गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियों से इसी तरह यह परंपरा चली आ रही है हम लोग अपने मवेशियों के दूध किसी को नहीं भेजते यदि किसी को जरूरत है तो वह बिना पैसे दिए ले जा सकता है हम मना नहीं करते पिछले 400 सालों से हमारे पूर्वज फिर हम यह परंपरा निभाते आ रहे हैं और हमारे आगे आने वाली पीढ़ियां भी दूध की बिक्री नहीं करेंगे

क्या है कारण
गांव के लोगों का कहना है कि पुराने समय में गांव के देवता जोहर सुखदेव बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं उन्होंने कहा था कि गांव का दूध किसी को भेजना मत घर का दूध घर में ही उपयोग करो खाओ इसलिए सभी उनकी बात का आज तक मान रखते हैं लोगों ने यह भी बताया कि कई लोगों ने उनकी बात नहीं मानी और दूध बिक्री की तो उस दिन के बाद उनके मवेशियों ने दूध देना ही बंद कर दिया इसलिए डर कहे यह सम्मान कोई दूध नहीं बेचता इस वजह से कमई का पुरा गांव में शुद्ध दूध मिलता है।

घी बनाकर बेचने की छूट है
इस गांव की एक और खासियत है जहां आमतौर पर अब लोगों का शुद्ध घी पर विश्वास नहीं रहा वहीं इस गांव में सबसे शुद्ध घी मिलता है जब हम ने ग्रामीणों से पूछा कि जब दूध की बिक्री नहीं करते तो इतना दूध एकत्रित होने पर खराब होता होगा तो इस बात का जवाब मिला कि हमें घी बेचने की छूट है लेकिन शुद्ध जिसे तैयार करने में 7 दिन लगते हैं हालांकि यही कारण है कि कमई का पुरा गांव में मिलने वाला की बाजार की कीमत से काफी महंगा है क्योंकि बाजार में मिलने वाला की दामन 350 से ₹400 किलो बिकता है लेकिन इस गांव में लोगों को ₹700 किलो के हिसाब से चुकाने पड़ते हैं।

बाइट- रामराती, बिजुर्ग ग्रामीण, कमई का पुरा
बाइट- सोबरन सिंह, ग्रामीण, कमई का पुरा
बाइट- प्रमोद यादव, ग्रामीण, कमई का पुरा


Conclusion:क्लोजिंग पीटीसी- अब इसे विश्वास करें या अंधविश्वास लेकिन इस अनोखे गांव की अनोखी मान्यता ने इसे आज भी शुद्धता के लिए पहचान दिला रखी है जहां लोग पैसों के लिए मिलावट खोरी कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं वहीं कमाई का पुरा गांव में ग्रामीण अपने देवता के वचनों का आज भी पालन कर मिलावट को रोके खिलाफ मिसाल पेश कर रहे हैं

भिंड से ईटीवी भारत के लिए पीयूष श्रीवास्तव
Last Updated : Nov 18, 2019, 2:58 PM IST
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