भिंड। भिंड में जिला अस्पताल में नर्स नेहा चंदेला की वार्ड बॉय रितेश शाक्य ने सिर में गोली मारकर हत्या कर दी थी. अस्पताल जैसी जगह में हत्या की वारदात से अन्य नर्सिंग स्टाफ में डर और दहशत का माहौल है, वहीं पूरा जिला स्तब्ध है. ऐसे में रात में जिला अस्पताल में क्या सुरक्षा व्यवस्था की गई है इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम अस्पताल पहुंची और पूरी स्थिति का जायजा लिया.
हर तरफ फैला सन्नाटा
रात 9.30 बजे जब टीम अस्पताल पहुंची तो मेन गेट पर कोई गार्ड मौजूद नहीं था. वहीं ट्रामा सेंटर में मरीजों और उनके अटेंडर भरे हुए थे. केवल एक नर्स ड्यूटी पर थी. टीम अस्पताल की मेन बिल्डिंग में दाखिल हुए तो देखा कि गैलरियों में सन्नाटा पसरा हुआ था. जिस स्टोर में नर्स की हत्या की गई वहां ताला डाल दिया गया था. सुरक्षा के लिए कोई अतरिक्त पुलिसबल नहीं लगाया गया है.
दहशत के साये में ड्यूटी
आईसीयू वार्ड में शनिवार रात को दो मेल नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी. बातचीत में उन्होंने बताया कि घटना के बाद से ही अस्पताल में दशहत बनी हुई है. इसलिए महिला नर्सों की ड्यूटी रात में नहीं लगाई गई है. बच्चा वार्ड में भी सिर्फ एक नर्स मौजूद थी. उसने कहा कि बाकी नर्सों में भी दशहत है कि वह भी इस तरह की वारदात का शिकार न हो जाएं. नर्स नेहा चंदेला की हत्या के बाद सिर्फ इतना बदलाव किया गया है कि, अटेंडरों की संख्या कम कर दी गयी है. उन्हें अंदर आने जाने के लिए पास दिए जा रहे हैं.
सुरक्षा के नाम पर सब शून्य
एक आदमी बंदूक के साथ अंदर आया और नर्स की हत्या करके चला गया और किसी को पता तक नहीं चला. हत्या के बाद यहां पुलिस महकमा सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की बात कह रहा है, लेकिन अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर सब शून्य है. पूरे अस्पताल में सिर्फ 3 गॉर्ड और 2 पुलिसकर्मी हमेशा की तरह अस्पताल चौकी में ड्यूटी पर मिले. ऐसे में न तो आने जाने वालों को कोई रोकता दिखा न ही उनके बारे पूछताछ करता मिला. अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा के लिए प्रबंधन और पुलिस कितना सजग है ये खुद तस्वीरें बयां कर रही हैं.
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दो पुलिसकर्मियों के भरोसे है अस्पताल
यह पहला मामला नहीं है जब जिला अस्पताल में कोई वारदात हुई हो. इससे पहले भी कई बार फायरिंग हो चुकी है. 2015 में जिला अस्पताल में एक युवक को दौड़ा-दौड़ा कर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. मार्च 2019 में भिंड में आपराधिक गैंग संजीव और दाऊ के बीच अस्पताल में मुठभेड़ हुई थी जिसमें एक शख्स की मौत और एक शख्स घायल हुआ था. यह पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. मई 2019 के ही दो गुटों के बीच जिला अस्पताल परिसर में झड़प हुई और गोली लगने से एक युवक घायल हो गया था. इसके अलावा अस्पताल स्टाफ पर कई बार हमले भी हो चुके हैं.अक्टूबर में जितेंद्र नाम के फौजी ने अपने एक मरीज के इलाज का दबाव बनाते हुए जिला अस्पताल में पदस्थ नर्स आशा पानसे से बदसलूकी कर उसका गला दबा दिया था. इस तरह की जानलेवा घटनाओं के बाद भी पुलिस महकमा चेता नहीं है. 300 बेड वाला यह अस्पताल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसकी सुरक्षा का जिम्मा महज अस्पताल चौकी में पदस्थ दो पुलिसकर्मियों के कंधों पर है.
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