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भिंड SP की पहल का हुआ असर, क्यूआर कोडिंग के लिए लोग जमा कर रहे कारतूस - Mehgaon SDOP

भिंड जिले में एसपी मनोज कुमार सिंह ने अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बंदूकों के कारतूस पर क्यूआर कोडिंग कराने की पहल शुरू की है, जिसका असर देखने को मिल रहा है. उपचुनाव से पहले लोग अपने कारतूस पुलिस थानों में जमा कर रहे हैं, जिस पर पुलिस द्वारा कोडिंग का काम किया जा रहा है.

People are submitting cartridges to get QR coding done
क्यूआर कोडिंग लगवाने लोग जमा करा रहे कारतूस
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Published : Oct 23, 2020, 8:40 AM IST

भिंड। देश में पहली बार भिंड जिले में एसपी मनोज कुमार सिंह ने अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बंदूकों के कारतूस पर क्यूआर कोडिंग कराने की पहल की है. इस पहल के तहत भिंड जिले में बिकने वाली हर बंदूक और हर बुलेट पर क्यूआर कोड (Quick Response Code) प्रिंट होगा, जिससे काफी हद तक अपराधों पर अंकुश लगेगा, जिसका असर देखने को मिल रहा है. उपचुनाव से पहले लोग अपने कारतूस पुलिस थानों में जमा कर रहे हैं.

क्यूआर कोडिंग लगवाने लोग जमा करा रहे कारतूस

पिछले दिनों भिंड एसपी ने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए, खासकर गन शॉट जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए देश में पहली बार बंदूक के कारतूस पर क्यूआर कोड लगवाने की पहल की है. भिंड एसपी ने लोगों से अपील की थी कि, वो अपने कारतूस पुलिस थाने में जमा कराएं, जिससे उन पर क्यूआर कोड लगवाया जा सके, जो उनकी सुरक्षा और पहचान के लिए बेहद जरूरी होगा. ऐसे में लोगों का भी इस पहल को समर्थन मिला है और मेहगांव डिवीजन के कई बंदूकधारियों ने अपने कारतूस जमा कराने शुरू कर दिए हैं. जिन पर एम्युनिशन फैक्ट्री में बार कोडिंग कराई जा रही है.

मेहगांव एसडीओपी के अनुसार भिंड जिले में 22 हजार से ज्यादा लाइसेंसी फायर आर्म्स हैं, ऐसे में जो लोग अपराधी प्रवृत्ति के नहीं हैं, वो स्वेच्छा से अपनी बंदूकों के कारतूस पर क्यूआर कोड लगवाने के लिए आ रहे हैं, जो एक अच्छी पहल है. अब तक मेहगांव ब्लॉक में ही सैकड़ों की संख्या में कारतूस जमा हो चुके हैं, जिन्हें लगातार फीड कराया जा रहा है.

ये भी पढ़े- क्राइम कंट्रोल की स्मार्ट तैयारी, क्यूआर कोड बताएगा गोली किसने मारी

इस कोड में कारतूस खरीदने वाले की बंदूक का लाइसेंस नंबर रहता है, ऐसे में अगर कहीं कोई फायर आर्म से घटना होती है, तो अमूमन वहां मिलने वाला कारतूस का शैल जिस पर लगा क्यूआर कोड एक एप के जरिए स्कैन किया जाएगा. उससे पता चल जाएगा कि, यह कारतूस किससे संबंधित है और उसके जरिए संबंधित अपराध में आरोपी तक पहुंचने में काफी हद तक मदद मिलेगी. ये पहल देशभर में पहली बार भिंड जिले में शुरू की गई है.

भिंड। देश में पहली बार भिंड जिले में एसपी मनोज कुमार सिंह ने अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बंदूकों के कारतूस पर क्यूआर कोडिंग कराने की पहल की है. इस पहल के तहत भिंड जिले में बिकने वाली हर बंदूक और हर बुलेट पर क्यूआर कोड (Quick Response Code) प्रिंट होगा, जिससे काफी हद तक अपराधों पर अंकुश लगेगा, जिसका असर देखने को मिल रहा है. उपचुनाव से पहले लोग अपने कारतूस पुलिस थानों में जमा कर रहे हैं.

क्यूआर कोडिंग लगवाने लोग जमा करा रहे कारतूस

पिछले दिनों भिंड एसपी ने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए, खासकर गन शॉट जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए देश में पहली बार बंदूक के कारतूस पर क्यूआर कोड लगवाने की पहल की है. भिंड एसपी ने लोगों से अपील की थी कि, वो अपने कारतूस पुलिस थाने में जमा कराएं, जिससे उन पर क्यूआर कोड लगवाया जा सके, जो उनकी सुरक्षा और पहचान के लिए बेहद जरूरी होगा. ऐसे में लोगों का भी इस पहल को समर्थन मिला है और मेहगांव डिवीजन के कई बंदूकधारियों ने अपने कारतूस जमा कराने शुरू कर दिए हैं. जिन पर एम्युनिशन फैक्ट्री में बार कोडिंग कराई जा रही है.

मेहगांव एसडीओपी के अनुसार भिंड जिले में 22 हजार से ज्यादा लाइसेंसी फायर आर्म्स हैं, ऐसे में जो लोग अपराधी प्रवृत्ति के नहीं हैं, वो स्वेच्छा से अपनी बंदूकों के कारतूस पर क्यूआर कोड लगवाने के लिए आ रहे हैं, जो एक अच्छी पहल है. अब तक मेहगांव ब्लॉक में ही सैकड़ों की संख्या में कारतूस जमा हो चुके हैं, जिन्हें लगातार फीड कराया जा रहा है.

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इस कोड में कारतूस खरीदने वाले की बंदूक का लाइसेंस नंबर रहता है, ऐसे में अगर कहीं कोई फायर आर्म से घटना होती है, तो अमूमन वहां मिलने वाला कारतूस का शैल जिस पर लगा क्यूआर कोड एक एप के जरिए स्कैन किया जाएगा. उससे पता चल जाएगा कि, यह कारतूस किससे संबंधित है और उसके जरिए संबंधित अपराध में आरोपी तक पहुंचने में काफी हद तक मदद मिलेगी. ये पहल देशभर में पहली बार भिंड जिले में शुरू की गई है.

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