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दुर्लभ बीमारी 'पोर्टाेकैवल शंट' से जूझ रहे बच्चे को मिला नया जीवन, एम्स के डॉक्टरों का करिश्मा - AIIMS PORTOCAVAL SHUNT OPERATION

मध्य भारत में अपनी तरह की पहली ट्रांसकैथेटर क्लोजर को एम्स के डॉक्टरों ने दिया अंजाम. 9 साल के बच्चे की बचाई जान.

AIIMS PORTOCAVAL SHUNT OPERATION
दुर्लभ बीमारी 'पोर्टाेकैवल शंट' का सफल ऑपरेशन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 22 hours ago

भोपाल: दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे एक 9 साल के बच्चे को एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है. दरअसल यह बच्चा दुर्लभ बीमारी पोर्टोकैवल शंट से जूझ रहा था. ऐसे में उसके जीवित रहने की संभावना बहुत कम थी. हालांकि एम्स में डॉक्टरों ने उसकी हालत देखकर कुछ जरुरी जांच कराने के निर्देश दिए. जिसमें बच्चे में पोर्टोकैवल शंट बीमारी होने की पुष्टि हुई. इसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती कराते हुए, उसका सफल ऑपरेशन किया.

दाहिने पैर का इलाज कराने आया था मरीज

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ अजय सिंह ने बताया कि "9 वर्षीय बच्चा एम्स भोपाल में अपने दाहिने पैर की चोट के इलाज के लिए आया था. जिसमें रोगी को डिब्राइडमेंट की आवश्यकता थी. ऐसे में ऑपरेशन से पहले किए गए परीक्षणों में उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन केवल 75 प्रतिशत पाया गया. साथ ही बच्चे को नीलेपन की शिकायत भी थी.

डॉक्टरों ने आगे के परीक्षण के लिए बच्चे को हृदय रोग विभाग में भेजा. जहां कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ भूषण शाह ने एक बबल कान्ट्रास्ट ईकोकार्डियोग्राफी का अध्ययन किया. जिससे पल्मोनरी आर्टीरियोवीनस मालफार्मेशन (एवीएम) का पता चला. पेट के अल्ट्रासाउंड में लिवर में पोटासिस्टमिक शंट की पुष्टि हुई. सीटी पल्मोनरी एंजियोग्राफी और कार्डियक सीटी ने डक्टस वेनोसस शंट की पुष्टि की."

एम्स भोपाल में इस प्रकार हुई चिकित्सा

बता दें कि मरीज के उच्च अमोनिया स्तर, जो हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी और पोर्टल हाइपरटेंशन का संकेत थे. इसके कारण मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता थी. डॉ भूषण शाह के नेतृत्व में कार्डियोलॉजी टीम ने डक्टस वेनोसस शंट का ट्रांसकैथेटर क्लोजर करने की योजना बनाई. यह प्रक्रिया गर्दन की नस के माध्यम से की गई और इंट्राहेपेटिक डक्टस वेनोसस में एक डिवाइस को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया. फालोअप एंजियोग्राफी ने पुष्टि की कि कोई अवशिष्ट शंटिंग नहीं थी और क्लोजर के बाद के फॉलो-अप में मरीज के अमोनिया के स्तर सामान्य हो गए.

भारत में बाल हृदय रोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ अजय सिंह ने बताया कि "हृदय रोग विभाग ने दुर्लभ पोर्टोकैवल शंट का पहला सफल ट्रांसकैथेटर क्लोजर किया है, जो पोर्टल वेन और हेपेटिक वेन के बीच असामान्य रक्त वाहिकाओं के जुड़ाव से संबंधित है. यह मध्य भारत में अपनी तरह की पहली ट्रांसकैथेटर क्लोजर है."

डॉ अजय सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि "यह सर्जरी भारत में बाल हृदय रोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है. यह हमारे चिकित्सा दलों की तकनीकी विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाता है और यह भी साबित करता है कि एम्स भोपाल जटिल चिकित्सा समस्याओं के लिए अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस सर्जिकल टीम में कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ भूषण शाह, डॉ सुदेश प्रजापति और डॉ आशीष जैन के साथ कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ हरीश शामिल थे."

भोपाल: दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे एक 9 साल के बच्चे को एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है. दरअसल यह बच्चा दुर्लभ बीमारी पोर्टोकैवल शंट से जूझ रहा था. ऐसे में उसके जीवित रहने की संभावना बहुत कम थी. हालांकि एम्स में डॉक्टरों ने उसकी हालत देखकर कुछ जरुरी जांच कराने के निर्देश दिए. जिसमें बच्चे में पोर्टोकैवल शंट बीमारी होने की पुष्टि हुई. इसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती कराते हुए, उसका सफल ऑपरेशन किया.

दाहिने पैर का इलाज कराने आया था मरीज

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ अजय सिंह ने बताया कि "9 वर्षीय बच्चा एम्स भोपाल में अपने दाहिने पैर की चोट के इलाज के लिए आया था. जिसमें रोगी को डिब्राइडमेंट की आवश्यकता थी. ऐसे में ऑपरेशन से पहले किए गए परीक्षणों में उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन केवल 75 प्रतिशत पाया गया. साथ ही बच्चे को नीलेपन की शिकायत भी थी.

डॉक्टरों ने आगे के परीक्षण के लिए बच्चे को हृदय रोग विभाग में भेजा. जहां कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ भूषण शाह ने एक बबल कान्ट्रास्ट ईकोकार्डियोग्राफी का अध्ययन किया. जिससे पल्मोनरी आर्टीरियोवीनस मालफार्मेशन (एवीएम) का पता चला. पेट के अल्ट्रासाउंड में लिवर में पोटासिस्टमिक शंट की पुष्टि हुई. सीटी पल्मोनरी एंजियोग्राफी और कार्डियक सीटी ने डक्टस वेनोसस शंट की पुष्टि की."

एम्स भोपाल में इस प्रकार हुई चिकित्सा

बता दें कि मरीज के उच्च अमोनिया स्तर, जो हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी और पोर्टल हाइपरटेंशन का संकेत थे. इसके कारण मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता थी. डॉ भूषण शाह के नेतृत्व में कार्डियोलॉजी टीम ने डक्टस वेनोसस शंट का ट्रांसकैथेटर क्लोजर करने की योजना बनाई. यह प्रक्रिया गर्दन की नस के माध्यम से की गई और इंट्राहेपेटिक डक्टस वेनोसस में एक डिवाइस को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया. फालोअप एंजियोग्राफी ने पुष्टि की कि कोई अवशिष्ट शंटिंग नहीं थी और क्लोजर के बाद के फॉलो-अप में मरीज के अमोनिया के स्तर सामान्य हो गए.

भारत में बाल हृदय रोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ अजय सिंह ने बताया कि "हृदय रोग विभाग ने दुर्लभ पोर्टोकैवल शंट का पहला सफल ट्रांसकैथेटर क्लोजर किया है, जो पोर्टल वेन और हेपेटिक वेन के बीच असामान्य रक्त वाहिकाओं के जुड़ाव से संबंधित है. यह मध्य भारत में अपनी तरह की पहली ट्रांसकैथेटर क्लोजर है."

डॉ अजय सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि "यह सर्जरी भारत में बाल हृदय रोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है. यह हमारे चिकित्सा दलों की तकनीकी विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाता है और यह भी साबित करता है कि एम्स भोपाल जटिल चिकित्सा समस्याओं के लिए अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस सर्जिकल टीम में कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ भूषण शाह, डॉ सुदेश प्रजापति और डॉ आशीष जैन के साथ कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ हरीश शामिल थे."

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