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Paracanoe World Championship सिल्वर मेडल जीतकर लौटी पूजा ओझा बोली, लगन व मेहनत से सपने सच भी होते हैं

भिंड की बेटी पूजा ओझा ने विश्व पटल पर देश का नाम रोशन किया है. पूजा ओझा कनाडा के हेलीफैक्स में 3 से 7 अगस्त तक आयोजित हुई ICF पैरा केनो वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली दिव्यांग खिलाड़ी बन गयी हैं. पदक जीतकर भारत लौटी दिव्यांग खिलाड़ी पूजा ओझा ने गृह जिला भिंड में अपने अनुभव साझा किए ETV भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव से. Paracanoe World Championship, Pooja Ojha winning silver, Dreams true with hard work, Daughter of Chambal

Pooja Ojha winning silver
सिल्वर मेडल जीतकर लौटी पूजा ओझा
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Published : Aug 26, 2022, 6:16 PM IST

भिंड। किसी भी खिलाड़ी के लिए विश्वस्तर पर मेडल जीतकर अपने देश का नाम रोशन करना लक्ष्य और सपना होता है, लेकिन कुछ खिलाड़ी ही इस सपने को साकार करने में काययाब हो पाते हैं. लेकिन दिव्यांग खिलाड़ी पूजा ओझा ने ये कमाल कर दिखाया. पूजा ने विदेशी धरती पर वॉटर स्पोर्ट्स में न सिर्फ अपना लोहा मनवाया बल्कि देश का नाम भी गर्व से ऊंचा कर दिया है. पूजा ओझा ने कनाडा के हेलीफेक्स में आयोजित हुई ICF स्प्रिंट केनो एन्ड पैरा केनो वर्ल्ड चैंपियनशिप 2022 में 3 अगस्त को आयोजित हुए VL 1 200 मीटर पैरा केनो इवेंट में रजत पदक (Silver medal) हासिल किया है.

सिल्वर मेडल जीतकर लौटी पूजा ओझा

देश के लिए मेडल जीतकर पूरा किया सपना : पूजा ओझा वतन वापसी के बाद भिंड पहुंची. इस दौरान उन्होंने ETV भारत संवाददाता को बताया कि ये उनका सपना था कि वे वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए मैडल जीतें. उन्होंने कहा कि, पहले वे एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीत चुकी है, इस साल भी उन्होंने एक इंटरनेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीत था. उन्होंने कहा कि अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए मेडल लेकर मेरा सपना पूरा हुआ है. बहुत अच्छा लग रहा है. खासकर हमारी इंडियन कयाकिंग एंड केनो एसोसिएशन (IKCA) भी चाहती थी कि हमारे खिलाड़ी वर्ल्ड में मैडल जीतें. यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.

माता -पिता का हमेशा मिला साथ : पूजा ने बातचीत के दौरान बताया कि वे एक सामान्य परिवार से हैं. यह बात सही है कि वाटर स्पोर्ट्स आसान नहीं होते. इसमें बहुत एनर्जी लगती है. बहुत कैलोरीज बर्न होती है. इसके लिए अच्छी डाइट भी लगती है, लेकिन मेरे माता पिता ने मुझे कभी इसकी कमी नही होने दी. भले ही वे किसी भी कमी से जूझते रहे हों, लेकिन हमेशा मेरे साथ खड़े रहे. पूजा ने कहा कि वे आज जो भी हैं अपने माता पिता की वजह से हैं.

सरकार की अनदेखी का छलका दर्द : पैराकेनो वर्ल्ड चैंपियनशिप की सिल्वर मेडलिस्ट पूजा ओझा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रोत्साहन या प्राइज मनी उन्हें नही दी गयी. वे अब तक जो भी कर रहीं हैं अपने परिवार के दम पर. वे ही सारी व्यवस्थाएं करते हैं. कुछ छोटी मोटी मदद जिला कलेक्टर द्वारा कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्ट्रगल बहुत ज्यादा किया है. पूजा का कहना है कि उन्हें हर चीज के लिए सोचना पड़ता है. खाने के लिए सोचना पड़ता है. डाइट के लिए सोचना पड़ता है. तब जाकर परफॉर्मेन्स दे पाते हैं. फिर भी कहीं न कहीं कुछ छूट जाता है, जिस तरह इस बार गोल्ड छूट गया. कहीं न कही कुछ कमियां रहीं जिन्हें अब वे सुधारेंगी आगे चलकर. आज आर्थिक स्थियाँ ठीक नही हैं लेकिन वे फिर भी आने वाले एशियन गेम्स में भारत के लिए गोल्ड मेडल ज़रूर लाने का प्रयास करेंगी.

खेल डायरेक्टर पहुंची थी एयरपोर्ट, किया सम्मानित : जब पूजा से सवाल किया गया कि रजत पदक हासिल करने के बाद मंत्रियों तक के बधाई संदेश सोशल मीडिया पर शुरू हो गए, इस बारे में क्या सोचती हैं तो पूजा ओझा ने कहा कि बहुत अच्छा लगता है जब कोई आपके काम को मेहनत को सराहता है. जब वे भारत वापस लौटी और एयरपोर्ट पर पहुंची तो मध्यप्रदेश की खेल विभाग की डायरेक्टर भी उनसे मिलने पहुंची थी उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सम्मान भी किया.

Commonwealth Karate Championship देश का प्रतिनिधित्व करेगी मध्यप्रदेश की बेटी रुषा तंवर

बेटियों को स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने दें : चंबल क्षेत्र से होने के नाते यहां लड़कियों के प्रति लोगों की सोच को लेकर बात करते हुए पूजा ने कहा कि अब चंबल के लोग बेटियों को आगे बढ़ाने लगे हैं. पहले लोग बेटियों को उतनी तवज्जो नही देते थे लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. मेरे घरवालों ने दिव्यांग होने के बाद भी मुझे आगे बढ़ाया पढ़ाया लिखाया. मैं तो स्कूल जाने में झिझकती थी लेकिन मेरी मां ने हमेशा मुझे आगे रखा. उन्होंने भिंड के लोगों से भी अपील की कि बेटियों को आगे आने दें.अगर उनकी रुचि खेलों में है तो उन्हें आगे बढ़ाएं. खासकर अगर दिव्यांग हों तो उसे कमजोर न समझें. क्योंकि मनोबल बड़ा होना चाहिए. फिर हम कुछ भी कर सकते हैं. Paracanoe World Championship, Pooja Ojha winning silver, dreams true with hard work, Daughter of Chambal

भिंड। किसी भी खिलाड़ी के लिए विश्वस्तर पर मेडल जीतकर अपने देश का नाम रोशन करना लक्ष्य और सपना होता है, लेकिन कुछ खिलाड़ी ही इस सपने को साकार करने में काययाब हो पाते हैं. लेकिन दिव्यांग खिलाड़ी पूजा ओझा ने ये कमाल कर दिखाया. पूजा ने विदेशी धरती पर वॉटर स्पोर्ट्स में न सिर्फ अपना लोहा मनवाया बल्कि देश का नाम भी गर्व से ऊंचा कर दिया है. पूजा ओझा ने कनाडा के हेलीफेक्स में आयोजित हुई ICF स्प्रिंट केनो एन्ड पैरा केनो वर्ल्ड चैंपियनशिप 2022 में 3 अगस्त को आयोजित हुए VL 1 200 मीटर पैरा केनो इवेंट में रजत पदक (Silver medal) हासिल किया है.

सिल्वर मेडल जीतकर लौटी पूजा ओझा

देश के लिए मेडल जीतकर पूरा किया सपना : पूजा ओझा वतन वापसी के बाद भिंड पहुंची. इस दौरान उन्होंने ETV भारत संवाददाता को बताया कि ये उनका सपना था कि वे वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए मैडल जीतें. उन्होंने कहा कि, पहले वे एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीत चुकी है, इस साल भी उन्होंने एक इंटरनेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीत था. उन्होंने कहा कि अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए मेडल लेकर मेरा सपना पूरा हुआ है. बहुत अच्छा लग रहा है. खासकर हमारी इंडियन कयाकिंग एंड केनो एसोसिएशन (IKCA) भी चाहती थी कि हमारे खिलाड़ी वर्ल्ड में मैडल जीतें. यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.

माता -पिता का हमेशा मिला साथ : पूजा ने बातचीत के दौरान बताया कि वे एक सामान्य परिवार से हैं. यह बात सही है कि वाटर स्पोर्ट्स आसान नहीं होते. इसमें बहुत एनर्जी लगती है. बहुत कैलोरीज बर्न होती है. इसके लिए अच्छी डाइट भी लगती है, लेकिन मेरे माता पिता ने मुझे कभी इसकी कमी नही होने दी. भले ही वे किसी भी कमी से जूझते रहे हों, लेकिन हमेशा मेरे साथ खड़े रहे. पूजा ने कहा कि वे आज जो भी हैं अपने माता पिता की वजह से हैं.

सरकार की अनदेखी का छलका दर्द : पैराकेनो वर्ल्ड चैंपियनशिप की सिल्वर मेडलिस्ट पूजा ओझा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रोत्साहन या प्राइज मनी उन्हें नही दी गयी. वे अब तक जो भी कर रहीं हैं अपने परिवार के दम पर. वे ही सारी व्यवस्थाएं करते हैं. कुछ छोटी मोटी मदद जिला कलेक्टर द्वारा कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्ट्रगल बहुत ज्यादा किया है. पूजा का कहना है कि उन्हें हर चीज के लिए सोचना पड़ता है. खाने के लिए सोचना पड़ता है. डाइट के लिए सोचना पड़ता है. तब जाकर परफॉर्मेन्स दे पाते हैं. फिर भी कहीं न कहीं कुछ छूट जाता है, जिस तरह इस बार गोल्ड छूट गया. कहीं न कही कुछ कमियां रहीं जिन्हें अब वे सुधारेंगी आगे चलकर. आज आर्थिक स्थियाँ ठीक नही हैं लेकिन वे फिर भी आने वाले एशियन गेम्स में भारत के लिए गोल्ड मेडल ज़रूर लाने का प्रयास करेंगी.

खेल डायरेक्टर पहुंची थी एयरपोर्ट, किया सम्मानित : जब पूजा से सवाल किया गया कि रजत पदक हासिल करने के बाद मंत्रियों तक के बधाई संदेश सोशल मीडिया पर शुरू हो गए, इस बारे में क्या सोचती हैं तो पूजा ओझा ने कहा कि बहुत अच्छा लगता है जब कोई आपके काम को मेहनत को सराहता है. जब वे भारत वापस लौटी और एयरपोर्ट पर पहुंची तो मध्यप्रदेश की खेल विभाग की डायरेक्टर भी उनसे मिलने पहुंची थी उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सम्मान भी किया.

Commonwealth Karate Championship देश का प्रतिनिधित्व करेगी मध्यप्रदेश की बेटी रुषा तंवर

बेटियों को स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने दें : चंबल क्षेत्र से होने के नाते यहां लड़कियों के प्रति लोगों की सोच को लेकर बात करते हुए पूजा ने कहा कि अब चंबल के लोग बेटियों को आगे बढ़ाने लगे हैं. पहले लोग बेटियों को उतनी तवज्जो नही देते थे लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. मेरे घरवालों ने दिव्यांग होने के बाद भी मुझे आगे बढ़ाया पढ़ाया लिखाया. मैं तो स्कूल जाने में झिझकती थी लेकिन मेरी मां ने हमेशा मुझे आगे रखा. उन्होंने भिंड के लोगों से भी अपील की कि बेटियों को आगे आने दें.अगर उनकी रुचि खेलों में है तो उन्हें आगे बढ़ाएं. खासकर अगर दिव्यांग हों तो उसे कमजोर न समझें. क्योंकि मनोबल बड़ा होना चाहिए. फिर हम कुछ भी कर सकते हैं. Paracanoe World Championship, Pooja Ojha winning silver, dreams true with hard work, Daughter of Chambal

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