भिंड। बीते दो वर्षों से बरसात के मौसम में चम्बल नदी में जलस्तर बढ़ने से भिंड जिले का अटेर क्षेत्र बाढ़ आपदा से जूझ रहा है. हर साल यहां के गांवों में सैकड़ों परिवार बाढ़ प्रभावित होते हैं. गुरुवार को नदी किनारे बसे निचले गांव में बढ़ का जल भराव शुरू हो गया.अटेर जनपद मुख्यालय से लगे देवालय और मुकटपुरा गांव तक चम्बल का पानी पहुंच चुका है. आपदा को लेकर एक दिन पहले से पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से बाढ़ संभावित इलाकों को खाली कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर चले जाने की मुनादी करा दी थी, लेकिन एक दो परिवारों के अलावा कोई भी अपनी गृहस्थाी छोड़ कर गांव से जाने को तैयार नहीं है. Chambal River Water Flood
अटेर में SDRF तैनात: बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिए अटेर में पुलिस के अलावा SDRF की 7 सदस्यीय टीम एक बोट के साथ तैनात की गई है. साथ ही आपातकाल में उपयोगी टूल्स भी उपलब्ध कराए गए हैं. इसी टीम का हिस्सा जवान शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि बाढ़ का पानी नजदीक आ चुका है. टीम ने कुछ गांव खाली करा दिए हैं. मुकटपुरा गांव के लिए जाने वाले रास्ते पर भी पानी का भराव शुरू हो चुका है. छोटी पुलिया डूब चुकी है. बड़ी पुलिया भी डूबने की कगार पर है. राहत एवं बचाव कार्य के लिए SDRF की टीम मुस्तैद है. समय समय पर पेट्रोलिंग भी की जा रही है. High Alert In Madhya Pradesh
रात तक बढ़ सकता है पानी: गांधी सागर और कोटा बैराज से बुधवार और गुरुवार को करीब 4 लाख क्यूसेक पानी चम्बल में छोड़ा गया है. इसकी वजह से नदी उफान पर चल रही है. बारिश की वजह से कभी भी दोबारा इन बांधो से पानी दोबारा छोड़ा जा सकता है. जिससे तबाही का अंदेशा है.अटेर के ऐतिहासिक देवगिरी दुर्ग के पास तक चम्बल नदी का पानी पहुंच चुका है. ऐसे में आशंका है कि, देर रात तक बाढ़ का पानी अटेर मुख्यालय तक पहुंच सकता है. यदि ऐसा हुआ तो चम्बल किनारे बसे गांवों में रहने वाले परिवार मुसीबत में फंस जाएंगे.
200 गांवों में बाढ़ का अलर्ट जारी: कोटा बैराज से प्रति सेकंड पौने दो लाख क्यूसेक पानी चंबल नदी में छोड़ने और पार्वती और काली सिंध नदी का पानी चंबल नदी में आने से मुरैना में राजघाट पर चंबल नदी खतरे के निशान से सिर्फ डेढ़ मीटर नीचे रह गई है. चंबल का जलस्तर बढ़ने से प्रशासन ने चंबल किनारे के 200 गांव में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया है. इधर प्रशासन ने जनपद और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह बाढ़ की दशा में ग्रामीणों को ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का प्रबंध करें. कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि गर्भवती महिलाओं का सर्वे कर उनको प्रसव पूर्व सरकारी अस्पतालों में पहुंचाने की व्यवस्था करें ताकि बाढ़ आने की स्थिति में उनको प्रसव संबंधी कोई दिक्कत न हो.
बचाव कार्य के लिए निर्देश जारी: मुरैना में चंबल नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी भर जाने से गांव डूब जाते हैं. लोगों को छत पर शरण लेनी पडती है. लगातार कोटा बैराज के गेट खुले रहने से मुरैना जिले की चंबल नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. चंबल नदी का पानी खतरे के निशान पर पहुंचने पर नदी किनारे बसे हुए गांव में पानी पहुंच जाएगा. चंबल नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं. मुरैना जिले के चंबल नदी के किनारे बसे भानपुर, नदुआपुरा, अंबाह इलाके का बीलपुर, कुथियाना, उसैद और पोरसा नगरा थाने के भूपपुरा-शाहपुरा सहित दर्जनों गांव में पानी घुसने से ये गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं. बाढ़ की अंशका को देखते हुए जिला प्रशासन ने अधिकारियों को बचाव कार्य के लिए निर्देश जारी कर दिए है.