भिंड। बिजली कंपनी की मनमानी से किसानों में गुस्सा है. कई किसान ऐसे हैं जिन्होने वर्षों पहले अपना कनेक्शन ख़त्म कर दिया था या स्थाई कनेक्शन लिया ही नहीं. लेकिन अब तहसीलदार उनकी ज़मीन के दस्तावेज पर बकाया राशि लिखवाकर बंधक बनाते जा रहे हैं. ज़िले के मेहगाँव ब्लॉक में तहसीलदार ने बिजली कंपनी द्वारा भेजी गई लिस्ट के अनुसार किसानों की ज़मीनों को बंधक बनाना शुरू कर दिया है. दस्तावेज के 12 नंबर कॉलम पर बकाया राशि लिखवाकर किसानों पर बिजली का बकाया बिल भरने का दबाव बनाया जा रहा है. किसान अब बिजली कंपनी के दफ़्तर और तहसीलदार कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
भिंड जिले में 8 सौ करोड़ बकाया : चम्बल क्षेत्र में मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करोड़ों के घाटे में जा चुकी. जिसकी वजह उपभोक्ताओं द्वारा बिजली का बकाया बिल ना भरना है. अकेले भिंड ज़िले में ही क़रीब 800 करोड़ रुपये का बिल बकाया है. ऐसे में बिल वसूली के नाम पर बिजली कंपनी ऐसे किसानों को भी परेशान कर रहा है, जिनका कोई लेना देना तक नहीं है. मेहगाँव के ही एक किसान मुरली ने बताया कि बिजली विभाग ने उनकी ज़मीन के दस्तावेज़ों पर बकाया राशि दर्ज बंधक बना लिया है. ऐसे में अब अपनी ज़मीन की ख़रीद फरोख्त नहीं कर पायेंगे. उनका कहना है कि उनके दादा ने 40 वर्ष पहले एक ट्यूबवेल कनेक्शन लिया था, जो कुछ समय बाद ही बंद हो गया. 35 वर्ष पहले दादा चल बसे और बाद में चाचा भी. कभी कोई बिजली का बिल नहीं आया और ना ही बिजली उपयोग हुई. मौक़े पर तो ट्यूबवेल के आसपास भी कोई तार तक नहीं है लेकिन आज उनकी जमीन पर रोक लगायी जा रही है. जबरन बिल बनाकर वसूली का प्रयास किया जा रहा है.
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तहसीलदार को मिली लिस्ट में 49 नाम : वहीं एक अन्य पीड़ित किसान राजकुमार ने बताया कि 15 वर्ष पहले चार महीने के लिए ट्यूबवेल का अस्थाई कनेक्शन लिया था, जिसका एडवांस पैसा जमा कराया था और बाद में उसे करवाके के लिए आवेदन भी दिया था. लेकिन आज पता चल रहा है कि उनकी ज़मीन के दस्तावेज पर बकाया राशि लिखकर बंधक बना ली गई है, जबकि ना तो उन्होंने स्थाई कनेक्शन लिया, ना ही कभी बिल आया. इस तरह बिल वसूली के लिए मनमानी की जा रही है. वहीं इस मामले में मेहगाँव तहसीलदार राजनारायण खरे का कहना है कि उन्हें एक लिस्ट बिजली विभाग ने सौंपी है. जिसमें 49 नाम हैं. इन लोगों ने अपना बकाया बिजली बिल नहीं भरा है. इसलिए उनके ज़मीनी आलेखों पर बकाया राशि दर्ज कराई जा रही. इस कदम का उद्देश्य ही यही है कि बिल भरने से पहले वे लोग अपनी ज़मीन बेच ना सकें. यह फैसला वसूली अभियान के तहत लिया गया है.