भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस सीट जीतने के लिए पूरा दमखम दिखा रही हैं. जहां चुनाव की घोषणा से पहले ही बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी, तो वहीं कांग्रेस भी जल्द अपने पत्ते खोलने की तैयारी में है. इस बीच खबर आ रही है कि जहां भारतीय जनता पार्टी ने भिंड के गोहद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य पर एक बार भरोसा जताया है तो वहीं लाल सिंह को ललकारने के लिए कांग्रेस डिप्टी कमिश्नर के पद से रिटायर हुईं उमा करारे को पार्टी में लेकर आयी है.
कमलनाथ के सामने ली सदस्यता: ये वही उमा करारे हैं जिन्होंने एक लंबे समय तक भिंड जिले में और गोहद क्षेत्र में SDM की जिम्मेदारी संभाली है. पूर्व रिटायर्ड अफसर उमा करारे ने भोपाल पहुंच कर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के समक्ष सदस्यता ली. अब वे क्षेत्र में एक्टिव हो गई हैं. उमा करारे ने इटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वे शुरू से ही समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहती थीं, इसीलिए अब प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद राजनीति से जुड़ी हैं.
पूर्वज भी कांग्रेस के सिपाही थे: उमा करारे ने बताया कि "उनके पूर्वज भी कांग्रेस के कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता रहे हैं. उन्होंने पार्टी के जरिए समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया. उनके पिता के बड़े भाई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उनकी छत्रछाया में ही कांग्रेस से प्रभावित हो चुकी थीं. उनके आसपास हमेशा कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा और परिवार का पार्टी से जुड़ाव होने से सर्विस में आने के बाद भी दिल में कांग्रेस बनी रही.
आज भी सम्भाल कर रखे हैं बही खाते: जब कांग्रेस नेत्री उमा करारे से हमने उनके अतीत से जुड़ी सुनी हुई बात की. उनके पूर्वजों से राजा महाराजा भी कर्ज लेते थे. इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस बात को स्वीकार करते हुए बताया कि वर्षों पहले उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के बेरी गांव में रहा करते थे. वे एक संपन्न घराने की वंशज थे और उस समय की आर्थिक स्थिति के हिसाब से कहा जाये तो अमीर घराने की था. उनके परदादा और पूर्वजों से उस समय राजा महाराजा तक कर्ज लिया करते थे, जिसके बही खाते आज भी उनके पास रखे हुए हैं.
गोहद से लड़ना चाहती हैं चुनाव, निर्णय पार्टी पर छोड़ा: वहीं, राजनीति पर चर्चा करते हुए जब हमने उनसे गोहद से चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया तो उनका कहना है कि चुनाव लड़ने के बारे में ज्यादा विचार नहीं किया है वे कार्यकर्ता के हैसियत से कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रही है. आगे जो भी जिम्मेदारी पार्टी द्वारा दी जाएगी वे एक कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता होने के नाते उसे बखूबी निभाएंगी. हालांकि, खुद उमा करारे अभी तो चुनाव लड़ने के भी बारे में स्पष्ट विचार नहीं रख रहीं, लेकिन चुनावी मैदान में उतरने की उनकी भावनाएं भी साफ दिखाई दे रही हैं.
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आखिर कौन हैं उमा करारे? : मूल रूप से उमा करारे का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर में हुआ था. उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय से एमए किया. कुछ समय बाद शिवपुरी में उनका विवाह हुआ. 1986-87 में उन्होंने PSC की परीक्षा पास की और फरवरी 1989 में पहली पोस्टिंग ग्वालियर में नायब तहसीलदार के रूप में हुई. 1998 में मुरार तहसीलदार बनाया गया. प्रमोशन हुआ और 2008 में मुरैना डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेदारी मिली. इसके बाद 2013 में उनका ट्रांसफर भिंड हुआ. करीब 1 साल यहां डिप्टी कलेक्टर रहीं. इसके बाद उन्हें गोहद SDM बनाया गया. वहीं दो साल तक वे मेहगांव अनुभाग की एसडीएम रहीं. साल 2021 में वे ग्वालियर में डिप्टी कमिश्नर के पद से रिटायर हुईं और अब कांग्रेस ज्वाइन कर भिंड की राजनीति में सक्रिय हो रही हैं.
कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता है दांव: भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लाल सिंह आर्य का बहुत विरोध कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस अपने प्रत्याशी के चुनाव के लिए जातिगत समीकरणों का भी ध्यान रखने वाली है. क्योंकि गोहद की जनता वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रखती है. ऐसे में उमा करारे पर भी कांग्रेस पार्टी दांव खेल सकती है. चूंकि अपने प्रशासनिक जीवन का एक लंबा समय उन्होंने भिंड और गोहद में गुजारा है. सीट भी आरक्षित है तो इसका फायदा कांग्रेस को भी मिल सकता है. क्योंकि एक प्रशासनिक अधिकारी से जनता का जुड़ाव और काम होने की उम्मीद रहने के साथ-साथ जातिगत समीकरण में 8 हजार से अधिक वोट सीधे तौर पर पार्टी से जुड़ेंगे.