भिंड। अटेर विधानसभा सीट की जनता का दिल जीतना इतना आसान नहीं है. यहां हर चुनाव में विधायक का बदलाव होता है. 2018 में यहाँ से बीजेपी के अरविंद भदौरिया चुनाव में विधायक बने. जब सिंधिया ने सत्ता पलट किया तो उनके सिपहसलारों के अंगरक्षक की तरह भदौरिया बंगलौर में डटे रहे. 2020 की बीजेपी सत्ता वापसी में अरविंद भदौरिया की भी अहम भूमिका थी, जिसका इनाम मिला. सरकार बनते ही उन्हें सहकारिता मंत्री पद मिला. बीते दो वर्षों से भदौरिया अपनी चुनावी ज़मीन को मज़बूत करने में लगे हुए हैं. MP Assembly Election 2023
बीजेपी को अरविंद भदौरिया पर भरोसा : अरविंद भदौरिया क्षेत्र का जाना माना चेहरा हैं. सहकारिता मंत्री हैं. 2018 के चुनाव में क्षेत्र का ठाकुर वोटर उनके साथ था. वह जब भिंड आते हैं तो लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं. बीजेपी का वोट बैंक और भदौरिया के समर्थकों का उत्साह जीत की राह दिखा सकता है. लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. अरविंद सिंह भदौरिया अटेर से अब तक वे 4 बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं और 2 बार जीते भी हैं. इस क्षेत्र में अब तक चुनाव ठाकुर और ब्राह्मण समाज के उम्मीदवारों के बीच रहा है. ऐसे में कांग्रेस की ओर से ब्राह्मण समाज से दावेदार और पूर्व विधायक हेमंत कटारे लगभग तय माने जा रहे हैं.
अरविंद का विरोध भी कम नहीं : साल 2018 में अटेर सीट पर बीजेपी की ओर से अरविंद भदौरिया प्रत्याशी थे. वहीं कांग्रेस से तत्कालीन विधायक हेमंत कटारे चुनाव लड़े थे. लेकिन क्षेत्र की जनता ने 58,928 वोट दिए थे. वहीं हेमंत कटारे को 53,950 मत प्राप्त हुए थे. ऐसे में अरविंद भदौरिया चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक चुने गए थे. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ ही अरविंद भदौरिया के लिए भी चुनाव में जीत की राह आसान नहीं है.
ब्राह्मण समाज नाराज है : अरविंद भदौरिया का राह आसान नहीं है. खासकर ब्राह्मण समाज का वोटर. जिसकी बड़ी वजह बक़ौल कांग्रेस अटेर में बीते 5 साल में ब्राह्मणों पर कई आपराधिक प्रकरण दर्ज कराये गए हैं. ज्यादातर ठाकुर समाज के लोग भी इस बार विधायक से नाराज हैं. ऐसे में उनके द्वारा लगातार किए जा रहे विकास कार्यों के भूमिपूजन और लोकार्पणों का भी ज़्यादा असर वोटर के मन पर नहीं हो रहा है.