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यहां दरबारों में मिलती है सत्ता की चाबी, चुनाव जीतने इन मंदिरों में माथा टेकते हैं बड़े बड़े नेता-मंत्री

सत्ता सुख की कामना पूरी होने का मौका हर पांच साल में राजनेताओं को मिलता है, लेकिन इस चुनावी वैतरणी को बिना विघ्न पार करने के लिए बड़े-बड़े नेता भगवान के दरबार में अर्जी लगाते हैं. इन दिनों मध्य प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में इन दिनों चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी, विधायक से लेकर मंत्री तक पूजा अर्चना अनुष्ठान की कतारों में हैं. आइए आपको बताते हैं प्रदेश के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां भगवान से सत्तासुख का आशीर्वाद लेने जाते हैं.

MP Assembly Election 2023
सत्ता के लिए अर्जी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 9:00 AM IST

भिंड। कहते हैं बड़े से बड़ा आदमी भी अगर किसी से डरता है ,तो वह भगवान है. जैसे एक परीक्षार्थी अपनी परीक्षा से पहले अच्छे रिजल्ट की उम्मीद में भगवान का आशीर्वाद लेता है. ठीक उसी तरह चुनाव के समय राजनेता भी मंदिरों में ढोक लगाते नजर आते हैं. महाकाल दरबार से लेकर पीतांबरा माई पीठ तक मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे मंदिर हैं. जहां ना सिर्फ स्थानीय नेता बल्कि सरकार में बैठे मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक माथा टेकने आते हैं. खास कर चुनाव के समय विशेष पूजा अनुष्ठानों के लिए बुकिंग तक कराते हैं.

मंदिर में विराजमान हैं मां बगुलामुखी: राजनेताओं के लिये दिव्य स्थान के तौर पर सबसे ऊपर आता है मध्यप्रदेश का पीताम्बरा माई पीठ. प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा माता का यह मंदिर देश के बड़े-बड़े राजनेताओं के साथ-साथ अभिनेताओं की साधना का केंद्र है. यहां विराजमान माँं बगुलमुखी को राजसत्ता के साथ ही शत्रु दमन और वैभव की देवी कहा जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में एक बड़ा वर्ग राजनीति से जुड़े लोग हैं. जो सत्ता की चाहत में यहां माथा टेकते हैं.

इस वजह से माता को कहा जाता है राजसत्ता की देवी: यहां दरबार में मां बगुलामुखी माता सोने के सिंहासन पर विराजी हैं. सोने का सिंहासन यहां राजसुख और वैभव का प्रतीक है. ऐसे में जो नेता यहां माता के दर्शन और पूजा करते हैं, उसे राजसत्ता और धन वैभव का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही यहां माता की मूर्ति चतुर्भुजी है. उनकी एक भुजा में गदा दूसरी में पाश, तीसरी में वज्र और चौथी भुजा में राक्षस की जीभ पकड़ रखी है. जिसके चलते मान्यता है कि यहां अनुष्ठान कराने वालों के विरोधी शिथिल हो जाते हैं. वे कुछ बोल नहीं पाते और नहीं विरोध कर पाते हैं. ऐसे में माता से जीत का आशीर्वाद मिलता है.

नेहरू-इंदिरा, अटल जी ने भी लगायी थी मुसीबत में अर्जी: पीतांबरा माता मंदिर में दर्शन करने वालों में मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी राजनीतिक लोग पहुंचते हैं. कई तो कुछ समय के अंतराल से पहुंचते और अनुष्ठान कराते हैं. दतिया के पुराने लोगों का कहना है कि जब भी किसी नेता पर मुसीबत आती है. वह पीतांबरा माई के दरबार में अर्जी लगता है. 1960 में जब चीन ने भारत पर अक्रमण किया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां माता से पुकार लगायी थी.

यहां 10 दिनों तक सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर विशेष यज्ञ अनुष्ठान किया था. इसके फलस्वरूप 11वें दिन पूर्ण आहुति के बाद चीन ने अपनी सेना को हमला रोक कर वापस बुला लिया था. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी गुप्त रूप से पीतांबरा पीठ पर विशेष अनुष्ठान कराया गया था. 1971 में भी पाकिस्तान युद्ध हुआ तो तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भी गुप्त अनुष्ठान कराया था. वहीं कहा जाता है कि साल 2000 के कारगिल युद्ध के समय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई थी.

नेताओं से लेकर अभिनेताओं ने भी कराये जीत के लिए अनुष्ठान: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, कमलनाथ के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा शक्ति बंगलामुखी की कृपा से राजनीति में नये मुकाम हासिल किए है.

इनके साथ-साथ कई बॉलीवुड कलाकार भी माता के भक्तों में शामिल हैं. जो यहां विशेषतौर पर पूजा करने पहुंचते हैं. मंदिर से जुड़े लोगों की माने तो इन दिनों विधानसभा चुनाव के चलते मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई मंत्रियों के साथ प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अनुष्ठान कराये जा रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा हवन पूजन सत्ता प्राप्ति, शत्रुदमन और उम्मीदवारी में सफलता को लेकर कराये जा रहे हैं. जो प्रांगण के साथ ही आसपास के होटलों में भी किए जा रहे हैं.

महाकालेश्वर (उज्जैन): अवंतिका नगरी में विराजमान बाबा महाकाल का दरबार वह दिव्य स्थान है. जिसके लिये कहा जाता है कि यहां दर्शन किए बिना सत्ता की चाबी हासिल नहीं होती है. यही वजह है कि राजनीति के शिखर से पायदान तक लगभग हर नेता मंत्री यहां माथा टेकने आता है. यहां मध्यप्रदेश ही नहीं गोवा, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, राजस्थान समेत सभी राज्यों के सत्ता आसीन और विपक्ष के बड़े से बड़े नेता दर्शन के लिए पहुंचते हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी यहां बाबा के दरबार में ध्यान लगाते हैं.

कई पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, कमलनाथ या दिग्विजय सिंह इस प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्रियों ने बाबा के दरबार में अर्जी लगायी और विशेष अनुष्ठान कराये हैं. आज भी राजनेता कोई बड़ा काम शुरू करने से पहले बाबा महाकाल के दरबार में जरूर पहुंचते हैं और सिर्फ राजनेता ही क्यों कई अभिनेता, बॉलीवुड के कलाकार, बड़े बिजनिसमैन भी आये दिन यहां पहुंचते हैं.

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रावतपुरा धाम- (लहार, ज़िला -भिंड): चंबल के भिंड जिले में स्थित रावतपुरा धाम भी उन मंदिरों में शामिल है. जहां राजनेताओं का विशेष अनुष्ठानों के लिए आना-जाना लगा रहता है. यह मंदिर लहार क्षेत्र के रावतपुरा गांव में है और इसकी देखरेख रावतपुरा धाम महंत रविकिशन महाराज के आश्रम ट्रस्ट द्वारा की जाती है. इस मंदिर की ख्याति देश और विदेशो तक है. पिछले कुछ समय में यहां पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत समेत कई दिग्गज नेता यहां विराजमान हनुमानजी के दर्शन को पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो विशेषकर गुप्त अनुष्ठान के लिए सहपरिवार यहां तीन बार आकर पूजा करा चुके हैं.

मां बगुलमुखी मंदिर नलखेड़ा (ज़िला- शाजापुर): शाजापुर जिले के नलखेड़ा में स्थित मां बगुलमुखी का मंदिर भी मध्यप्रदेश के उन मंदिरों में शामिल है. जहां राजनीति से जुड़े लोगों की आस्था है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के निर्देश पर पांडवों ने कौरवों पर विजय पाने के लिए यहां मंदिर की स्थापना की थी. इसीलिए सत्तासुख की चाह हमेशा राजनेताओं को यहां खींचती हैं. यह मंदिर तंत्र साधना और अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है. भारत की राजनीति के कई दिग्गज नेता मां बगुलामुखी के दर्शन कर चुनाव जीत का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं. यही वजह है कि जब लोकसभा या विधानसभा के चुनाव आते हैं, तो कई राजनेता यहां विशेषतौर पर जीत के लिए गुप्त अनुष्ठान कराते हैं. इनके अलावा राजनीति से जुड़ी कई हस्तियां यहां निरंतर समय अंतराल में माता के दर्शन और हवन अनुष्ठानों के लिए पहुंचते रहते हैं.

भिंड। कहते हैं बड़े से बड़ा आदमी भी अगर किसी से डरता है ,तो वह भगवान है. जैसे एक परीक्षार्थी अपनी परीक्षा से पहले अच्छे रिजल्ट की उम्मीद में भगवान का आशीर्वाद लेता है. ठीक उसी तरह चुनाव के समय राजनेता भी मंदिरों में ढोक लगाते नजर आते हैं. महाकाल दरबार से लेकर पीतांबरा माई पीठ तक मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे मंदिर हैं. जहां ना सिर्फ स्थानीय नेता बल्कि सरकार में बैठे मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक माथा टेकने आते हैं. खास कर चुनाव के समय विशेष पूजा अनुष्ठानों के लिए बुकिंग तक कराते हैं.

मंदिर में विराजमान हैं मां बगुलामुखी: राजनेताओं के लिये दिव्य स्थान के तौर पर सबसे ऊपर आता है मध्यप्रदेश का पीताम्बरा माई पीठ. प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा माता का यह मंदिर देश के बड़े-बड़े राजनेताओं के साथ-साथ अभिनेताओं की साधना का केंद्र है. यहां विराजमान माँं बगुलमुखी को राजसत्ता के साथ ही शत्रु दमन और वैभव की देवी कहा जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में एक बड़ा वर्ग राजनीति से जुड़े लोग हैं. जो सत्ता की चाहत में यहां माथा टेकते हैं.

इस वजह से माता को कहा जाता है राजसत्ता की देवी: यहां दरबार में मां बगुलामुखी माता सोने के सिंहासन पर विराजी हैं. सोने का सिंहासन यहां राजसुख और वैभव का प्रतीक है. ऐसे में जो नेता यहां माता के दर्शन और पूजा करते हैं, उसे राजसत्ता और धन वैभव का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही यहां माता की मूर्ति चतुर्भुजी है. उनकी एक भुजा में गदा दूसरी में पाश, तीसरी में वज्र और चौथी भुजा में राक्षस की जीभ पकड़ रखी है. जिसके चलते मान्यता है कि यहां अनुष्ठान कराने वालों के विरोधी शिथिल हो जाते हैं. वे कुछ बोल नहीं पाते और नहीं विरोध कर पाते हैं. ऐसे में माता से जीत का आशीर्वाद मिलता है.

नेहरू-इंदिरा, अटल जी ने भी लगायी थी मुसीबत में अर्जी: पीतांबरा माता मंदिर में दर्शन करने वालों में मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी राजनीतिक लोग पहुंचते हैं. कई तो कुछ समय के अंतराल से पहुंचते और अनुष्ठान कराते हैं. दतिया के पुराने लोगों का कहना है कि जब भी किसी नेता पर मुसीबत आती है. वह पीतांबरा माई के दरबार में अर्जी लगता है. 1960 में जब चीन ने भारत पर अक्रमण किया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां माता से पुकार लगायी थी.

यहां 10 दिनों तक सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर विशेष यज्ञ अनुष्ठान किया था. इसके फलस्वरूप 11वें दिन पूर्ण आहुति के बाद चीन ने अपनी सेना को हमला रोक कर वापस बुला लिया था. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी गुप्त रूप से पीतांबरा पीठ पर विशेष अनुष्ठान कराया गया था. 1971 में भी पाकिस्तान युद्ध हुआ तो तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भी गुप्त अनुष्ठान कराया था. वहीं कहा जाता है कि साल 2000 के कारगिल युद्ध के समय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई थी.

नेताओं से लेकर अभिनेताओं ने भी कराये जीत के लिए अनुष्ठान: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, कमलनाथ के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा शक्ति बंगलामुखी की कृपा से राजनीति में नये मुकाम हासिल किए है.

इनके साथ-साथ कई बॉलीवुड कलाकार भी माता के भक्तों में शामिल हैं. जो यहां विशेषतौर पर पूजा करने पहुंचते हैं. मंदिर से जुड़े लोगों की माने तो इन दिनों विधानसभा चुनाव के चलते मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई मंत्रियों के साथ प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अनुष्ठान कराये जा रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा हवन पूजन सत्ता प्राप्ति, शत्रुदमन और उम्मीदवारी में सफलता को लेकर कराये जा रहे हैं. जो प्रांगण के साथ ही आसपास के होटलों में भी किए जा रहे हैं.

महाकालेश्वर (उज्जैन): अवंतिका नगरी में विराजमान बाबा महाकाल का दरबार वह दिव्य स्थान है. जिसके लिये कहा जाता है कि यहां दर्शन किए बिना सत्ता की चाबी हासिल नहीं होती है. यही वजह है कि राजनीति के शिखर से पायदान तक लगभग हर नेता मंत्री यहां माथा टेकने आता है. यहां मध्यप्रदेश ही नहीं गोवा, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, राजस्थान समेत सभी राज्यों के सत्ता आसीन और विपक्ष के बड़े से बड़े नेता दर्शन के लिए पहुंचते हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी यहां बाबा के दरबार में ध्यान लगाते हैं.

कई पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, कमलनाथ या दिग्विजय सिंह इस प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्रियों ने बाबा के दरबार में अर्जी लगायी और विशेष अनुष्ठान कराये हैं. आज भी राजनेता कोई बड़ा काम शुरू करने से पहले बाबा महाकाल के दरबार में जरूर पहुंचते हैं और सिर्फ राजनेता ही क्यों कई अभिनेता, बॉलीवुड के कलाकार, बड़े बिजनिसमैन भी आये दिन यहां पहुंचते हैं.

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रावतपुरा धाम- (लहार, ज़िला -भिंड): चंबल के भिंड जिले में स्थित रावतपुरा धाम भी उन मंदिरों में शामिल है. जहां राजनेताओं का विशेष अनुष्ठानों के लिए आना-जाना लगा रहता है. यह मंदिर लहार क्षेत्र के रावतपुरा गांव में है और इसकी देखरेख रावतपुरा धाम महंत रविकिशन महाराज के आश्रम ट्रस्ट द्वारा की जाती है. इस मंदिर की ख्याति देश और विदेशो तक है. पिछले कुछ समय में यहां पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत समेत कई दिग्गज नेता यहां विराजमान हनुमानजी के दर्शन को पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो विशेषकर गुप्त अनुष्ठान के लिए सहपरिवार यहां तीन बार आकर पूजा करा चुके हैं.

मां बगुलमुखी मंदिर नलखेड़ा (ज़िला- शाजापुर): शाजापुर जिले के नलखेड़ा में स्थित मां बगुलमुखी का मंदिर भी मध्यप्रदेश के उन मंदिरों में शामिल है. जहां राजनीति से जुड़े लोगों की आस्था है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के निर्देश पर पांडवों ने कौरवों पर विजय पाने के लिए यहां मंदिर की स्थापना की थी. इसीलिए सत्तासुख की चाह हमेशा राजनेताओं को यहां खींचती हैं. यह मंदिर तंत्र साधना और अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है. भारत की राजनीति के कई दिग्गज नेता मां बगुलामुखी के दर्शन कर चुनाव जीत का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं. यही वजह है कि जब लोकसभा या विधानसभा के चुनाव आते हैं, तो कई राजनेता यहां विशेषतौर पर जीत के लिए गुप्त अनुष्ठान कराते हैं. इनके अलावा राजनीति से जुड़ी कई हस्तियां यहां निरंतर समय अंतराल में माता के दर्शन और हवन अनुष्ठानों के लिए पहुंचते रहते हैं.

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