भिंड। कोरोना वायरस के चलते लोग देशव्यापी लॉक डाउन से बस संचालकों के सामने परेशानियां खड़ी हो गई है. बसे बंद होने से जहां बस ऑपरेटरों को नुकसान हो ही रहा है, जबकि इन बसों को चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टरों के सामने भी अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा होता जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार की हर संभव मदद की बात तो कर रही है, लेकिन जिला प्रशासन इन आदेशों पर गंभीर नजर नहीं आ रहा.
लॉकडाउन के चलते भिंड में सैकड़ों की संख्या में बसों के पहिए थम चुके हैं, करीब 2 हफ्तों से यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने वाली बसें जस की तस रुकी हैं. जिसका प्रभाव बस संचालक और उनके कर्मचारियों पर पड़ रहा है. भिंड में जब ईटीवी भारत ने बस ऑपरेटरों से बात की तो उन्होंने बताया कि लॉक डाउन से बसे तो बंद ही है, ड्राईवरों और कंडक्टरों की पैमेंट देने भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
रॉकी ट्रेवल्स के संचालक बताते हैं कि लॉक डाउन के चलते उनकी बसें रुकी हुई है. उनसे जितनी मदद बन सकी उन्होंने अपने कर्मचारियों की. लेकिन अब बचत भी खत्म हो रही है तो गरीब कर्मचारियों के परिवार के सामने जीवन यापन की मुसीबत खड़ी हो गई. जिला प्रशासन भी मदद की बात तो करता है लेकिन आगे नहीं आ रहा. ऐसे में गरीबों की रोजी-रोटी का इंतजाम कैसे हो.
कुछ यही कहना है कि राम श्याम ट्रैवल्स चलाने वाले विष्णु कुशवाह का, जो कहते हैं कि उनकी दर्जनों बसें हर रोज दिल्ली-अहमदाबाद-ग्वालियर के लिए चलती थी. लेकिन लॉक डाउन में सभी बसें खड़ी हैं, ऐसे में आमदनी भी रुक गई है जब खुद के पास पैसा नहीं आएगा तो वह कर्मचारियों को पैसा कहा से देंगे.
मुसीबत में बने मददगार
अहमदाबाद, हैदराबाद और दिल्ली से आस पास के कई गांवों और शहरों के लोग लॉकडाउन के बाद भी भिंड पहुंचे थे. जिन्हें यहां के बस ऑपरेटरों ने अपनी बसों से घर पहुंवाया. लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ने की वजह से उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के चलते रुके बसों के पहिए से अकेले भिंड जिले में लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.