भिंड। रैन बसेरे आमतौर पर गरीब, निराश्रित और उन लोगों को आसरा मुहैया कराते हैं, जिन लोगों को इन सर्द रातों में रुकने और सोने की जगह नहीं मिलती, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रैन बसेरा असुविधाओं और अनदेखी की भेंट चढ़ जाते हैं. भिंड में बने रैन बसेरों का हालचाल जानने और रियलिटी चेक करने पहुंची हमारी टीम.
भिंड शहर में प्रशासन द्वारा दो रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें एक रैन बसेरा जिला अस्पताल में बना है, तो दूसरा यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड पर बनाया गया है.
जिला अस्पताल का रैन बसेरा
भिंड जिला अस्पताल स्थित रेन बसेरा में ताला तो नहीं लटका है, लेकिन कई असुविधाएं और प्रबंधन की अनदेखी जरूर है. 15 बेड के रैन बसेरे में सिर्फ दो लोग हैं और सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बेड हैं, जिन पर चादर नहीं है. रैन बसेरा में रुके एक बुजुर्ग ने बताया उन्हें गद्दे पर बिछाने के लिए चादर तक नहीं दी गयी, एक रजाई मिली, लेकिन वो भी फटी हुई थी. कुछ बेड पर गद्दे भी नहीं थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिला अस्पताल पर बना अटल आश्रय स्थल पूरी तरह से फेल है.
बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा
बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा लोगों से भरा हुआ था. अंदर कुछ लोग सो रहे थे तो कुछ इस ठंड में हीटर पर खुद को गर्म कर रहे थे. जब लोगों से बात की तो ज्यादातर लोग बाहर से आए थे या बाहर जाने वाले थे और रात काटने के लिए रुके थे. कुछ लोगों को जितनी व्यवस्था मिली वो उसमें काम चला रहे थे और कुछ ने बताया कि उन्हें न तो चादर मिली न कम्बल. साथ ही इस रैन बसेरे में काफी गंदगी भी है.
ज्यादातर बिस्तरों पर चादरें तो बिछी थीं, लेकिन फटी हुई और गंदी चादरें थीं. बात सुरक्षा व्यवस्था की करें तो यहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात नहीं मिला. ये कहा जा सकता है कि प्रशासन द्वारा भिंड में चलाए जा रहे दोनों ही रैन बसेरे पूरी तरह से फेल हैं और अव्यवस्थाओं का शिकार हैं.