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रियलिटी चेक में फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरे, अव्यवस्था का दिखा आलम - असुविधा

भिंड में बने रैन बसेरों का हालचाल जानने और रियलिटी चेक करने पहुंची ETV BHARAT की टीम, जिसके बाद ये कहा जा सकता है कि भिंड में चलाए जा रहे दोनों ही रैन बसेरे पूरी तरह से फेल हैं और अव्यवस्थाओं के शिकार हैं.

night shelters of Bhind
रियलिटी चेक में फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरे
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Published : Jan 14, 2020, 3:11 PM IST

भिंड। रैन बसेरे आमतौर पर गरीब, निराश्रित और उन लोगों को आसरा मुहैया कराते हैं, जिन लोगों को इन सर्द रातों में रुकने और सोने की जगह नहीं मिलती, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रैन बसेरा असुविधाओं और अनदेखी की भेंट चढ़ जाते हैं. भिंड में बने रैन बसेरों का हालचाल जानने और रियलिटी चेक करने पहुंची हमारी टीम.

भिंड शहर में प्रशासन द्वारा दो रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें एक रैन बसेरा जिला अस्पताल में बना है, तो दूसरा यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड पर बनाया गया है.

रियलिटी चेक में फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरे

जिला अस्पताल का रैन बसेरा

भिंड जिला अस्पताल स्थित रेन बसेरा में ताला तो नहीं लटका है, लेकिन कई असुविधाएं और प्रबंधन की अनदेखी जरूर है. 15 बेड के रैन बसेरे में सिर्फ दो लोग हैं और सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बेड हैं, जिन पर चादर नहीं है. रैन बसेरा में रुके एक बुजुर्ग ने बताया उन्हें गद्दे पर बिछाने के लिए चादर तक नहीं दी गयी, एक रजाई मिली, लेकिन वो भी फटी हुई थी. कुछ बेड पर गद्दे भी नहीं थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिला अस्पताल पर बना अटल आश्रय स्थल पूरी तरह से फेल है.

फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरा

बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा

बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा लोगों से भरा हुआ था. अंदर कुछ लोग सो रहे थे तो कुछ इस ठंड में हीटर पर खुद को गर्म कर रहे थे. जब लोगों से बात की तो ज्यादातर लोग बाहर से आए थे या बाहर जाने वाले थे और रात काटने के लिए रुके थे. कुछ लोगों को जितनी व्यवस्था मिली वो उसमें काम चला रहे थे और कुछ ने बताया कि उन्हें न तो चादर मिली न कम्बल. साथ ही इस रैन बसेरे में काफी गंदगी भी है.

ज्यादातर बिस्तरों पर चादरें तो बिछी थीं, लेकिन फटी हुई और गंदी चादरें थीं. बात सुरक्षा व्यवस्था की करें तो यहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात नहीं मिला. ये कहा जा सकता है कि प्रशासन द्वारा भिंड में चलाए जा रहे दोनों ही रैन बसेरे पूरी तरह से फेल हैं और अव्यवस्थाओं का शिकार हैं.

भिंड। रैन बसेरे आमतौर पर गरीब, निराश्रित और उन लोगों को आसरा मुहैया कराते हैं, जिन लोगों को इन सर्द रातों में रुकने और सोने की जगह नहीं मिलती, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रैन बसेरा असुविधाओं और अनदेखी की भेंट चढ़ जाते हैं. भिंड में बने रैन बसेरों का हालचाल जानने और रियलिटी चेक करने पहुंची हमारी टीम.

भिंड शहर में प्रशासन द्वारा दो रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें एक रैन बसेरा जिला अस्पताल में बना है, तो दूसरा यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड पर बनाया गया है.

रियलिटी चेक में फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरे

जिला अस्पताल का रैन बसेरा

भिंड जिला अस्पताल स्थित रेन बसेरा में ताला तो नहीं लटका है, लेकिन कई असुविधाएं और प्रबंधन की अनदेखी जरूर है. 15 बेड के रैन बसेरे में सिर्फ दो लोग हैं और सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बेड हैं, जिन पर चादर नहीं है. रैन बसेरा में रुके एक बुजुर्ग ने बताया उन्हें गद्दे पर बिछाने के लिए चादर तक नहीं दी गयी, एक रजाई मिली, लेकिन वो भी फटी हुई थी. कुछ बेड पर गद्दे भी नहीं थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि जिला अस्पताल पर बना अटल आश्रय स्थल पूरी तरह से फेल है.

फेल हुए भिंड के दोनों रैन बसेरा

बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा

बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा लोगों से भरा हुआ था. अंदर कुछ लोग सो रहे थे तो कुछ इस ठंड में हीटर पर खुद को गर्म कर रहे थे. जब लोगों से बात की तो ज्यादातर लोग बाहर से आए थे या बाहर जाने वाले थे और रात काटने के लिए रुके थे. कुछ लोगों को जितनी व्यवस्था मिली वो उसमें काम चला रहे थे और कुछ ने बताया कि उन्हें न तो चादर मिली न कम्बल. साथ ही इस रैन बसेरे में काफी गंदगी भी है.

ज्यादातर बिस्तरों पर चादरें तो बिछी थीं, लेकिन फटी हुई और गंदी चादरें थीं. बात सुरक्षा व्यवस्था की करें तो यहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात नहीं मिला. ये कहा जा सकता है कि प्रशासन द्वारा भिंड में चलाए जा रहे दोनों ही रैन बसेरे पूरी तरह से फेल हैं और अव्यवस्थाओं का शिकार हैं.

Intro:रैन बसेरा आमतौर पर गरीब और निराश्रितों के साथ उनलोगों को आसरा मुहैया कराता है जिन लोगों को इन सर्द रातों में रुकने और सोने को जगह नही मिलती, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रैन बसेरे असुविधाओं और अनदेखी की भेंट चढ़ जाते हैं. कहीं कहीं तो इन रेन बसेरों में ताले तक लटके मिलते हैं। भिंड शहर में बने रैन बसेरों के हालचाल जानने और रियलिटी चैक करने पहुँचा ईटीवी भारत।


Body:भिंड शहर में प्रशासन द्वारा 2 रैन बसवरों का संचालन किया जा रहा है। जिनमे एक रैन बसेरा जिला अस्पताल में बना है तो दूसरा यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड पर बनाया गया है।
सबसे पहले ईटीवी भारत भिंड जिला अस्पताल स्थित रेन बसेरा पहुँचा, जहां ताला लटका तो नही मिला लेकिन कई असुविधाएं और अनदेखी जरूर मिली। जब हम रैन बसेरे में पहुँचे तो करीब 15 बेड के रैन बसेरे में सिर्फ 2 लोग मिले। सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बेड मिले किसी भी बेड पर चादर नही थी वहां सो रहे एक बुजुर्ग से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके पास रुकने के लिए जगह नही थी इस लिए वे सोने रेन बसेरे में आये थे उन्हें गद्दे पर बिछाने के लिए चादर तक नही दी गयी एक रजाई मिली लेकिन वह भी फटी हुई थी। कुछ बेड पर गद्दे भी नही थे। बात अगर सफाई की की जाए तो सफाई भी कुछ खास नही थी। जब रेन बसेरे के स्टाफ रूम में पहुचे तो अंदर एक अटेंडर मिला उन्होंने अपने सोने की व्यवस्था बना रखी थी साफ सुतरे चादर बिछा रखे थे जब लोगों के लिए सुविधाओं की अनदेखी के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि चादरें जब कोई रुकने आता है तो उसे दी जाती है। सुरक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह अस्पताल चौकी पर ही निर्भर है।
तो कहा जाए कि जिला अस्पताल पर बना अटल आश्रय स्थल इस रिएलिटी चेक में फेल हो गया।

जिला अस्पताल के बाद दूसरा रैन बसेरा जो बस स्टैंड पर बना है हम वहाँ पहुचे और स्थिति का जायजा लिया। दीनदयाल आश्रय स्थल के नाम से बना ये रैन बसेरा लोगों से भरा हुआ था। अंदर कुछ लोग सोते मील तो कुछ इस ठंड में हीटर पर खुद को गर्म रखते मिले, हमने जब लोगों से बात की तो ज्यादातर लोग बाहर से आये थे या बाहर जाने वाले थे और रात काटने रुके थे। कुछ लोग जितनी व्यवस्था मिली उससे कम चला रहे हे तो कुछ ने बताया कि उन्हें न तो चादर मिली न कम्बल। हमने पाया कि रैन बसेरे में काफी गंदगी थी। ज्यादार बिस्तरों पर चादरें तो बिछी थी लेकिन फटी हुई और गंदी चादरें थी। बात सुरक्षा व्यवस्था की करें तो यहां कोई भी सिक्युरिटी गार्ड तैनात नही मिला।


Conclusion:तो ज्यादातर अनिमियत्ताओं के चलते भिंड के दोनों ही रैन बसेरे इस रिएलिटी चेक में फैल हो गए।

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