भिंड। डाकुओं के नाम से पहचाने जाने वाले चंबल अंचल की पहचान बदलने के लिए शासन और प्रशासन दोनों स्तर पर कई सालों से कोशिश की जा रही है. लंबे समय से भिंड एसपी मनोज कुमार भी लोगों को हिंसा छोड़ने के लिए जागरुक कर रहे हैं. लेकिन शासन और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी भिंड में बुधवार को चौंका देने वाला मामला सामने आया है. भिंड के गोरमी इलाके से दर्जनों लोगों की बंदूक लहराने की तस्वीरें सामने आई है. इतना ही नहीं इस वीडियो में कुख्यात डाकू राम बाबू गडरिया के नाम के नारे भी लग रहे हैं.
कर्फ्यू में बन्दूकों से बर्थ-डे पार्टी
जानकारी के मुताबिक गोरमी थाना क्षेत्र के शुकलाल का पुरा कचनाव गांव के रहने वाले राजेश पुत्र राम लक्ष्मण बघेल के घर बुधवार को बेटे का जन्मदिन था, लेकिन कोरोना कर्फ्यू की वजह से भीड़ इकट्ठा करने पर लगी रोक के बावजूद बर्थ-डे पार्टी में कई मेहमानों को बुलाया गया था. विशेष मेहमान के तौर पर ग्वालियर से भी गिर्राज पहलवान नाम का युवक बुलाया गया था. वह अपने साथ रंगारंग पार्टी के स्थानीय कलाकारों को लेकर आया था.
बंदूकों के साथ बीहड़ में करने जा रहे थे शूटिंग
नियमों की धज्जियाँ सिर्फ यहीं नही उड़ी, जन्मदिन के मौके पर आयी कलाकारों की टीम ने पहले तो यहां बुंदेली, बृजभाषा में लोकगीत गाए और फिर फिल्मी अंदाज में दिखाने और शूटिंग करने के लिए क्वारी नदी की बीहड़ों का रुख़ किया, बीहड़ के लिए जाने से पहले ग्रामीणों को इकट्ठा किया गया, लोग भी अपनी बंदूके और तमंचे लेकर निकल आए सैकड़ों की भीड़ छतों पर और सड़क पर एकत्रित हो गयी.
मौके पर पहुंची पुलिस, मामला दर्ज
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को लगी तो तुरंत मौके पर फोर्स भेजा गया. मामले की जानकारी देते हुए एडिशनल एसपी कमलेश कुमार ने बताया कि पुलिस टीम को मौके पर भारी भीड़ मिली थी. हालांकि अचानक पुलिस को देख लोग तितर बितर हो गए, लेकिन कर्फ्यू के नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर पड़ताल में आयोजक राजेश पुत्र रामलक्षण बघेल और गिर्राज पहलवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. वही भिंड कलेक्टर ने भी मामले की जानकारी मिलने पर एसडीएम को जांच करने के निर्देश दिए है.
डाकू ‘गडरिया’ के नाम के लगे नारे
गोरमी के इस वीडियो में एक खास बात यह भी थी की उत्साही बंदूके लहराते लोगों ने कुख्यात डाकू रामबाबू गडरिया के नाम के नारे भी लगाए. लेकिन पुलिस हो या प्रशासन इस मामले पर कुछ बोलने को तैयार नही है. चंबल में इस तरह की गतिविधि एक बार फिर बीहड़ में आने वाले समय में कहीं पुरानी पहचान और बगावत की ओर कदम ना बढ़ जाए इस बात के संकेत से भी इनकार नही किया जा सकता है.