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सरकार, सुन लो पुकार: अनाज, कपड़े बर्तन सब बह गए, सड़क और सरपंच तक सिमटा नेताओं का दौरा, बाढ़ के बाद Ground Reality - भिंड में अब कैसे हालात हैं

भिंड में बाढ़ (Flood In Bhind) के बाद हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं. बाढ़ में अनाज, कपड़े, बर्तन सब बह गया. ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो (Ground Zero) पर पहुंचकर जाना ग्रामीणों का हाल.

ground report
भिंड में बाढ़ के बाद ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : Sep 13, 2021, 5:35 PM IST

भिंड। चुनावी मौसम में वोट के लिए नेता सैकड़ों मील का सफर करके गरीब-लाचार के घर तक लाख कष्टों के बाद भी पहुंचते हैं. चुनाव खत्म, मतलब निकला और फिर उस गांव का रास्ता उन्हें याद नहीं रहता. ऐसा ही हुआ भिंड में . पिछले दिनों आयी बाढ़ (Flood In Bhind) ने यहां भारी तबाही मचाई थी. लेकिन वोट लेने वालों को उनका हाल जानने की फुर्सत नहीं मिली. क्यों कि फिलहाल चुनाव सिर पर नहीं थे.

कौन सुनेगा इनकी पुकार: बाढ़ के बाद ग्रामीणों का जानिए दर्द

सरकार, सुन लो पुकार: भिंड में सिंध ने कहर ढाया था

भिंड में सिंध की बाढ़ (Flood In Bhind) ने कहर ढाया था. लोगों का मकान, दुकान, खेत-खलिहान सब बर्बाद हो गए थे. नेताओं ने जुबानी तोहफे बहुत दिए लेकिन गरीब गांववालों तक पहुंचने की जिम्मेदारी नहीं निभाई. इन बाढ़ प्रभावित गांवों में क्या (Ground Zero) हालात हैं. अब कैसा जीवन ये ग्रामीण जी रहे हैं. ये जानने के लिए ETV भारत ज़िले के भारौली खुर्द गाँव पहुँचा..

सरकार, सुन लो पुकार: जानिए ग्राउंड ज़ीरो की रिपोर्ट

सिंध नदी में 4 अगस्त को सैलाब ने (Flood In Bhind) हज़ारों परिवार तबाह कर दिए . भिंड ज़िले में भी हालत बेहद ख़राब थे. ज़िले के 67 ग्राम पंचायतों के क़रीब डेढ़ सौ से ज़्यादा गांव बाढ़ (Flood In Bhind) से प्रभावित हुए . क़रीब चार दिन तक सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. बाढ़ का पानी अपने साथ सैकड़ों परिवारों की गृहस्थी बहा ले गया (Flood In Bhind) . इन परिवारों के लिए आज जीवन यापन एक चुनौती बन गया है. मदद के नाम पर नेताओं की भूमिका महज़ नाम और आश्वासन तक सिमट कर रह गई.

सरकार, सुन लो पुकार: सड़क और सरपंच के घर तक सिमटा दौरा

भिंड ज़िले में सिंध किनारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा असर लहार और मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में देखने को मिला (Ground Reality). मेहगांव विधानसभा से तो विधायक ओपीएस भदौरिया मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं. बाढ़ के समय तो उन्होंने दौरे किए, लेकिन बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब लोगों के लिए मुसीबत शुरू हुई तो ना सामने विधायक आए, ना मंत्री और ना सांसद. ज़िले का भारौली खुर्द गाँव ऐसा गाँव है (Ground Zero) जहाँ लोगों के बीच सांसद संध्या राय पहुँची थीं. लोगों को मदद का आश्वासन भी दिया. लेकिन वे सिर्फ़ आश्वासन तक ही सीमित कर रह गया.

सरकार, सुन लो पुकार: अब तक मुआवज़े का इंतज़ार

गांववालों ने बताया कि उनके पक्के घर बार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए . 25-25 फीट पानी भरने से घर (Flood In Bhind) का सारा सामान खराब हो गए. अनाज, कपड़े, बर्तन सब कुछ बह गया. प्रशासन की ओर मदद भी उन तक नहीं पहुँची (Ground Reality) . कई लोगों कई दिनों तक पानी में ही घिरे रहे. सरकारी मदद के नाम पर भी न तो अब तक मुआवज़ा दिया गया और न खाते में 1 रुपए की व्यवस्था की गई.

सरकार, सुन लो पुकार: गुस्साए ग्रामीणों ने मंत्री के भतीजे को भगाया

एक ग्रामीण ने बताया कि जब गाँव से पानी उतर गया उसके बाद मंत्री ओपीएस भदौरिया के भतीजे रिंकु भदौरिया हालात देखने आए थे. लेकिन मंत्री के ना आने से नाराज़ भारौली के लोगों ने अपना उन्हें उल्टे पैर चलता कर दिया. (Ground Zero) सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया भी अपने विधानसभा क्षेत्र अटेर तक सीमित रहे. प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने तो भिंड (Flood In Bhind) आने तक की ज़हमत नहीं उठायी.

सरकार, सुन लो पुकार: कब पूरा होगा आश्वासन?

बाढ़ का पानी उतरने के बाद प्रशासन अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गया. उनके लिए कागजों में हालात सामान्य हो गए. लेकिन भारौली के ग्रामीणों के लिए अब भी जीवन चुनौती बना हुआ है.

भिंड। चुनावी मौसम में वोट के लिए नेता सैकड़ों मील का सफर करके गरीब-लाचार के घर तक लाख कष्टों के बाद भी पहुंचते हैं. चुनाव खत्म, मतलब निकला और फिर उस गांव का रास्ता उन्हें याद नहीं रहता. ऐसा ही हुआ भिंड में . पिछले दिनों आयी बाढ़ (Flood In Bhind) ने यहां भारी तबाही मचाई थी. लेकिन वोट लेने वालों को उनका हाल जानने की फुर्सत नहीं मिली. क्यों कि फिलहाल चुनाव सिर पर नहीं थे.

कौन सुनेगा इनकी पुकार: बाढ़ के बाद ग्रामीणों का जानिए दर्द

सरकार, सुन लो पुकार: भिंड में सिंध ने कहर ढाया था

भिंड में सिंध की बाढ़ (Flood In Bhind) ने कहर ढाया था. लोगों का मकान, दुकान, खेत-खलिहान सब बर्बाद हो गए थे. नेताओं ने जुबानी तोहफे बहुत दिए लेकिन गरीब गांववालों तक पहुंचने की जिम्मेदारी नहीं निभाई. इन बाढ़ प्रभावित गांवों में क्या (Ground Zero) हालात हैं. अब कैसा जीवन ये ग्रामीण जी रहे हैं. ये जानने के लिए ETV भारत ज़िले के भारौली खुर्द गाँव पहुँचा..

सरकार, सुन लो पुकार: जानिए ग्राउंड ज़ीरो की रिपोर्ट

सिंध नदी में 4 अगस्त को सैलाब ने (Flood In Bhind) हज़ारों परिवार तबाह कर दिए . भिंड ज़िले में भी हालत बेहद ख़राब थे. ज़िले के 67 ग्राम पंचायतों के क़रीब डेढ़ सौ से ज़्यादा गांव बाढ़ (Flood In Bhind) से प्रभावित हुए . क़रीब चार दिन तक सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. बाढ़ का पानी अपने साथ सैकड़ों परिवारों की गृहस्थी बहा ले गया (Flood In Bhind) . इन परिवारों के लिए आज जीवन यापन एक चुनौती बन गया है. मदद के नाम पर नेताओं की भूमिका महज़ नाम और आश्वासन तक सिमट कर रह गई.

सरकार, सुन लो पुकार: सड़क और सरपंच के घर तक सिमटा दौरा

भिंड ज़िले में सिंध किनारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा असर लहार और मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में देखने को मिला (Ground Reality). मेहगांव विधानसभा से तो विधायक ओपीएस भदौरिया मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं. बाढ़ के समय तो उन्होंने दौरे किए, लेकिन बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब लोगों के लिए मुसीबत शुरू हुई तो ना सामने विधायक आए, ना मंत्री और ना सांसद. ज़िले का भारौली खुर्द गाँव ऐसा गाँव है (Ground Zero) जहाँ लोगों के बीच सांसद संध्या राय पहुँची थीं. लोगों को मदद का आश्वासन भी दिया. लेकिन वे सिर्फ़ आश्वासन तक ही सीमित कर रह गया.

सरकार, सुन लो पुकार: अब तक मुआवज़े का इंतज़ार

गांववालों ने बताया कि उनके पक्के घर बार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए . 25-25 फीट पानी भरने से घर (Flood In Bhind) का सारा सामान खराब हो गए. अनाज, कपड़े, बर्तन सब कुछ बह गया. प्रशासन की ओर मदद भी उन तक नहीं पहुँची (Ground Reality) . कई लोगों कई दिनों तक पानी में ही घिरे रहे. सरकारी मदद के नाम पर भी न तो अब तक मुआवज़ा दिया गया और न खाते में 1 रुपए की व्यवस्था की गई.

सरकार, सुन लो पुकार: गुस्साए ग्रामीणों ने मंत्री के भतीजे को भगाया

एक ग्रामीण ने बताया कि जब गाँव से पानी उतर गया उसके बाद मंत्री ओपीएस भदौरिया के भतीजे रिंकु भदौरिया हालात देखने आए थे. लेकिन मंत्री के ना आने से नाराज़ भारौली के लोगों ने अपना उन्हें उल्टे पैर चलता कर दिया. (Ground Zero) सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया भी अपने विधानसभा क्षेत्र अटेर तक सीमित रहे. प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने तो भिंड (Flood In Bhind) आने तक की ज़हमत नहीं उठायी.

सरकार, सुन लो पुकार: कब पूरा होगा आश्वासन?

बाढ़ का पानी उतरने के बाद प्रशासन अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गया. उनके लिए कागजों में हालात सामान्य हो गए. लेकिन भारौली के ग्रामीणों के लिए अब भी जीवन चुनौती बना हुआ है.

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