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भिंड में कोविड कियोस्क से होगी कोरोना की जांच, जिला अस्पताल में सुविधा उपलब्ध - अजीत मिश्रा

देश में कई जगह कोरोना पॉजिटिव लोगों के इलाज से डॉक्टर और स्टाफ संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में डॉक्टर और स्टाफ की सुरक्षा बड़ा सवाल है. इसी को ध्यान में रखते हुए भिंड के CMHO डॉ. अजीत मिश्रा ने 4 कियोस्क बूथ मंगवाए गए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

four Covid Kiosk Center
भिंड
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Published : May 2, 2020, 5:45 PM IST

Updated : May 2, 2020, 9:47 PM IST

भिंड। जिला अस्पताल एक बार फिर सीमित संसाधनों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की मिसाल पेश कर रहा है. जहां एक तरफ देश में कोरोना से निपटने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रोटेक्टिव किट की पूर्ति की जद्दोजहद जारी है तो वहीं दूसरी तरफ जिला स्वास्थ्य विभाग ने कोविड कियोस्क बनवाए हैं, जिनसे न सिर्फ पीपीई किट की खपत कम होती है, बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के भी कोरोना मरीजों के संपर्क में आने की पॉसिबिलिटी कम होगी.

भिंड में कोविड कियोस्क से होगी कोरोना की जांच

3 साल तक प्रदेश का नंबर वन रहे जिला अस्पताल में कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने कोविड कियोस्क की शुरुआत की गई है. ये कियोस्क एक कैबिन की तरह हैं, जिसमें अंदर खड़ा स्वास्थ्य कर्मी बाहर बैठे संदिग्ध का सैंपल लेता है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि जिस तरह देश में स्वास्थ्यकर्मी मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमित हो रहे हैं उसे देखते हुए हमने यहां के वर्क बनवाए हैं. इसके जरिए कांटेक्ट की संभावना काफी कम हो जाती है, क्योंकि भिंड जिले में पहले ही डॉक्टर और स्टाफ की भारी कमी है. ऐसे में अगर हमारा कर्मचारी बीमार होता है तो आगे हम कैसे व्यवस्थाएं बनाएंगे.

साथ ही उन्होंने बताया कि कियोस्क के उपयोग से पीपीई किट की खपत भी काफी कम होगी. ऐसे में अगर भविष्य में हमें जरूरत पड़ी तो प्रोटेक्टिव गेयर हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होंगे. जिले में 4 कोविड कियोस्क लगवाए गए हैं, दो जिला अस्पताल और एक गोहद और लहार में भी लगाए गए हैं.

क्या है कोरोना कियोस्क और कैसे करेगा काम ?

बूथ एल्मोनियम और कांच के फ्रेम का बना है, इसमें डॉक्टर या स्टाफ अंदर जाता है. कांच के फ्रेम के बाहर स्टूल या कुर्सी पर वो व्यक्ति बैठेगा, जिसका सैंपल लिया जाना है. इस बूथ में 2 हैवी ग्लब्स पहले से ही बाहर लगाए जाएंगे. बूथ में प्रवेश करने वाला डॉक्टर या स्टाफ अपने हाथों पर सर्जिकल ग्लब्स पहनकर बूथ के ग्लब्स को पहनेगा. इसके जरिए संदिग्ध व्यक्ति के बिना संपर्क में आए सैंपल लिया जाएगा. सैंपलिंग की प्रक्रिया के बाद बूथ को पूरी तरह से सेनिटाइज किया जाएगा. सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया प्रत्येक सैंपल के बाद की जाएगी.

भिंड। जिला अस्पताल एक बार फिर सीमित संसाधनों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की मिसाल पेश कर रहा है. जहां एक तरफ देश में कोरोना से निपटने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रोटेक्टिव किट की पूर्ति की जद्दोजहद जारी है तो वहीं दूसरी तरफ जिला स्वास्थ्य विभाग ने कोविड कियोस्क बनवाए हैं, जिनसे न सिर्फ पीपीई किट की खपत कम होती है, बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के भी कोरोना मरीजों के संपर्क में आने की पॉसिबिलिटी कम होगी.

भिंड में कोविड कियोस्क से होगी कोरोना की जांच

3 साल तक प्रदेश का नंबर वन रहे जिला अस्पताल में कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने कोविड कियोस्क की शुरुआत की गई है. ये कियोस्क एक कैबिन की तरह हैं, जिसमें अंदर खड़ा स्वास्थ्य कर्मी बाहर बैठे संदिग्ध का सैंपल लेता है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि जिस तरह देश में स्वास्थ्यकर्मी मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमित हो रहे हैं उसे देखते हुए हमने यहां के वर्क बनवाए हैं. इसके जरिए कांटेक्ट की संभावना काफी कम हो जाती है, क्योंकि भिंड जिले में पहले ही डॉक्टर और स्टाफ की भारी कमी है. ऐसे में अगर हमारा कर्मचारी बीमार होता है तो आगे हम कैसे व्यवस्थाएं बनाएंगे.

साथ ही उन्होंने बताया कि कियोस्क के उपयोग से पीपीई किट की खपत भी काफी कम होगी. ऐसे में अगर भविष्य में हमें जरूरत पड़ी तो प्रोटेक्टिव गेयर हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होंगे. जिले में 4 कोविड कियोस्क लगवाए गए हैं, दो जिला अस्पताल और एक गोहद और लहार में भी लगाए गए हैं.

क्या है कोरोना कियोस्क और कैसे करेगा काम ?

बूथ एल्मोनियम और कांच के फ्रेम का बना है, इसमें डॉक्टर या स्टाफ अंदर जाता है. कांच के फ्रेम के बाहर स्टूल या कुर्सी पर वो व्यक्ति बैठेगा, जिसका सैंपल लिया जाना है. इस बूथ में 2 हैवी ग्लब्स पहले से ही बाहर लगाए जाएंगे. बूथ में प्रवेश करने वाला डॉक्टर या स्टाफ अपने हाथों पर सर्जिकल ग्लब्स पहनकर बूथ के ग्लब्स को पहनेगा. इसके जरिए संदिग्ध व्यक्ति के बिना संपर्क में आए सैंपल लिया जाएगा. सैंपलिंग की प्रक्रिया के बाद बूथ को पूरी तरह से सेनिटाइज किया जाएगा. सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया प्रत्येक सैंपल के बाद की जाएगी.

Last Updated : May 2, 2020, 9:47 PM IST
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