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कोरोना का डर बना पलायन की मजबूरी, लॉकडाउन के बावजूद भिंड पहुंच रहे लोग

कोरोना के रोकथाम के लिए लगा लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी कामगारों के लिए परेशानी बन गया है. घर से बाहर काम करने गए लोग काम न मिलने से पलायन करने को मजबूर हैं.

Fear of Corona forced exodus in bhind
कोरोना का डर बना पलायन की मजबूरी
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Published : Mar 28, 2020, 11:45 PM IST

भिंड। कोरोना के रोकथाम के लिए लगा लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी कामगारों के लिए परेशानी बन गया है. घर से बाहर काम करने गए लोग काम न मिलने से पलायन करने को मजबूर हैं. ऐसे ही कुछ मजदूर लगातार भिंड पहुंच रहे हैं, जो या तो भिंड से बाहर काम करने गए थे या फिर उनके घर जाने के रास्ते में भिंड आता है. लॉकडाउन के कारण पैदा हुए हालातों ने काम के लिए राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली गए इन गरीब मजदूरों को कई सौ किलोमीटर पैदल सफर करने के लिए मजबूर कर दिया है.

कोरोना का डर बना पलायन की मजबूरी

पैदल सफर करने को मजबूर मजदूर
भिंड जिले में भी कई मजदूर ठेके पर काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बीच अब रोटी का संकट पैदा हो गया. ठेकेदार भाग खड़े हुए हैं. कोरोना के आगे जिंदगी की जंग लड़ने को मजबूर ये असहाय लोग अब पलायन को मजबूर हैं. उत्तरप्रदेश के रहने वाला एक गरीब परिवार जो राजस्थान के जयपुर में सब्जी बेचकर 2 रोटी कमाता था, आज आर्थिक तंगी और भूख के आगे बेबस होकर अपने गांव चल दिया है. भिंड में पहुंचने पर उसने बताया की घर जाने के लिए साधन नहीं था तो बाइक पर ठेला कस पूरा परिवार 600 किलोमीटर का सफर तय कर 2 दिन में भिंड पहुंचा, उन्हें अभी 400 किलोमीटर का और सफर करना है.

पैसे दिए बिना ठेकेदार गायब

मेहंगाव के पास निर्माणाधीन पुल पर सैकड़ों मजदूर जो मध्यप्रदेश के बाहर से कम करने आये थे,आज पलायन पर विवश हो गये हैं. मजदूरों की व्यथा इतनी की वो ठेकेदार के भरोसे काम करने आए थे, जो से मजदूरी का पैसा तक नहीं दिया और गायब हो गया. सुपरवाइजर से जितना हो सका मदद के तौर पर किसी को 200 तो किसी 500 रुपये दिये हैं. लेकिन मुसीबत घर पहुचने की है को पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चलने से इन मजदूरों के आगे अब सिर्फ पैदल चलने का रास्ता बचा है.

स्वास्थ्य विभाग निभा रहा जिम्मेदारी
इस बीच स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से निभा रहा है. कोरोना के खतरे के बीच भी जिले के डॉक्टर्स, सर्विलांस टीम और पैरा मेडिकल स्टाफ पूरी मेहनत से न सिर्फ जिले में लौटे लोग बल्कि अन्य शहरों और राज्यों से आने वाले या गुज़रने वाले लोगों की भी स्क्रीनिंग कर रहा है. यहां तक की जिले के सभी कस्बों और शहरी क्षेत्र में भी डोर तो डोर सर्वे हो रहा है जिससे कि लोग जागरूक हो सके और कोरोना का खतरा कम से कम हो.

जनप्रतिनिधि कर रहे साहायता
हालांकि प्रशासन ने शुरुआत में कुछ हद तक भिण्ड से बाहर जाने वाले टीकमगढ़, झांसी से आये मजदूर परिवारों को बस के जरिये वापस पहुचाया है. लेकिन अब भी अन्य जगहों के लोग फंसे हुए हैं, इस बीच समाजसेवी मदद को हाथ आगे बढ़ा रहे हैं, किसान नेता संजीव बरुआ, बबलू सिंधी जैसे लोग मजबूर और असहाय लोगों के लिए भोजन का इंतजाम कर रहे हैं. भिण्ड के पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह मोहल्ले के लोगों के साथ मिलकर उनके लिए खाने की व्यवस्था और बाद में प्रशासन की परमिशन उत्तरप्रदेश की सीमा पार करा रहे हैं.

भिंड। कोरोना के रोकथाम के लिए लगा लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी कामगारों के लिए परेशानी बन गया है. घर से बाहर काम करने गए लोग काम न मिलने से पलायन करने को मजबूर हैं. ऐसे ही कुछ मजदूर लगातार भिंड पहुंच रहे हैं, जो या तो भिंड से बाहर काम करने गए थे या फिर उनके घर जाने के रास्ते में भिंड आता है. लॉकडाउन के कारण पैदा हुए हालातों ने काम के लिए राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली गए इन गरीब मजदूरों को कई सौ किलोमीटर पैदल सफर करने के लिए मजबूर कर दिया है.

कोरोना का डर बना पलायन की मजबूरी

पैदल सफर करने को मजबूर मजदूर
भिंड जिले में भी कई मजदूर ठेके पर काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बीच अब रोटी का संकट पैदा हो गया. ठेकेदार भाग खड़े हुए हैं. कोरोना के आगे जिंदगी की जंग लड़ने को मजबूर ये असहाय लोग अब पलायन को मजबूर हैं. उत्तरप्रदेश के रहने वाला एक गरीब परिवार जो राजस्थान के जयपुर में सब्जी बेचकर 2 रोटी कमाता था, आज आर्थिक तंगी और भूख के आगे बेबस होकर अपने गांव चल दिया है. भिंड में पहुंचने पर उसने बताया की घर जाने के लिए साधन नहीं था तो बाइक पर ठेला कस पूरा परिवार 600 किलोमीटर का सफर तय कर 2 दिन में भिंड पहुंचा, उन्हें अभी 400 किलोमीटर का और सफर करना है.

पैसे दिए बिना ठेकेदार गायब

मेहंगाव के पास निर्माणाधीन पुल पर सैकड़ों मजदूर जो मध्यप्रदेश के बाहर से कम करने आये थे,आज पलायन पर विवश हो गये हैं. मजदूरों की व्यथा इतनी की वो ठेकेदार के भरोसे काम करने आए थे, जो से मजदूरी का पैसा तक नहीं दिया और गायब हो गया. सुपरवाइजर से जितना हो सका मदद के तौर पर किसी को 200 तो किसी 500 रुपये दिये हैं. लेकिन मुसीबत घर पहुचने की है को पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चलने से इन मजदूरों के आगे अब सिर्फ पैदल चलने का रास्ता बचा है.

स्वास्थ्य विभाग निभा रहा जिम्मेदारी
इस बीच स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से निभा रहा है. कोरोना के खतरे के बीच भी जिले के डॉक्टर्स, सर्विलांस टीम और पैरा मेडिकल स्टाफ पूरी मेहनत से न सिर्फ जिले में लौटे लोग बल्कि अन्य शहरों और राज्यों से आने वाले या गुज़रने वाले लोगों की भी स्क्रीनिंग कर रहा है. यहां तक की जिले के सभी कस्बों और शहरी क्षेत्र में भी डोर तो डोर सर्वे हो रहा है जिससे कि लोग जागरूक हो सके और कोरोना का खतरा कम से कम हो.

जनप्रतिनिधि कर रहे साहायता
हालांकि प्रशासन ने शुरुआत में कुछ हद तक भिण्ड से बाहर जाने वाले टीकमगढ़, झांसी से आये मजदूर परिवारों को बस के जरिये वापस पहुचाया है. लेकिन अब भी अन्य जगहों के लोग फंसे हुए हैं, इस बीच समाजसेवी मदद को हाथ आगे बढ़ा रहे हैं, किसान नेता संजीव बरुआ, बबलू सिंधी जैसे लोग मजबूर और असहाय लोगों के लिए भोजन का इंतजाम कर रहे हैं. भिण्ड के पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह मोहल्ले के लोगों के साथ मिलकर उनके लिए खाने की व्यवस्था और बाद में प्रशासन की परमिशन उत्तरप्रदेश की सीमा पार करा रहे हैं.

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