भिंड। एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. सिंध नदी से जब्त की गई रेत खनन करने वाली पनडुब्बियों को नीलाम करने के मामले में अब प्रशासन यू-टर्न लेता हुआ नजर आ रहा है. इस मामले में कलेक्टर सतीश कुमार एस ने कहा है कि पनडुब्बियों को नीलाम करने के मामले में फिर से विचार किया जा रहा है. अब ये पनडुब्बियां गौरी सरोवर के आसपास की सुंदरता बढ़ाएगी.
कलेक्टर ने दोबारा विचार करने की कही बात
ईटीवी भारत ने कलेक्टर सतीश कुमार एस से सरकारी नोटिस के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया की राजसात वाहनों की नीलामी की जा रही है. पनडुब्बी मशीनों के इंजन नष्ट कर दिए गए हैं. उन्हें कबाड़ के तौर पर नीलाम किया जाएगा. इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि अगर यह नावनुमा ढांचे नगर पालिका या किसी अन्य विभाग में काम आते हैं, तो उन्हें आपूर्ति के तौर पर दे दिया जाएगा.
कलेक्टर ने इस बात पर समहति जताई की पनडुब्बी मशीन के इंजन आसानी से नष्ट नहीं होते हैं, उन्हें रिपेयर कर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में नीलाम होने पर वे दोबारा माफिया के हाथ लग सकती है और नदी में अवैध उत्खनन के लिए इस्तेमाल हो सकती है. कलेक्टर ने कहा कि इसलिए इसकी नीलामी के लिए दोबारा विचार किया जाएगा. कलेक्टर ने इन पंडुब्बियों की नीलामी करने की बजाय इनका सदुपयोग करने पर सहमति जताई है. अब जल्द ही यह पनडुब्बियां गौरी सरोवर के आसपास सुंदरता बढ़ाएगी.
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शासन ने नीलामी का लिया था फैसला
शासन के नियम अनुसार राजसात हुए वाहनों को समय-समय पर नीलाम किया जाता है. ऐसे में थानों में रखे अवैध खनन में पकड़े गए ट्रक, पोकलेन मशीनों के साथ पनडुब्बी को भी नीलम करने पर प्रशासन ने विचार किया और उसे कागजी रूप देते हुए कुछ दिन पहले विज्ञप्ति नोटिस जारी किया.
आसानी से नष्ट नहीं होती पनडुब्बी
रेत माफिया लोकल स्तर पर दो से तीन लाख रुपए की पनडुब्बी तैयार कराते हैं. इनका पंजीयन भी नहीं होता है. फिर इसके माध्यम से नदी की जलधारा से रेत को खींच कर किनारे पर लाते हैं. ऐसा किए जाने से कई जलीय जीव का जीवन नष्ट हो रहा है. वहीं, नदियों का संतुलन बिगड़ रहा है. पिछले कुछ समय में जिला प्रशासन ने ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्रक, डंपर, लोडर और पनडुब्बी जब्त की हैं. इन मशीनरी की कुल संख्या 32 है, जिसमें 9 पनडुब्बी हैं. इसे लोकल लेवल पर मैकेनिक तैयार करते हैं. यह दो से तीन लाख रुपए में तैयार हो जाती है. इसे नदियों के अंदर डाला जाता है फिर नदी के अंदर से यह रेत सोखकर बाहर निकाल देती है. इसे रेत माफिया उपयोग करते हैं. अब सवाल उठता है कि जब कोई दूसरा उपयोग नहीं है तो इसे रेत माफिया के अलावा और कौन खरीदेगा.