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गणेशोत्सव पर कोरोना का ग्रहण, मूर्तिकारों पर मंडराया आर्थिक संकट - Ganesh Utsav at Mehgaon Bhind

हर साल गणेशोत्सव आने से पहले बाजारों में अलग ही रौनक रहती थी. जगह-जगह गणेश प्रतिमाओं के स्टाल लगते थे. सबसे ज्यादा भीड़ तो उन कलाकारों के पास होती थी, जो प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं, लेकिन इस साल गणेश उत्सव पर भी कोरोना काल का असर साफ दिखाई दे रहा है.

crisis over life of sculptors in the corona era
मूर्तिकारों पर मंडरा रहा संकट
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Published : Aug 17, 2020, 9:17 AM IST

भिंड। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले तमाम कारीगर पर भी पड़ रहा है. चैत नवरात्र, श्रावण मास और रक्षाबंधन पर भी कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों, कारीगरों को नुकसान उठाना पड़ा. अब मूर्तिकारों पर कोरोना के कारण आर्थिक संकट छा गया है. सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगे होने के कारण भिंड के मेहगांव में प्रतिमाओं का निर्माण करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है.

crisis over life of sculptors in the corona era
मनमोहक गणेश प्रतिमाएं

डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर रहेगा सूना
मेहगांव कस्बे में हर साल डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर पर सबसे बड़ा पंडाल लगाया जाता था, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से गणेश स्थापना नहीं होगी. मंदिर के महंत और गणेश पंडाल के आयोजक दिनेश उपाध्याय ने बताया कि, हर साल गणेशोत्सव पर एक अलग ही उल्लास दिखाई देता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते लोग मंदिरों में कम आ रहे हैं और समिति भी इस बार पंडाल नहीं बना रही है, बल्की लोगों से निवेदन कर रही है कि, वो अपने घर में ही गणपति का पूजन करें.

crisis over life of sculptors in the corona era
गणपति की मूर्ती

डेढ़ फीट से ऊंची प्रतिमा की बिक्री पर रोक
हर साल समितियां श्रद्धा भाव से बड़ी से बड़ी मूर्तियां खरीदती थी और अपने पंड़ाल को सभी से बेहतर दिखाने के लिए बड़े आयोजन करती थी, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रशासन ने आयोजनों पर रोक लगा दी है, इससे मूर्तीकारों को खासा नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के बावजूद मूर्तिकार बिक्री की उम्मीद में 6-10 फीट की मूर्तियां बड़ी मात्रा मे बना ली थी. मूर्तिकार अनिल शर्मा भी बताते हैं कि, उन्होंने 40 हजार के लागत तक की मूर्तियां बनाई है, लेकिन बिक्री की उम्मीद नहीं है, जिससे उन्हें काफी नुकसान होने वाला है.

crisis over life of sculptors in the corona era
मूर्तिकारों पर मंडरा रहा संकट

मूर्तिकारों के भूखों मरने की नौबत
सरकार के निर्देश के बाद लोगों में मायूसी है, तो वहीं मूर्तीकारों पर संकट के बादल मडरा रहे है. भिंड के मेहगांव में हर साल उत्तर प्रदेश के गौना से आकर मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्तिकार हर साल की तरह इस साल भी अपने तय समय पर मेहगांव पहुंच गए, लेकिन चंद दिनों में ही लॉकडाउन हो गया और वे यहां फंस कर रह गए. जो पैसा था, वो आजीविका चलाने में खर्च हो गया, अब अगर मूर्तियां नहीं बिकी तो इन मूर्तिकारों को भारी नुकसान झेलना ही पड़ेगा, साथ ही भूखे मरने की नौवत आ जाएगी.

मूर्तिकारों पर मंडरा रहा संकट
स्वदेशी मूर्तियां बिकने की उम्मीदपिछले दिनों गलवान घाटी में हुई भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद लोगों ने चाइना के सामान को बायकॉट किया है. हर साल गणेशोत्सव और नवरात्रों में भी चाइना मेड मूर्तियां भारी मात्रा में बिकती थी, लेकिन इस बार इन मूर्तिकारों को उम्मीद है कि, लोग मिट्टी से बनी स्वदेशी मूर्तियां खरीदेंगे. ऐसे में इन मूर्तिकारों को लागत का कुछ हिस्सा बसूल होने की उम्मीद है.

भिंड। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले तमाम कारीगर पर भी पड़ रहा है. चैत नवरात्र, श्रावण मास और रक्षाबंधन पर भी कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों, कारीगरों को नुकसान उठाना पड़ा. अब मूर्तिकारों पर कोरोना के कारण आर्थिक संकट छा गया है. सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगे होने के कारण भिंड के मेहगांव में प्रतिमाओं का निर्माण करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है.

crisis over life of sculptors in the corona era
मनमोहक गणेश प्रतिमाएं

डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर रहेगा सूना
मेहगांव कस्बे में हर साल डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर पर सबसे बड़ा पंडाल लगाया जाता था, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से गणेश स्थापना नहीं होगी. मंदिर के महंत और गणेश पंडाल के आयोजक दिनेश उपाध्याय ने बताया कि, हर साल गणेशोत्सव पर एक अलग ही उल्लास दिखाई देता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते लोग मंदिरों में कम आ रहे हैं और समिति भी इस बार पंडाल नहीं बना रही है, बल्की लोगों से निवेदन कर रही है कि, वो अपने घर में ही गणपति का पूजन करें.

crisis over life of sculptors in the corona era
गणपति की मूर्ती

डेढ़ फीट से ऊंची प्रतिमा की बिक्री पर रोक
हर साल समितियां श्रद्धा भाव से बड़ी से बड़ी मूर्तियां खरीदती थी और अपने पंड़ाल को सभी से बेहतर दिखाने के लिए बड़े आयोजन करती थी, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रशासन ने आयोजनों पर रोक लगा दी है, इससे मूर्तीकारों को खासा नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के बावजूद मूर्तिकार बिक्री की उम्मीद में 6-10 फीट की मूर्तियां बड़ी मात्रा मे बना ली थी. मूर्तिकार अनिल शर्मा भी बताते हैं कि, उन्होंने 40 हजार के लागत तक की मूर्तियां बनाई है, लेकिन बिक्री की उम्मीद नहीं है, जिससे उन्हें काफी नुकसान होने वाला है.

crisis over life of sculptors in the corona era
मूर्तिकारों पर मंडरा रहा संकट

मूर्तिकारों के भूखों मरने की नौबत
सरकार के निर्देश के बाद लोगों में मायूसी है, तो वहीं मूर्तीकारों पर संकट के बादल मडरा रहे है. भिंड के मेहगांव में हर साल उत्तर प्रदेश के गौना से आकर मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्तिकार हर साल की तरह इस साल भी अपने तय समय पर मेहगांव पहुंच गए, लेकिन चंद दिनों में ही लॉकडाउन हो गया और वे यहां फंस कर रह गए. जो पैसा था, वो आजीविका चलाने में खर्च हो गया, अब अगर मूर्तियां नहीं बिकी तो इन मूर्तिकारों को भारी नुकसान झेलना ही पड़ेगा, साथ ही भूखे मरने की नौवत आ जाएगी.

मूर्तिकारों पर मंडरा रहा संकट
स्वदेशी मूर्तियां बिकने की उम्मीदपिछले दिनों गलवान घाटी में हुई भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद लोगों ने चाइना के सामान को बायकॉट किया है. हर साल गणेशोत्सव और नवरात्रों में भी चाइना मेड मूर्तियां भारी मात्रा में बिकती थी, लेकिन इस बार इन मूर्तिकारों को उम्मीद है कि, लोग मिट्टी से बनी स्वदेशी मूर्तियां खरीदेंगे. ऐसे में इन मूर्तिकारों को लागत का कुछ हिस्सा बसूल होने की उम्मीद है.
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