भिंड। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले तमाम कारीगर पर भी पड़ रहा है. चैत नवरात्र, श्रावण मास और रक्षाबंधन पर भी कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों, कारीगरों को नुकसान उठाना पड़ा. अब मूर्तिकारों पर कोरोना के कारण आर्थिक संकट छा गया है. सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगे होने के कारण भिंड के मेहगांव में प्रतिमाओं का निर्माण करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है.
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डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर रहेगा सूना
मेहगांव कस्बे में हर साल डाकवाला सरकार हनुमान मंदिर पर सबसे बड़ा पंडाल लगाया जाता था, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से गणेश स्थापना नहीं होगी. मंदिर के महंत और गणेश पंडाल के आयोजक दिनेश उपाध्याय ने बताया कि, हर साल गणेशोत्सव पर एक अलग ही उल्लास दिखाई देता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते लोग मंदिरों में कम आ रहे हैं और समिति भी इस बार पंडाल नहीं बना रही है, बल्की लोगों से निवेदन कर रही है कि, वो अपने घर में ही गणपति का पूजन करें.
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डेढ़ फीट से ऊंची प्रतिमा की बिक्री पर रोक
हर साल समितियां श्रद्धा भाव से बड़ी से बड़ी मूर्तियां खरीदती थी और अपने पंड़ाल को सभी से बेहतर दिखाने के लिए बड़े आयोजन करती थी, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रशासन ने आयोजनों पर रोक लगा दी है, इससे मूर्तीकारों को खासा नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के बावजूद मूर्तिकार बिक्री की उम्मीद में 6-10 फीट की मूर्तियां बड़ी मात्रा मे बना ली थी. मूर्तिकार अनिल शर्मा भी बताते हैं कि, उन्होंने 40 हजार के लागत तक की मूर्तियां बनाई है, लेकिन बिक्री की उम्मीद नहीं है, जिससे उन्हें काफी नुकसान होने वाला है.
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मूर्तिकारों के भूखों मरने की नौबत
सरकार के निर्देश के बाद लोगों में मायूसी है, तो वहीं मूर्तीकारों पर संकट के बादल मडरा रहे है. भिंड के मेहगांव में हर साल उत्तर प्रदेश के गौना से आकर मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्तिकार हर साल की तरह इस साल भी अपने तय समय पर मेहगांव पहुंच गए, लेकिन चंद दिनों में ही लॉकडाउन हो गया और वे यहां फंस कर रह गए. जो पैसा था, वो आजीविका चलाने में खर्च हो गया, अब अगर मूर्तियां नहीं बिकी तो इन मूर्तिकारों को भारी नुकसान झेलना ही पड़ेगा, साथ ही भूखे मरने की नौवत आ जाएगी.