भिंड: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में आज भारत बंद की अपील की गई. जिस पर कांग्रेस ने भी अपनी सहमति जताते हुए समर्थन दिया और इसी के तहत सांकेतिक समर्थन में कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कांग्रेस पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग की है.
कांग्रेस ने भारत बंद का किया समर्थन
दरअसल नए कृषि कानून के विरोध में आज भारत बंद है. किसानों के विरोध में देशभर में कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन जताया है. जिसमें प्रमुख राष्ट्रीय दलों में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने भी सभी प्रदेशों में और जिला इकाइयों में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन करते हुए रैली समेत कई कार्यक्रम आयोजित किए. जिले में भी कांग्रेस की जिला इकाई ने सुबह से ही रैलियां निकाली और लोगों से खासकर व्यापारियों से भारत बंद में सहयोग करने के लिए अपने प्रतिष्ठान बंद करने का आह्वान किया.
राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा
कांग्रेस ने सांकेतिक रूप से भिंड कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपर कलेक्टर अनिल चांदिल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. जिसमें केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए 3 कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग की है. कांग्रेस जिला अध्यक्ष जय श्रीराम बघेल ने इस ज्ञापन के जरिए कांग्रेस की ओर से मांग करते हुए बताया कि सरकार द्वारा किसान विरोधी तीन नए कानून बनाए गए हैं. जिला अध्यक्ष ने कहा कि कानून बनाने का एक नियम होता है जिसमें पहले प्रस्ताव तैयार होता है. जिसके बाद उसे सदन में लाया जाता है और दोनों पक्ष इस पर बहस करते हैं अपना पक्ष रखते हैं उसके बाद जब सहमति बनती है तब कानून पास होता है लेकिन बीजेपी ने खुद ही तीनों कानून पास करा लिए, उन्हें किस बात का डर था.
'उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने बनाये किसान विरोधी कानून'
ये तीनों ही कानूनों को उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले कानून बताते हुए जिलाध्यक्ष जयश्री राम बघेल ने कहा कि पहले के नियमों में एक रोक थी कि कोई भी पूंजीपति या उद्योगपति एक निश्चित मात्रा से ज्यादा भंडारण नहीं कर सकता था. लेकिन अब इस नए कानून में उन्हें इस बात की छूट दे दी गई. अब कोई भी उद्योगपति है कितना भी भंडारण कर सकता है, जब ऐसा होगा तो शॉर्टेज होगी और बाद में मंडियों में वही महंगे दामों में बिकेगा. लेकिन उसका लाभ हमारे किसानों को नहीं मिलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि एक अन्य कानून में किसानों को मजदूर बनाने का काम सरकार ने किया है जो वाकई किसान विरोधी है.