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जिले में लगातार बढ़ते कुपोषण के आंकड़े, लापरवाह अधिकारियों का वेतन काटने के निर्देश - Departmental Officer

कुपोषण से सुपोषण की ओर बढ़ने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास करता रहा है, लेकिन इसके बावजूद जिले के कई विकासखंडों में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. भिण्ड कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों का वेतन आगामी आदेश तक रोक दिया है.

कलेक्टर ने लापरवाह अधिकारियों का वेतन काटने के दिए निर्देश
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Published : Nov 14, 2019, 3:37 PM IST

भिण्ड। जिला प्रशासन कुपोषण को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चला रहा है, लेकिन अभी तक इसमें उसे सफलता नहीं मिल पाई है. आज भी जिले के कई विकासखंडों में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. सरकार ने कुपोषित बच्चों को बचाने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किए हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते राह इतनी आसान नहीं लगती. जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का वेतन रोकने की कार्रवाई की गई है.

जिले में लगातार बढ़ते कुपोषण के आंकड़े

भिंड में लगातार बच्चों के कुपोषित पैदा होने के मामले सामने आ रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग को इन बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर इलाज और संसाधनों के जरिए कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाना चाहिए था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण कुपोषित बच्चों का ग्राफ घटने के बजाए बढ़ रहा है.

कलेक्टर ने समीक्षा बैठक में लापरवाही को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक और परियोजना अधिकारियों के वेतन को रोकने के निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि वेतन रोकने के निर्देश के साथ ही कलेक्टर ने सख्त हिदायत दी है कि स्थिति नहीं सुधरी, तो वेतन पर रोक जारी रहेगी.

भिण्ड। जिला प्रशासन कुपोषण को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चला रहा है, लेकिन अभी तक इसमें उसे सफलता नहीं मिल पाई है. आज भी जिले के कई विकासखंडों में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. सरकार ने कुपोषित बच्चों को बचाने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किए हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते राह इतनी आसान नहीं लगती. जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का वेतन रोकने की कार्रवाई की गई है.

जिले में लगातार बढ़ते कुपोषण के आंकड़े

भिंड में लगातार बच्चों के कुपोषित पैदा होने के मामले सामने आ रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग को इन बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर इलाज और संसाधनों के जरिए कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाना चाहिए था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण कुपोषित बच्चों का ग्राफ घटने के बजाए बढ़ रहा है.

कलेक्टर ने समीक्षा बैठक में लापरवाही को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक और परियोजना अधिकारियों के वेतन को रोकने के निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि वेतन रोकने के निर्देश के साथ ही कलेक्टर ने सख्त हिदायत दी है कि स्थिति नहीं सुधरी, तो वेतन पर रोक जारी रहेगी.

Intro:कुपोषण से सुपोषण की ओर बढ़ने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास करता रहा है लेकिन बावजूद इसके आज भी जिले के कई विकास खंडों में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं सरकार ने कुपोषण से बच्चों को बचाने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किए हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं जिसको लेकर दंड स्वरूप भिंड कलेक्टर ने महिला बाल विकास के जिम्मेदार अधिकारियों का वेतन आगामी आदेश तक रोक दिया है।Body:दरअसल भिंड जिले में लगातार बच्चों के कुपोषित पैदा होने के मामले सामने आए हैं। महिला बाल विकास विभाग द्वारा इन बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करा कर इलाज और संसाधनों के जरिये कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाना चाहिए था लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा इस ओर ज्यादा ध्यान नही दिया गया जिस कारण पुनर्वास केंद्र खाली रह गए और बच्चे कुपोषित हुए। ऐसे में कलेक्टर द्वारा 3 महीने की समीक्षा में अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो गयी। जिसको लेकर भिण्ड कलेक्टर ने आगामी आदेश तक महिला बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक और परियोजना अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी है।Conclusion:बता दें कि वेतन रोकने के आदेश के साथ ही कलेक्टर ने सख्त हिदायद दी है कि स्थिति नही सुधरी तो वेतन पर रोक जारी रहेगी।

बाइट- छोटे सिंह, कलेक्टर, भिण्ड
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