भिंड। आरईएस के असिस्टेंट इंजीनियर द्वारा पंचायतों में कमीशनखोरी का मामला उजागर होने के बाद आखिरकार ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत सीईओ को भ्रष्टाचार के आरोपों में संलिप्त प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं.
कुछ दिनों पहले ईटीवी भारत की जानकारी में आया था कि गोहद जनपद पंचायत में आरईएस के उप अभियंता और प्रभारी एई आशुतोष श्रीवास्तव द्वारा मूल्यांकन और मनरेगा कार्यों की स्वीकृति के लिए तीन से चार प्रतिशत कमीशन की मांग सरपंचों से की जा रही थी. इसकी लिखित शिकायत सरपंचों द्वारा जिला पंचायत सीईओ को भी की गई है. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था.
AE के भ्रष्टाचार का ETV भारत ने किया था खुलासा
खबर प्रकाशित होने के बाद ईटीवी भारत की टीम जमीनी हकीकत जानने के लिए गोहद के विभिन्न गांवों में पहुंची, जहां सरपंचों ने एई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उन्होंने बताया था कि एई आशुतोष श्रीवास्तव का बेटा रजत श्रीवास्तव भी हर समय उनके साथ रहता हैं. सरकारी कर्मचारी न होने के बावजूद वह उनके लिए डीलिंग करता है. इसके साथ ही एई द्वारा दो ऐसी तकनीकी मंजूरी अनाधिकृत रूप से जारी करने का मामला भी सामने आया, जिसमें उन्हें मात्र 50000 रुपये की टीएस जारी करने का अधिकार था, लेकिन उन्होंने मेढ़ बंधान मरम्मत की एक साड़े 14 लाख रुपये और दूसरी साड़े 11 लाख रुपये से ज्यादा की टीएस स्वीकृत कर दी.
ईटीवी भारत की पड़ताल के दौरान एक ऐसा वायरल वीडियो भी मिला, जिसमें एई और उसके बेटे के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ. इसमें जिला पंचायत में बैठे आला अधिकारी ही बाप-बेटे की मिलीभगत से चल रहे कमीशनखोरी की पोल खोल रहे थे. जिला पंचायत सीईओ द्वारा संरक्षण और भ्रष्टाचार में शामिल होने के भी आरोप लगाए गए थे. हालांकि ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.
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कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
अब इस पूरे मामले पर कलेक्टर सतीश कुमार ने भी संज्ञान लिया है. उन्होंने जिला पंचायत सीईओ को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा कि जांच सही पाए जाने पर दंडात्मक या विधिवत कार्रवाई की जाएगी.
वहीं जिला पंचायत सीईओ पर भी लग रहे संरक्षण के आरोप पर कलेक्टर ने खुद जांच कराने की बात कही हैं. हालांकि, पहले ही जिला पंचायत CEO जेके जैन पर आशुतोष श्रीवास्तव को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में उनसे भी निष्पक्ष जांच की उम्मीद कम ही है.