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चंबल-अंचल में घोंटा सब्जी का क्रेज, बनाने की विधि देखकर हो जाएंगे हैरान - vegetable craze in chambal region

चम्बल आने के बाद अगर घोंटा नहीं खाया तो क्या खाया. जी हां घोंटा आलू की वो सब्जी है, जो थाली में आए तो लोग उंगलियां चाटते रह जाते हैं. बिना घोटा के पूरे चम्बल अंचल में कोई भंडारा नहीं होता.

vegetable craze in chambal region
चंबल-अंचल में घोंटा सब्जी का क्रेज
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Published : Feb 7, 2023, 4:46 PM IST

घोंटा सब्जी का क्रेज

भिंड। चंबल-अंचल में घोंटा आलू की सब्जी का अलग ही क्रेज है. कहा जाता है कि, अगर इस इलाके में पहुंचे और घोंटा नहीं खाए तो यहां आने का कोई मतलब नहीं है. इन दिनों भिंड जिले के खनेता धाम में संत समागम चल रहा है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं. प्रतिदिन प्रसादी के लिए भव्य भंडारा चल रहा है. ना कुर्सी ना टेबल ना ही कोई बिछौना, हजारों श्रद्धालु एक साथ जमीन पर बैठकर बूंदी और मालपुए के साथ घोंटा आलू की सब्ज़ी का आनंद ले रहे हैं. इसका घोल तैयार करने के लिए भवन निर्माण में उपयोग होने वाली मशीन (आरसीसी घोल मिक्सर) यहां लगाई गईं है. सब्जी को पलटने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जाता है. बताया जाता है कि, घोंटा आलू की सब्जी थाली में आए तो लोग उंगलियां चाटते रह जाते हैं. चम्बल अंचल में बिना घोटा के कोई भंडारा नहीं होता.

4 से 5 घंटे में तैयार होती है सब्जी: भंडारे के लिए अलग से बड़ी रसोई बनाई गई है. यहां करीब आधा सैकड़ा हलवाई भंडारे के लिए पकवान बनाने में जुटे हुए हैं. इस रसोई में रखी हैं 3 बड़ी बड़ी कड़ाही है. इनमें एक साथ घोंटा आलू तैयार किया जाता है. जब हलवाइयों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, चम्बल का भंडारा विशेष है. यहां भंडारे में घोंटा आलू लोगों का प्रिय है. इसलिए इसे पूरी शिद्दत से तैयार किया जाता है. इस सब्जी में ना तो लहसुन होती है और ना ही प्याज, सिर्फ आलू और मसालों को साथ पकाकर इसे बनाया जाता है. हलवाई कहते हैं कि, इसे 3 से 4 घंटे तक पकाया जाता है, तभी इसमें स्वाद आता है. यही वजह है कि, जब घोंटा स्वाद बनता है तो लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं.

प्रसादी में बना घोंटा, स्वाद सबसे निराला: रसोई के पास कई उत्सुक लोग भी घोंटा आलू को पकते और बनते देखने पहुंच जाते हैं. ऐसे ही कुछ लोगों से हमने बात की. पास खड़े एक बुजुर्ग का कहना था कि, ये देहाती सब्जी है. लोहे की कड़ाही में बनाई जाती है. इसलिए इसका स्वाद बहुत अच्छा और अलग रहता है. घर में अगर फ्राई करके भी बनाएंगे तो यह स्वाद नहीं आता. भंडारे में इसका स्वाद बढ़ जाता है.

Gwalior Bhagwat Katha:50 हजार लोगों के लिए बनता है प्रसाद, मिक्सर मशीन में तैयार होता है मालपुए का घोल

हर दिन 150 क्विंटल आलू का भोज: प्रसादी पाने वालों की संख्या हजारों की तादात में रहती है. इसलिए घोंटा आलू की सब्जी भारी मात्रा में बनाई जाती है. हलवाइयों के मुताबिक, भंडारे की रसोई में 3-3 कड़ाहियों में घोंटा सब्जी बनाई जाती है. एक बार में करीब 32 क्विंटल (3250 किलो) आलू से सब्ज़ी तैयार होती है. ऐसा दिन में दो से तीन बार होता है. यानी प्रति दिन लगभग 150 क्विंटल आलू का घोंटा बनाया जाता है. बुजुर्गों का अंदाज है कि, एक क्विंटल आलू में करीब 600 लोग भोजन करते हैं. अंदाजन यहां पर प्रतिदिन 90 हजार लोग प्रसादी भोज कर रहे हैं.

घोंटा सब्जी का क्रेज

भिंड। चंबल-अंचल में घोंटा आलू की सब्जी का अलग ही क्रेज है. कहा जाता है कि, अगर इस इलाके में पहुंचे और घोंटा नहीं खाए तो यहां आने का कोई मतलब नहीं है. इन दिनों भिंड जिले के खनेता धाम में संत समागम चल रहा है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं. प्रतिदिन प्रसादी के लिए भव्य भंडारा चल रहा है. ना कुर्सी ना टेबल ना ही कोई बिछौना, हजारों श्रद्धालु एक साथ जमीन पर बैठकर बूंदी और मालपुए के साथ घोंटा आलू की सब्ज़ी का आनंद ले रहे हैं. इसका घोल तैयार करने के लिए भवन निर्माण में उपयोग होने वाली मशीन (आरसीसी घोल मिक्सर) यहां लगाई गईं है. सब्जी को पलटने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जाता है. बताया जाता है कि, घोंटा आलू की सब्जी थाली में आए तो लोग उंगलियां चाटते रह जाते हैं. चम्बल अंचल में बिना घोटा के कोई भंडारा नहीं होता.

4 से 5 घंटे में तैयार होती है सब्जी: भंडारे के लिए अलग से बड़ी रसोई बनाई गई है. यहां करीब आधा सैकड़ा हलवाई भंडारे के लिए पकवान बनाने में जुटे हुए हैं. इस रसोई में रखी हैं 3 बड़ी बड़ी कड़ाही है. इनमें एक साथ घोंटा आलू तैयार किया जाता है. जब हलवाइयों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, चम्बल का भंडारा विशेष है. यहां भंडारे में घोंटा आलू लोगों का प्रिय है. इसलिए इसे पूरी शिद्दत से तैयार किया जाता है. इस सब्जी में ना तो लहसुन होती है और ना ही प्याज, सिर्फ आलू और मसालों को साथ पकाकर इसे बनाया जाता है. हलवाई कहते हैं कि, इसे 3 से 4 घंटे तक पकाया जाता है, तभी इसमें स्वाद आता है. यही वजह है कि, जब घोंटा स्वाद बनता है तो लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं.

प्रसादी में बना घोंटा, स्वाद सबसे निराला: रसोई के पास कई उत्सुक लोग भी घोंटा आलू को पकते और बनते देखने पहुंच जाते हैं. ऐसे ही कुछ लोगों से हमने बात की. पास खड़े एक बुजुर्ग का कहना था कि, ये देहाती सब्जी है. लोहे की कड़ाही में बनाई जाती है. इसलिए इसका स्वाद बहुत अच्छा और अलग रहता है. घर में अगर फ्राई करके भी बनाएंगे तो यह स्वाद नहीं आता. भंडारे में इसका स्वाद बढ़ जाता है.

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हर दिन 150 क्विंटल आलू का भोज: प्रसादी पाने वालों की संख्या हजारों की तादात में रहती है. इसलिए घोंटा आलू की सब्जी भारी मात्रा में बनाई जाती है. हलवाइयों के मुताबिक, भंडारे की रसोई में 3-3 कड़ाहियों में घोंटा सब्जी बनाई जाती है. एक बार में करीब 32 क्विंटल (3250 किलो) आलू से सब्ज़ी तैयार होती है. ऐसा दिन में दो से तीन बार होता है. यानी प्रति दिन लगभग 150 क्विंटल आलू का घोंटा बनाया जाता है. बुजुर्गों का अंदाज है कि, एक क्विंटल आलू में करीब 600 लोग भोजन करते हैं. अंदाजन यहां पर प्रतिदिन 90 हजार लोग प्रसादी भोज कर रहे हैं.

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