भिंड। जैसे-जैसे देश डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है. उसी के साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं. अधिकतर लोग इंटरनेट पर अपना ज्यादा वक्त बीताते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग,ऑनलाइन पेमेंट, ऑनलाइन टिकट बुक सभी काम डिजिटल के माध्यम से हो रहे हैं. ऐसे में साइबर ठगों ने भी इंटरनेट को अपना ठगी का नया अड्डा बना लिया है. आए दिन लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार हो रहे हैं. बावजूद इसके लोग जागरूक नहीं है. जबकि आपकी जागरूकता ही आपका हथियार है. इसलिए जागरूक रहिए, सुरक्षित रहिए.
भिंड जिले में साइबर क्राइम पुलिस ने ऑनलाइन गेम के माध्यम से लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को हिरासत में लिया है. यह ग्रुप ऑनलाइन गेम 'फ्री फायर' के माध्यम से गेम खेलने वाले व्यक्ति को अपने जाल में फंसा लेता था. गेम की वर्चुअल करेंसी खरीदने के नाम पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के बहाने लिंक भेजते थे और उसपर क्लिक करते ही गेम खेलने वाले का खाता खाली हो जाता था.
फ्री फायर गेम के जरिये ठगी
आज के समय में जब हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है और गेम इंडस्ट्री भी बूम पर है. भारत सरकार द्वारा पब्जी गेम पर रोक लगाए जाने के बाद से ही उसके तर्ज पर कई गेम आज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. इन गेम्स को करोड़ों लोग उपयोग कर रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा तादाद बच्चों की हैं. ऐसे ही एक गेम के जरिए भिंड में ठगी का मामला सामने आया है. भिंड शहर के पंजाब नेशनल बैंक के पास रहने वाले किराना व्यापारी सतीश जैन का 10 वर्षीय बेटा अपनी मां के मोबाइल पर फ्री फायर नाम का गेम डाउनलोड कर खेल रहा था. इसी गेम में एक लिंक आया. जिस पर वर्चुअल करेंसी खरीदने के लिए. जब उसने क्लिक किया तो सतीश जैन की पत्नी वर्षा जैन के खाते से करीब दस हजार कट गए. मैसेज आने पर जब सतीश जैन ने बैंक जाकर पासबुक प्रिंट कराई तो ठगी का शिकार होने की बात पता चली. इसके बाद फरियादी ने कोतवाली में जाकर इसकी FIR दर्ज कराई.
पुलिस ने गंभीरता से लिया मामला
भिंड डीएसपी हेडक्वार्टर और साइबर सेल प्रभारी मोती लाल कुशवाहा ने बताया की फरियादी से शिकायत मिलने के बाद उन्होंने इस मामले को प्रायरिटी पर लिया और कुछ लोगों को आईडेंटिफाई किया. जिनमें बिहार के गोपालगंज के रहने वाले रविकांत शर्मा नाम के एक युवक का पता चला. जिसे गिरफ्तार किया गया है. सख्ती से पूछताछ के आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के बैंक खाते को सील कर दिया. जिसमें 3 लाख 75 हजार रुपए जमा थे.
ठगी के लिए गेम में भेजते थे लिंक
आरोपी ने बताया कि वह लोग पब्जी की तर्ज पर फ्री फायर गेम के जरिए ठगी करते थे. इस गेम में आर्म्स, एम्युनेशन, ड्रेस यूनिफॉर्म और एसेसरीज खरीदने के लिए डायमंड की जरूरत होती है. जो एक तरह की वर्चुअल करेंसी इस गेम के लिए डिजाइन की गई थी. जब गेम खेलने वाला शख्स इन डायमंड को खरीदने के लिए प्रयास करता है. तो उसे एक लिंक ट्रांजेक्शन करने के लिए भेजी जाती है. जैसे ही वह लिंक को क्लिक करता, उसके संबंधित बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर कर लिया करते थे. इस ठग गिरोह के सदस्य रविकांत ने पुलिस को बताया कि वह अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में 69 लोगों को ऑनलाइन गेम के जरिए अपना शिकार बना चुके हैं.
इन गेम्स के जरिये भी होती है ठगी
डीएसपी मोतीलाल कुशवाहा ने बताया कि आरोपी से मिली जानकारी के अनुसार कई और भी ऐसे ऑनलाइन गेम हैं जिनके जरिए ठगी की जा रही है जिनमें
- पंकज गेमिंग
- गेरेना
- हाइड्रा करन
- जैसे कुछ और गेम्स के जरिये भी ठगी का शिकार बनाया जा रहा है.
लगातार एक्टिव है भिंड में साइबर सेल
डीएससी मोती लाल कुशवाहा ने बताया कि भिंड जिले में साइबर सेल लगातार एक्टिव है. जो इसी तरह के ऑनलाइन धोखाधड़ी वाले मामलों में अपनी कार्रवाई निरंतर जारी रखे हुए हैं. पिछले एक महीने में कई बड़ी कार्रवाई साइबर सेल द्वारा की गई है.
- जिनमें हाल ही में रिलायंस पैट्रोलियम के नाम पर वेबसाइट बनाकर करोड़ों के ठग गिरोह का पर्दाफाश किया गया था.
- इसके अलावा सिटी कोतवाली का एक प्रकरण रामलाल अवस्थी नाम के शख्स का था. जिनके दो लाख 50 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए ठगी हुई थी. उसे भी रिकवर कराया गया.
- साथ ही कार बेचने के नाम पर ऑनलाइन 1 लाख 9 हाजर रुपये की ठगी की गई थी. उसमें भी सक्रियता से कार्रवाई की गई.
- वहीं साइबर सेल द्वारा 1 लाख फिंगर प्रिंट चोरी किए गए थे. जिसका प्रकरण लहार मिहोना और ऊमरी थानों में दर्ज कराए गए थे. उस पर भी अभी कार्रवाई की जा रही है.
ऑनलाइन फ्रॉड से खुद का कैसे करें बचाव
साइबर क्राइम से जुड़ी खबरों को प्रकाशन के साथ ही लगातार ईटीवी भारत लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास कर रहा है, कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर हम भविष्य में होने वाले किसी भी तरह के ऑनलाइन ठगी या फ्रॉड का शिकार बनने से बच सकते हैं.
टेक्नोलॉजी हमारे सहूलियत के लिए है, लेकिन उसका सही और सावधानी पूर्वक इस्तेमाल हमारी खुद की जिम्मेदारी होती है. समय-समय पर पुलिस प्रशासन मीडिया लोगों को इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए जागरूक करते हैं. भविष्य में होने वाली इसी तरह की ठगी से बचने के लिए हमें जागरूक रहना भी बेहद जरूरी हैं.