भिंड। अभी कोविड से भी नहीं उबर पाए हम और अब ब्लैक फंगस ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. इस बीमारी को बेहद ख़तरनाक माना जा रहा है. अब तक प्रदेश में इसके ज़्यादा केस सामने नहीं आए है लेकिन जो भी इसका शिकार हो रहे हैं उन हालत बेहद गम्भीर है. खुद सरकार ने इसके इलाज के लिए कमर कस ली है. भिंड जिले में भी इस ब्लैक फंगस की दस्तक हो चुकी है. हाल ही में कोविड से जंग जीतकर आए भिंड जिले के अनुराग मिश्रा डिस्चार्ज होने से पहले ही, ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. लेकिन मामला उजागर ना हो पाए इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी है. इस बीमारी से जूझ रहे अनुराग मिश्रा को उनके करीबी लोगों की मदद से समय पर इलाज मिल गया. जिसकी वजह से स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है. इस बीमारी का अहसास कितना दर्द भरा है ये खुद ईटीवी भारत से उन्होंने साझा किया.
छोटे शहरों में भी black fungus की दस्तक: कोविड और डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा
कोविड के इलाज के दौरान शिकार
पेशेंट अनुराग मिश्रा अप्रैल महीने में कोविड संक्रमण की जद में आ गाए थे. उन्होंने बताया कि शुरुआती तौर पर होम आयसोलेशन में थे लेकिन जब तबियत बिगड़ी तो जिला अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. अनुराग मिश्रा ने बताया की अस्पताल में कोविड से ग्रसित लोगों का इलाज बहुत अच्छे से किया जा रहा है. डाक्टर्स की सीमित संख्या है लेकिन नर्सिंग स्टाफ़ पूरी मेहनत से मरीजों का ध्यान रख रहे हैं. हरसंभव प्रयास से दवाएं दी जा रही है. उनकी हालत ठीक नहीं थी तो रेमडेसिविर इंजेक्शन भी उनको लगाए गए. जिसकी वजह कोरोना से उबर पाने में मदद मिली.
CMHO को नहीं इलाज की जानकारी
अनुराग मिश्रा ने बताया कि कोविड रिकवरी के बाद उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया. उससे एक दिन बाद उन्हें सिर के एक हिस्से, आंख से लेकर जबड़े तक भीषण दर्द हुआ जो असहनीय था. सीएमएचओ डॉक्टर अजीत मिश्रा, और अन्य डॉक्टर ने उन्हें पेन किलर के इंजेक्शन दिए लेकिन दर्द बंद नहीं हुआ, हालत यह थी की दर्द की कराह पूरे सेंटर में सुनाई दे रही थी. अंत में उन्हें नींद के इंजेक्शन दिए गए.
अगले दिन उन्होंने ईएनटी स्पेशलिस्ट को बुलाया लेकिन जिला अस्पताल में पदस्थ किसी डॉक्टर को उनके इस दर्द की वजह पता नहीं चल रही थी. उन्होंने वहां से जाने का निर्णय लिया. आखिरकार उनके दोस्त रमेश दुबे ने, मंत्री ओपीएस भदौरिया के साथ मिलकर उन्हें ग्वालियर शिफ्ट कराया, जहां उन्होंने ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर राहुल अग्रवाल से मुलाकात की. जिन्होंने fungal infection की आशंका जताते हुए सीटी स्कैन कराने की सलाह दी. रिपोर्ट में हेवी साइनस और कुछ चीजें आयीं जिस पर डॉक्टर ने fungal infection की शुरुआती स्टेज की पुष्टि की और उन्होंने दवा लिखी. जिनके 3 इंजेक्शन शामिल थे. Cefopraz inj, Forcan- with drip anti fungal, Enfalist inj थे. इन दवाओं से उन्हें 3 दिन में दर्द में आराम तो मिला लेकिन महजज 30 प्रतिशत. उन्होंने दोबारा डॉक्टर से मुलाकात की, तो उन्होंने एक दवा Candipoz-gr (drug- Posaconazole(100mg- anti fungal) बताई, जिसे दिल्ली से मंगाना पड़ा. अनुराग मिश्रा के मुताबिक इन दवाओं से उन्हें आराम तो मिला है लेकिन अब भी 90 फ़ीसदी आराम है अभी ट्रीटमेंट चल रहा है. उनकी एक आंखों में सूजन है, सिर में अब भी दर्द रहता है.
ऑक्सीजन के लिए उपयोग होने वाला पानी हो सकता है वजह
जब हमने उनसे जानना चाहा की आख़िर इस fungal infection का शिकार कैसे हो गए, तो उन्होंने बताया की भिंड जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की मांग बहुत ज़्यादा है क्योंकि यह ऑक्सीजन सेचुरेशन की समस्या झेल रहे हैं. लोग बताते हैं की ऑक्सीजन भी इसकी एक वजह हो सकती है. क्योंकि ऑक्सीजन में लगने वाले ह्यूमिडिटी फायर में डाला जाने वाला पानी डिस्टिल वॉटर या नॉर्मल सेलाइन का उपयोग होना चाहिए लेकिन अस्पताल में ज़्यादातर ऑक्सीजन के लिए सादा पानी का उपयोग किया जा रहा है. जिसकी वजह से fungal infection भी होने की सम्भावना है. चूंकि वे डायबिटीज के मरीज है. इसलिए शायद जल्दी इसकी चपेट में आ गए.
प्रशासन ने छिपाया, नेता-मंत्री ने उजागर किया मामला
ब्लैक फंगस की जद में आने वाले ज़्यादातर केस पोस्ट कोविड केसेस हैं. ऐसे मरीज जो डायबिटीज जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित हैं. उन पर ही इसका प्रभाव देखने को ज़्यादा मिला है, हालांकि 3 साल नंबर वन और हमेशा टॉप 3 में अपनी जगह बनाने वाले भिंड जिला अस्पताल में कोई भी ऐसा डॉक्टर नहीं था. जिसे अनुराग मिश्रा के ब्लैक फंगस का अंदाजा हो.