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पृथ्वीराज चौहान ने की थी भगवान शंकर के इस मंदिर की स्थापना, आज भी जल रही है अखंड ज्योति - Bholenath

भिंड जिले के प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में पृथ्वीराज चौहान ने 11 किलो के चांदी के आभूषण से भोलेनाथ का श्रृंगार किया था. बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने कराया था. जहां एक अखंड ज्योति आज भी जल रही है.

11 किलो चांदी के आभूषणों से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार
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Published : Oct 10, 2019, 9:54 AM IST

Updated : Oct 10, 2019, 3:07 PM IST

भिंड। जिले के ऐतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है. इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है. कहते है कि मंदिर की स्थापना पृथ्वीराज चौहान ने कराई थी. तब से भोले बाबा अपनी कृपा भिंड पर बनाए हुए हैं. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. मंदिर में पृथ्वीराज चौहान के ने अखंड ज्योती जलाई थी जो आज भी जल रही है.

11 किलो चांदी के आभूषणों से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार

प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में हर महीने दो बार भोलेनाथ का फूलों से श्रृंगार किया जाता है, इस बार दशहरे पर एक बार फिर मंदिर में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया. जहां भगवान भोलेनाथ को करीब 11 किलो चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है.

11 किलो चांदी के आभूषणों से किया जाता भोलेनाथ का श्रृंगार
बता दें 11वीं सदी में शिवभक्त पृथ्वीरराज चौहान ने महोबा के चंदेल राजा से युद्ध फतह करने के बाद दशहरे के दिन वनखंडेश्वर महादेव पर चांदी और आभूषणों से श्रृंगार किया था. जिसके बाद आज भी ये परंपरा जारी है. दशहरे के दिन भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर आकर्षक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है, जिसके साथ ही श्रद्धालु दर्शन कर पूजा-अर्चना करते है. पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर में चांदी का छत्र, नाग, मुकुट और भोलेनाथ का मनमोहक चेहरा पहनाया जाता है. जिसके बाद दर्शन का सिलसिला मध्यरात्रि तक जारी रहता है.

न्यायालय में सुरक्षित रखे जाते हैं भोलेनाथ के आभूषण-
प्राचीन वनखंडेश्वर भोलेनाथ के श्रृंगार के लिए उपयोग होने वाले आभूषणों को सुरक्षा के लिए न्यायालय में रखा जाता है. दशहरे के दिन श्रृंगार के लिए न्यायालय से एक दिन पहले निकाला जाता है, जिसके बाद अगले ही दिन उन्हें वापस न्यायालय में रख दिया जाता है.

भिंड। जिले के ऐतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है. इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है. कहते है कि मंदिर की स्थापना पृथ्वीराज चौहान ने कराई थी. तब से भोले बाबा अपनी कृपा भिंड पर बनाए हुए हैं. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. मंदिर में पृथ्वीराज चौहान के ने अखंड ज्योती जलाई थी जो आज भी जल रही है.

11 किलो चांदी के आभूषणों से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार

प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में हर महीने दो बार भोलेनाथ का फूलों से श्रृंगार किया जाता है, इस बार दशहरे पर एक बार फिर मंदिर में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया. जहां भगवान भोलेनाथ को करीब 11 किलो चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है.

11 किलो चांदी के आभूषणों से किया जाता भोलेनाथ का श्रृंगार
बता दें 11वीं सदी में शिवभक्त पृथ्वीरराज चौहान ने महोबा के चंदेल राजा से युद्ध फतह करने के बाद दशहरे के दिन वनखंडेश्वर महादेव पर चांदी और आभूषणों से श्रृंगार किया था. जिसके बाद आज भी ये परंपरा जारी है. दशहरे के दिन भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर आकर्षक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है, जिसके साथ ही श्रद्धालु दर्शन कर पूजा-अर्चना करते है. पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर में चांदी का छत्र, नाग, मुकुट और भोलेनाथ का मनमोहक चेहरा पहनाया जाता है. जिसके बाद दर्शन का सिलसिला मध्यरात्रि तक जारी रहता है.

न्यायालय में सुरक्षित रखे जाते हैं भोलेनाथ के आभूषण-
प्राचीन वनखंडेश्वर भोलेनाथ के श्रृंगार के लिए उपयोग होने वाले आभूषणों को सुरक्षा के लिए न्यायालय में रखा जाता है. दशहरे के दिन श्रृंगार के लिए न्यायालय से एक दिन पहले निकाला जाता है, जिसके बाद अगले ही दिन उन्हें वापस न्यायालय में रख दिया जाता है.

Intro:भिंड के ऐतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव की स्थापना पृथ्वीराज चौहान ने कराई थी और तब से भोले बाबा अपनी कृपा भिंड पर बनाए हुए हैं दूर-दूर से लोग भोलेनाथ के दर्शन को आते हैं मंदिर में पृथ्वीराज चौहान द्वारा जलाई अखंड ज्योत के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन एक परंपरा जिसकी शुरुआत पृथ्वीराज चौहान ने की थी उससे आज सभी को ईटीवी भारत रूबरू करा रहा है जी हां भिंड के प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में हर महीने 2 बार भोलेनाथ का फूलों से श्रृंगार होता है लेकिन साल में 1 दिन दशहरे का ऐसा होता है जो वनखंडेश्वर महाराज करीब 11 किलो चांदी के आभूषणों से सजते हैं


Body:बताया जाता है कि 11वीं सदी में शिवभक्त पृथ्वीराज चौहान ने महोबा के चंदेल राजा से युद्ध फतह करने के बाद दशहरे के दिन वन खंडेश्वर महादेव पर चांदी और आभूषणों से श्रृंगार किया था आज भी यह परंपरा जारी है आज भी हर दशहरे के दिन सुबह गंगाजल से अभिषेक होता है और श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं लेकिन शाम को 1:00 खंडेश्वर महादेव का चांदी के आकर्षक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है यह आभूषण पृथ्वीराज चौहान द्वारा चढ़ाए गए थे इनमें चांदी का छत्र नाग मुकुट और भोलेनाथ का मनमोहक चेहरा पहनाया जाता है श्रृंगार के बाद शाम 7:00 बजे से भक्तों के लिए भोलेनाथ के पट खोल दिए जाते हैं और श्रद्धालु आभूषणों से सजे वनखंडेश्वर महादेव के मनमोहक रूप के दर्शन करते हैं यह सिलसिला मध्य रात्रि तक जारी रहता है।

बाइट- श्रद्धालु

*न्यायालय में सुरक्षित रखे जाते हैं भोलेनाथ के आभूषण
प्राचीन वनखंडेश्वर महाराज के श्रंगार के लिए उपयोग होने वाले आभूषण भी प्राचीन है ऐसे में वे और भी कीमती हो जाते हैं इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए इन्हें न्यायालय की देखरेख में रखा जाता है करीब 11 किलो चांदी के आभूषण हर दशहरे पर श्रंगार किस से 1 दिन पहले न्यायालय से निकल पाए जाते हैं और दशहरे के अगले दिन उन्हें वापस न्यायालय में ही जमा करा दिया जाता है।

बाइट- पुजारी


Conclusion:महोबा के चंदेल राजा से युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान ने भिंड में अपना डेरा डाला था और काफी समय यहां रुके पृथ्वीराज चौहान शिव भक्त थे और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करते थे इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण भी करवाया और पूजा अर्चना कर यहां ज्योत जलाई इस मंदिर के भीतर अखंड ज्योत अभी से निरंतर जल रही है क्योंकि यहां पर घना जंगल हुआ करता था इसलिए इस मंदिर का नाम वनखंडेश्वर पड़ा।


नोट- खबर स्पेशल है साल में एक बार ही ऐसा होता है। कल रात में खबर बनाई थी लेकिन सुबह से डकैती के खबर के फॉलोअप की वजह से भेजने में लेट हो गया। कृपया लगाने का कष्ट करे अब दशहरा अगले साल आएगा। इस खबर के बारे में मैने कल रात डेस्क पर गोविन्द जी को भी इन्फॉर्म कर दिया था।
Last Updated : Oct 10, 2019, 3:07 PM IST
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