भिंड। आवारा पशु आज शहर, राज्य और देश के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं. नेशनल हाईवे से लेकर गांव- गली की सड़कों पर इन आवारा पशुओं को बैठे देखा जा सकता है, जो कई दफा भीषण हादसे का सबब बन जाते हैं. अब इसको लेकर भिंड के कलेक्टर में बड़ा कदम उठाया है. आवारा पशुओं से होने वाली घटना पर लगाम लगाने के लिए कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने सभी आवारा पशुओं को दतिया के रतनगढ़ के जंगलों में छोड़ने का फैसला लिया है.
प्रशासन ने की खास व्यवस्था: गौवंश को छोड़ने के लिए विशेष वाहन की व्यवस्था प्रशासन की तरफ से की गई है. कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की मानें तो ग्वालियर-भिण्ड-इटावा मार्ग पर बैठे पशुओं को छोड़ने के लिए विशेष वाहन का अधिग्रहण किया गया है. इसके तहत संभागीय प्रबंधक मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड संभाग द्वारा चंबल-ग्वालियर की तरफ से नेशनल हाईवे 719 पर बैठे मवेशियों को दूसरी जगह छोड़ने के लिए वाहनों का चयन किया गया है. इन वाहनों में मैसर्स एमपी हाइवेज प्रा.लि. नई दिल्ली ने वाहन क्र.यूपी 83 बीटी 6724 का चयन किया. ये इन मवेशियों को हाईवे से लेकर जाकर रतनगढ़ के जंगलों में छोड़ेंगे.
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इससे पहले हो चुकी है प्लानिंग: हाईवे पर घूमने वाले आवारा पशुओं की समस्या को देखते हुए कई बार प्लानिंग हो चुकी है. इससे पहले भिंड कलेक्टर रहे सतीश कुमार एस ने भी किसानों और गौ रक्षा समिति की तरफ से इन मवेशियों की देखभाल करने और खेती में उपयोग करने की प्लानिंग की थी. लेकिन, धरातल पर आने से पहले कलेक्टर का ट्रांसफर हो गया और प्लानिंग ठंडे बस्ते में चली गई थी.
IAS सतीश कुमार एस ने साझा किए थे IDEA: इससे पहले ETV Bharat से बात करते हुए भिंड के कलेक्टर रह चुके सतीश कुमार एस ने कुछ आइडिया शेयर किए थे. उन्होंने बताया था कि हम आवारा पशुओं की सहभागिता पर भी विचार कर सकते हैं, क्योंकि इनका दो तरह से कंट्रीब्यूशन हो सकता है. एक तो इन आवारा मवेशियों के गोबर का गोकास्टिंग के जरिए गोबर की लकड़ी बनाकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है. साथ ही साथ गोबर को प्राकृतिक खेती में खाद के रूप में भी किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.