भिंड। मध्य प्रदेश का भिंड जिला बंदूकों के मामले में तो आगे है लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछड़ा हुआ है. जिले की आबादी करीब 20 लाख है लेकिन इतने लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास महज 6 वेंटिलेटर की उपलब्ध है. इधर तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के चलते अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सांसे फूल रही है.
दावों के अनुसार नहीं है व्यवस्थाएं
भिंड जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हाल बेहाल हैं. जिले में 1 जिला अस्पताल, 1 सिविल अस्पताल, 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 190 उप-स्वास्थ्य केंद्र हैं. लेकिन इस कोरोना काल में संक्रमित मरीजों को उस स्तर पर इलाज नही मिल पा रहा है जिसके दावे स्वास्थ्य विभाग करता है. भिंड जिले में अब तक स्थिति काफी नियंत्रित है, लेकिन संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या ने शासन, प्रशासन को परेशान कर रखा है. आंकड़ों के मुताबिक भिंड जिले में 20 अप्रैल तक 1931 केस सामने आए हैं, जिनमें कई मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है. इनके लिए ऑक्सीजन तो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
20 लाख की जनसंख्या पर 6 वेंटिलेटर
जब इस सम्बंध में सीएमएचओ डॉक्टर अजीत मिश्रा से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय में 6 वेंटिलेटर काम कर रहे हैं. जिनमें 4 कोविड आईसीयू में है जबकि 2 वेंटिलेटर मशीने गर्भवती महिलाओं के लिए बनाए गए डेडिकेटेड एचडीयू में लगी हुई हैं. डॉक्टर मिश्रा ने यह भी बताया की इन वेंटिलेटर को संचालित करने के लिए इन्सटॉलेशन के समय ही नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग दी गयी है. जिससे किसी अन्य ऑपरेटर की आवश्यकता ना पड़े.
डैमेज ऑक्सीजन मास्क की वजह से मरीज की मौत!
हाल ही जिला अस्पताल में वेंटिलेटर पर मौजूद एक कोविड मरीज की जान चली गई. बताया जा रहा है कि वेंटिलेटर पर लगा ऑक्सीजन मास्क डैमेज होने से उसपर सर्जिकल टैप लगाकर काम चलाया जा रहा था. लेकिन लगातार ऑक्सीजन लीकेज से मरीज की जान चली गई. हालांकि सीएमएचओ इस तरह की लापरवाही से इनकार कर रहे हैं.