बैतूल। आदिवासी बाहुल्य जिले में कई ऐसी रुढियां हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं. खासतौर से मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को आज भी कई तरह की यातनाओं से गुजरना पड़ता है. उन दिनों में महिलाओं के साथ परिवार में ही अछूत जैसा व्यवहार किया जाता है. सालों से चली आ रही इन रुढियों के प्रति जागरुक करने के लिए, बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा संचालित सशक्त सुरक्षा बैंक की टीम ने डाटर्स-डे के पहले आदिवासी ग्राम नायक चारसी पहुंचकर, यहां महिलाओं से उन दिनों की परेशानियों और कुरीतियों को लेकर चर्चा की.
इस दौरान महिलाओं ने मासिक धर्म के दिनों में उनके रहन सहन और अन्य परेशानियों के बारे में भी बताया. महिलाओं ने बताया कि उन दिनों में महिलाएं या युवतियां घर के अंदर से होकर पीछे के आंगन में नहीं जा सकती. उन्हें घर के पास से बनी गलियों से होकर जाना पड़ता है.
आज भी रुढिवादी सोच हावी
नायक चारसी गांव में बुजुर्ग आदिवासी महिलाओं ने सशक्त सुरक्षा बैंक टीम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में खुलकर अपनी बातें रखीं. महिलाओं ने बताया कि गांव के हर घर के बीच में ये गली है. गांव की महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म के दिनों में घर के पहले कमरे में रहना होता है, इस दौरान महिलाएं करीब चार दिनों तक जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोती हैं. यदि उन्हें घर के पीछे बने शौचालय जाना होता है तो घर के बाजू से बनी गलियों से होकर जाना पड़ता है. गर्मी, बारिश, ठंड, रात या दिन इन्हीं गलियों का उपयोग मासिक धर्म के दिनों में होता है. महिलाओं ने बताया कि इन गलियों में रात के समय अंधेरा होता है, कई बार गलियों में डर लगता है. ये डर किसी जहरीले कीड़े, सांप या असामाजिक तत्वों के छुपे रहने का है.
महिलाओं ने लिया संकल्प
सशक्त सुरक्षा बैंक की संस्थापक गौरी पदम, संयोजक नीलम वागद्रे, संगीता अवस्थी ने महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान आराम करने की समझाइश दी. इस दौरान परम्परागत साधनों की जगह सेनेटरी पेड का उपयोग करने के अलावा ग्राम में सशक्त सुरक्षा बैंक की शाखा खोलने के लिए आश्वस्त किया. ग्राम की जागरुक बेटी रोशनी उईके ने इस बैंक का संचालन करने का आश्वासन भी दिया. गौरतलब है कि एक साल पहले डाटर्स डे पर ही सशक्त सुरक्षा बैंक की स्थापना बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति एवं सशक्त नारी सशक्त समाज वाट्सएप ग्रुप ने संयुक्त रुप से की थी. नायक चारसी ग्राम में सशक्त सुरक्षा बैंक ने सेनेटरी पेड वितरित कर महिलाओं से रुढियों को खत्म करने की अपील की. इस दौरान कई महिलाओं ने संकल्प लिया कि अब वो गांव की अंधेरी गलियों का मासिक धर्म के दिनों में उपयोग नहीं करेंगी.